शिव आराधना शायरी ! Shiv Aaraadhana Shayari

शिव आराधना शायरी ! 

शिव-महिमा: जीवन में जो भी हासिल होता है, वह आपके प्रयत्न का परिणाम है जहर को मस्तिष्क की तरफ भी न ले जाएं वरना इससे क्रोध क्षोभ अवसाद ही होगा। भगवान शंकर इन्हीं कारणों से उसे कंठ में ही धारण करते हैं। इतने बड़े त्याग के बावजूद भगवान शंकर कुछ भी नहीं है तो सिर्फ एक लोटा जल चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं।

Shiv Aaraadhana Shayari

शिव आराधना शायरी ! Shiv Aaraadhana Shayari !

जिनका आदि ना अन्त
स्वयंभू शिवशंकर कहलाते
जिनकी महिमा अनन्त
जन -जन में वो पूजे जाते
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सत्य के साथ सदा शिव रहते
सदा सत्य बोलो शिव कहते
प्रेम सदा भक्तों से करते
हरपल शिव आनंदित रहते
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काल तो अनेक
सिर्फ महाकाल एक
शक्तियाँ तो अनेक
शिवशक्ति सिर्फ एक
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संकट जिन पर आये
बन जाते उनकी ढाल
सब कालों के काल
सबसे बड़े महाकाल
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भस्म जो तन पर लगाते
नंदी की जो करते सवारी
जिनकी छवि सुखकारी
कहलाते त्रिपुरारी
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कर्ता जो ना कर सके
शिव करें सो होय
तीनों लोक महाखंड में
शिव से बड़ा ना कोय
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शिव -शक्ति के पूरक हैं
प्रेम इनका जग में प्रसिद्ध
शिव के हैं अनेकों रूप
प्रेम के हैं ये पूर्ण रूप
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शिव ही सर्वव्यापी
शिव में बसी है सृष्टि
शिव पाप -पुण्य से रहित
शिव जग को हैं समर्पित
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शिव ही पूजा
शिव ही शक्ति
शिव ही चेतन
शिव का ही वन्दन
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शिव के ही रूप हैं
ब्रह्मा, विष्णु, महेश
पवित्रता, ज्ञान और शांति का
जो सबको देते सन्देश
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वैभव की उनको चाह नहीं
वैरागी सा जीवन जीते
अमृत रस को छोड़कर
विष का पान वो करते
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शिव के परम साधक को
मृत्यु का रहे ना भय
शिव तत्व से मिलती भक्ति
शिव देते उनको शक्ति
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करते माता -पिता की सेवा
गणपति जिनका नाम
शिव- पार्वती के जो लाल
विघनों के हैं काल
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शक्ति से शिव
शिव से है शक्ति
शाश्वत प्रेम के ये आधार
अर्धनारिश्वर के ये अवतार
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इस जगत में वही सुखी हैं
वही हैं किस्मत वाले
जिन प्राणियों के देवों के देव
महादेव रखवाले
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पर्वतों में सजा जिनका दरबार
शिव में ही समाया सारा संसार
दया रखते हैं जो अपने भक्तों पर
वो ही हैं हम सबके पालनहार
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शिव ही प्रेम
शिव ही अनुराग
शिव हैं शब्दों के भण्डार
शिव ही हैं अर्थों के सार
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शिव ऐसे हैं देव विशेष
मनमोहक,अनुपम, अतुलनीय
विष्णु जी के हैं वो प्रिय
और ब्रह्मा जी के परमप्रिय
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महादेव जी देते सीख
जीवन में कष्ट भी आयेंगे
पर वो अपने भक्तों के
दुख के बादल छांटते जायेंगे
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नाथ अनाथों के नाथ शिव
शिव ही हैं संकट के नाशक
जिनका नाम देता है सहारा
पल में ही दुख दूर करे हमारा
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तीनों लोक का संकट टाला
पी गये शिवजी विष का प्याला
जहर ने कंठ उनका नीला कर डाला
नीलकंठ नाम पड़ गया निराला
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अपने भक्तों पर जो दया हैं रखते
जो सबके पालनहार
पर्वतों में सजता है जिनका दरबार
शिव की महिमा गाये सारा संसार
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स्वामी तीनों लोक के
जगतपिता करतार
दया का द्वार जो खोलें
बेड़ा भी लगायें पार

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