मां कूष्मांडा का अर्थ और मंत्र,आरती,कथा और पूजा के फ़ायदे,Maa Kushmaanda Ka Arth,Mantr,Aarti,story Aur Pooja Ke Faayade

मां कूष्मांडा का अर्थ और मंत्र,आरती,कथा और पूजा के फ़ायदे,

कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़े. मां को बलियों में कुम्हड़े की बलि सबसे ज़्यादा पसंद है. इसलिए इन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है. कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं. इनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा, और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है

जाने कौन हैं माता कूष्मांडा

मान्यता है कि सृष्टि की रचना से पहले जब चारों तरफ अंधकार था, तब देवी दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी. इसी कारण उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है. सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति नाम से भी जाना जाता है मां कूष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है. देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं. देवी को विविध प्रकार के फलों का भोग अपनी क्षमतानुसार लगाएं. पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें !

Maa Kushmaanda Ka Arth,Mantr,Aarti,story Aur Pooja Ke Faayade

आराधना मंत्र मां कूष्मांडा की

  • कूष्मांडा जय जग सुखदानी
  • या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता
  • सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च
  • दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे
बीज मंत्र - कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
पूजा मंत्र - ॐ कूष्माण्डायै नम:
ध्यान मंत्र - वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम् !
  • मां कूष्मांडा स्तुति
मां कूष्मांडा स्तुति या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

कूष्मांडा माता की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

मां कूष्मांडा की कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं। मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। नवरात्र -पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरुप की ही उपासना की जाती है। इस दिन माँ कूष्माण्डा की उपासना से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।

मां कूष्मांडा की पूजा करने से ये फ़ायदे मिलते हैं

मान्यताओं के मुताबिक, नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है. मां कूष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को कई फ़ायदे मिलते हैं: मां कूष्मांडा की पूजा करने के लिए, देवी को सफ़ेद कुम्हड़े यानी समूचे पेठे के फल की बलि दें. इसके बाद देवी को दही और हलवे का भोग लगाएं. देवी को लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चूड़ी भी अर्पित करना चाहिए.

मां कूष्मांडा की पूजा के फ़ायदे

  • रोगों और शोक से मुक्ति मिलती है.
  • आयु, यश, बल, और आरोग्य की वृद्धि होती है.
  • व्यक्ति को संकटों से मुक्ति मिलती है.
  • जिस व्यक्ति को संसार में प्रसिद्धि की चाह रहती है, उसे मां कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए.
  • मां कूष्मांडा में सृजन की अपार शक्ति है. इसलिए वे जीवन प्रदान करने वाली माता हैं. इनकी पूजा करने से व्यक्ति की आयु बढ़ती है.
  • देवी की कृपा से व्यक्ति को ज्ञान और मुक्ति का मार्ग मिलता है.
  • देवी की कृपा से व्यक्ति को प्रचुरता, खुशी, और आध्यात्मिक विकास का जीवन मिलता है.
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