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महाभारत से संबंधित प्रश्न उत्तर 51 से 60 तक और अश्वसेन कौन था

प्रश्न 51. उस सर्प का क्या नाम था जिसने महाभारत युद्ध में कर्ण से कहा था कि तुम मुझे अपने धनुष पर चढ़ाकर अर्जुन पर प्रक्षेप करो तो मैं अर्जुन को मार डालूँगा?
(A) अश्वसेन
(B) तक्षक
(C) कालिय
(D) वासुकि
उत्तर: (A) अश्वसेन
  • अश्वसेन के इस नाग बाण
महाभारत के युद्ध में, कर्ण ने अर्जुन पर अश्वसेन को छोड़ा था. अश्वसेन ने एक बाण के रूप में कर्ण के धनुष से छूटकर अर्जुन पर हमला किया. अश्वसेन के इस नाग बाण का मुकाबला करने में अर्जुन शक्तिहीन थे. भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बचाया
अश्वसेन, तक्षक नाग का पुत्र था. अर्जुन द्वारा खांडववन जलाने के दौरान, तक्षक की पत्नी ने अश्वसेन को अपने मुंह में दबाकर आकाश मार्ग से भागने की कोशिश की थी. अर्जुन ने अश्वसेन के फन पर बाण मारा, जिससे उसकी माता की मृत्यु हो गई.
प्रश्न 52. उस विद्या का क्या नाम था जिसके बल से किसी भी वस्तु को, चाहे वह कितनी ही सूक्ष्म हो, प्रत्यक्ष देखा जा सकता था?
(A) अंजलिकावेध
(B) शब्दार्त
(C) चाक्षुषी
(D) प्रतिस्मृति
उत्तर: (C) चाक्षुषी
  • चाक्षुषी विद्या 
चाक्षुषी विद्या को 'चाक्षुपोनिषद्', 'चक्षुष्मती विद्या', या 'चाक्षुषी विद्या' के नाम से भी जाना जाता है. चक्षु का अर्थ आंख व नेत्र होता है. इसलिए, 'चाक्षुपोनिषद्' का अर्थ है चक्षु + उपनिषद अर्थात् वेद-उपनिषद में बतायी गई नेत्र सम्बन्धी विद्या. यह एक गायत्री छन्द है. इसका उल्लेख कृष्ण यजुर्वेद में किया गया है. इसमें नेत्र ज्योति की रक्षा के लिए भगवान सूर्य से प्रार्थना की गयी है चाक्षुषी विद्या के श्रद्धा-विश्वासपूर्वक पाठ करने से नेत्र के समस्त रोग दूर हो जाते हैं. आंखों की ज्योति स्थिर रहती है. इसका नित्य पाठ करने वाले के कुल में कभी कोई अंधा नहीं होता. पाठ के अंत में गन्धादियुक्त जल से सूर्य को अर्घ्य देकर नमस्कार करना चाहिए
  • चाक्षुषी विद्या क्या है?
नेत्ररोग दूर करने के लिए रामबाण उपासना है भगवान सूर्य की 'चाक्षुषी विद्या'. यह एक गायत्री छन्द है. इसका उल्लेख कृष्ण यजुर्वेद में किया गया है. इसमें नेत्र ज्योति की रक्षा के लिए भगवान सूर्य से प्रार्थना की गयी है

प्रश्न 53. उस विद्या का क्या नाम था, जिसका प्रयोग करने पर पूरा संसार भलीभाँति दिखने लगता था?
(A) प्रतिस्मृति
ख) चाक्षुषी
(C) अंजलिकावेध
(D) शब्दार्त
उत्तर: (A) प्रतिस्मृति
  • प्रतिस्मृति विद्या
प्रतिस्मृति विद्या जानने वाला खुली आंखों से देवताओं को भी देख सकता है प्रतिस्मृति-विद्या का उल्लेख महाभारत के वन पर्व में मिलता है.
महर्षि वेदव्यास ने युधिष्ठिर को दिव्य वेदोक्त प्रतिस्मृति विद्या दी थी. इस विद्या से सारा जगत एकसाथ दिख जाता था. युधिष्ठिर ने इस विद्या की दीक्षा अर्जुन को दी और अर्जुन के गुरु भी बन गए

प्रश्न 54. युधिष्ठिर को लोमश ऋषि से जो विद्या प्राप्त हुई थी उसका क्या नाम था?
(A) चाक्षुषी
(B) एलीक
(C) प्रबोधिनी
(D) अनुस्मृति
उत्तर: (D) अनुस्मृति

“महाभारत के स्त्री पर्व में, अनुस्मृति विद्या और दिव्य दृष्टि के प्रभाव से युधिष्ठिर को युद्ध में मारे गए वीरों की संख्या का पता चलता है. इसके बाद, युधिष्ठिर दाहसंस्कार की आज्ञा देते हैं. इसी में, कुंती द्वारा कर्णवृतान्त जानकर कर्ण का भी प्रेत्यकृत्य किया जाता है”
“कहा जाता है कि अनुस्मृति विद्या वे पदार्थ हैं जिनसे कीमियागर लोग सामान्य पदार्थों से चांदी और सोने का निर्माण कर लिया करते थे. इसे 'हेमवती विद्या' के नाम से भी जाना जाता है.” 

प्रश्न 55. कर्ण के उस पिता का क्या नाम था, जिसने उसका बाल्यावस्था में पालन-पोषण किया था?
(A) संजय
(B) अधिरथ
(C) सोमक
(D) वसुषेण
 उत्तर: (B) अधिरथ

प्रश्न 56. महाभारत युद्ध के पश्चात् महर्षि व्यास ने जो ऐतिहासिक काव्य लिखा उसका क्या नाम था?
(A) भारत
(B) महाकथा
(C) महाभारत
(D) जय
उत्तर : (D) जय

प्रश्न 57. महाभारत ग्रंथ के प्रथम पर्व का क्या नाम है?
(A) आदिपर्व
(B) सौप्तिकपर्व
(C) मौसलपर्व
(D) उद्योगपर्व
उत्तर : (A) आदिपर्व
  • महाभारत ग्रंथ के पर्व
महाभारत ग्रंथ में कुल 18 पर्व हैं. इनमें से पहला पर्व है आदि पर्व. आदि पर्व, महाभारत की अठारह पुस्तकों में से पहली पुस्तक है. आदि पर्व में महाभारत के पर्वों, उपपर्वों, और उनके विषयों का संक्षिप्त विवरण है आदि पर्व में परंपरागत रूप से 19 उप-पुस्तकें और 236 अध्याय हैं. आलोचनात्मक संस्करण में 19 उप-पुस्तकें और 225 अध्याय हैं
  • महाभारत का पहला ग्रंथ कौन सा है?
महाभारत को पहले क्या कहते थे वेद व्यास ने जब इस ग्रंथ को लिखा था, तब इसका नाम 'जय महाकाव्य' रखा था। वेद व्यासजी के कहने से उनके शिष्य वैशम्पायनजी द्वारा जन्मेजय यज्ञ समारोह में इस जय महाकाव्य को ऋषि-मुनियों को सुनाया गया, तब इसे 'भारत' कहा जाने लगा

प्रश्न 58. अर्जुन के रथ का क्या नाम था?
(A) पारिजात
(B) सोदर्यवान्
(C) पुष्पक
(D) नंदिघोष
उत्तर : (D) नंदिघोष
  • नंदी घोष 
महाभारत के पात्र अर्जुन के रथ का नाम नंदी घोष था. यह रथ वरुण से मिला था और सफ़ेद रंग का था. इसमें चार घोड़े जोते जाते थे. अर्जुन के रथ का ध्वज कापी ध्वज था. इस ध्वज पर भगवान हनुमान की आकृति बनी हुई थी.
अर्जुन के रथ के घोड़ों के नाम- शैब्या, सुग्रीव, मेघपुष्पा और बलहका था
अर्जुन के रथ में सारथी भगवान श्री कृष्ण थे. महाभारत युद्ध में श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे. अर्जुन के रथ पर हनुमान भी विराजमान थे
प्रश्न 59. देवताओं की कुतिया का क्या नाम था?
(A) अश्विन
(B) सरमा
(C) पौवीं
(D) मंगला
उत्तर: (B) सरमा

प्रश्न 60. उस अश्व का क्या नाम था, जो समुद्र-मंथन से निकला था?
(A) उन्नै: श्रवा
(B) शैब्य
(C) बलाहक
(D) मेघपुष्य
उत्तर : (A) उन्नै: श्रवा

उच्चै:श्रवा घोड़ा- आकाश में उड़ान भरने वाला सफेद रंग का उच्चै:श्रवा घोड़ा भी समुद्र मंथन से निकला था
  • उच्चैःश्रवा घोड़ा : 
घोड़े तो कई हुए लेकिन श्वेत रंग का उच्चैःश्रवा घोड़ा सबसे तेज और उड़ने वाला घोड़ा माना जाता था। अब इसकी कोई भी प्रजाति धरती पर नहीं बची। यह इंद्र के पास था। उच्चै:श्रवा का पोषण अमृत से होता है। यह अश्वों का राजा है। उच्चै:श्रवा के कई अर्थ हैं, जैसे जिसका यश ऊंचा हो, जिसके कान ऊंचे हों अथवा जो ऊंचा सुनता हो

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