माँ कात्यायनी की आरती - जय जय अंबे जय कात्यायनी,जय जगमाता जग की महारानी ।।
मां कात्यायनी को देवी दुर्गा का छठा रूप माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कात्यायनी को ऋषि की पुत्री होने के कारण कात्यायनी नाम मिला था. देवी दुर्गा के इस रूप को लेकर कहा जाता है कि जो भी भक्त नवरात्रि के छठे दिन मां की सच्चे मन से विधि-विधान के साथ आराधना करता है. मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही इनकी पूजा से शीघ्र विवाह के योग, मनचाहा जीवनसाथी मिलने का वरदान प्राप्त होता है. कहा जाता है कि द्वापर युग में गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी ! मां कात्यायनी को पीला रंग पसंद है, इसलिए पूजा के लिए पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. मां को अक्षत, रोली, कुमकुम, पीले फूल, और भोग चढ़ाएं. माता की आरती और मंत्रों का जाप करें-
- मां कात्यायनी की आरती, Maa Katyayani Ki Arati
जय जय अंबे जय कात्यायनी,
जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा,
वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
कई नाम हैं कई धाम हैं,
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर जगह उत्सव होते रहते,
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
कात्यायनी रक्षक काया की,
ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली,
अपना नाम जपानेवाली।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो,
ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी,
भंडारे भरपूर करेगी ।।
जो भी मां को भक्त पुकारे,
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
जय जय अंबे जय कात्यायनी,
जय जगमाता जग की महारानी ।।
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