हनुमान जी के व्रत को हनुमान जयंती और मंगलवार के दिन /Hanuman ji's fast is observed on Hanuman Jayanti and on Tuesdays.

हनुमान जी के व्रत को हनुमान जयंती और मंगलवार के दिन 

हनुमान जी का व्रत करने से आप उन्हें अत्यंत प्रसन्न कर सकते हैं और उनके कृपा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। हनुमान जी के व्रत को हनुमान जयंती और मंगलवार के दिन भी विशेष रूप से किया जाता है। नीचे दिए गए विधि के अनुसार आप हनुमान जी का व्रत कर सकते हैं


1. सामग्री:
   - हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर
   - लाल रंग के फूल
   - सिन्दूर
   - सुगंधित धूप बत्ती
   - दिया
   - पंचामृत (दूध, घी, दही, शहद, गुड़)
   - फल, फूल, पंचमृत से भरा हुआ कटोरा
   - प्रासाद के लिए नारियल और चन्दन
   - पूजनीय पत्र (बारीकी से लिखा हुआ राम नाम)
2. पूजा विधि:
   - सुबह स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
   - पूजा स्थल पर सभी सामग्री रखें।
   - पूजा विधि के अनुसार हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर को सुंदर रूप से सजाएं।
   - पंचामृत का अभिषेक करें।
   - फूल, फल और नारियल को भगवान के चरणों में रखें।
   - अपने मन से प्रार्थना करें और राम नाम का जाप करें।
   - हनुमान चालीसा या हनुमान भजन गाएं।
   - दिया और धूप बत्ती जलाएं।
   - सम्पूर्ण पूजा के बाद, प्रसाद के रूप में पंचमृत, फल, और चन्दन को भगवान को चढ़ाएं।
3. व्रत संपान:
   - पूजा के बाद व्रत संपान करें और व्रत कथा सुनें।
   - हनुमान जी के चरणों में बारीकी से लिखा हुआ राम नाम चढ़ाएं।
   - आप इस व्रत में अंजीर, चने, और गुड़ का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि ये हनुमान जी के प्रिय भोज्य हैं।
ध्यान रखें कि ऊपर दी गई पूजा विधि एक सामान्य विधि है। कुछ स्थानों और परंपराओं में भिन्न-भिन्न रूप से हनुमान जी का व्रत किया जा सकता है, इसलिए सर्वप्रथम स्थानीय पारंपरिक विधि का पालन करें।हनुमान जी के व्रत को श्रद्धा और भक्ति से करें और उन्हें समर्पित करें। यह व्रत आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का साधक हो सकता है।

हनुमान जी का व्रत करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन

1. व्रत का समय और दिन चुनें: हनुमान जी के व्रत को मंगलवार और संकट मोचन चतुर्दशी (कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी) को करने का विशेष महत्व है। इसके अलावा आप इसे हर मंगलवार को भी कर सकते हैं।
2. नियमित पूजा: हनुमान जी के व्रत को नियमित और विधिवत रूप से करने के लिए पूजा अर्चना करें।
3. सात्विक आहार: व्रत के दिन आपको सात्विक आहार लेना चाहिए, जिसमें फल, सब्जी, दाल और शुद्ध घी का सेवन किया जा सकता है।
4. जागरण: व्रत की रात में जागरण करें और हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक और अन्य स्तोत्रों का पाठ करें।
5. दीप दर्शन: व्रत के दिन ज्योतियों का दर्शन करने से पूर्व नहाएं और साफ कपड़े पहनें।
6. व्रत कथा: हनुमान व्रत कथा सुनना और पढ़ना भी महत्वपूर्ण है।
7. दान: व्रत के दिन किसी गरीब व्यक्ति को खाने का दान देना चाहिए।
8. संकीर्तन: हनुमान चालीसा का संकीर्तन करना व्रत के दिन धार्मिक अनुष्ठान का एक अहम हिस्सा है।
ध्यान रखें कि हर व्यक्ति की शक्ति, समय और संस्कार भिन्न होते हैं, इसलिए आप जितना विधिवत व्रत कर सकते हैं, उतना करें। हनुमान जी की कृपा से आपके जीवन में समृद्धि, सुख, शांति और सफलता का प्राप्त होने की कामना करता हूँ।

हनुमान व्रत कथा के अनुसार, 

एक समय की बात है, रावण नामक राक्षसराज अपनी शक्ति और दुर्बलता को देखते हुए अपने युवक भाई विभीषण से विचार करने लगे। रावण ने विभीषण से कहा, "भाई, मैं जानता हूँ कि तुम्हारे पास ईश्वरभक्ति और नेक विचार हैं। मैं भी अपनी शक्ति का बड़ा भरोसा करता हूँ। हम दोनों इस विश्वास के साथ एक अद्भुत प्रतियोगिता करेंगे। जो भी ईश्वर की प्राप्त वरदानी छीनकर लाएगा, वही शक्तिशाली होगा।"
इस प्रतियोगिता में विभीषण अपने शक्ति को प्रदर्शित करने की कोशिश करते हुए बहुत सारे वरदानी आभूषण और समर्थ वस्त्र लाए। वह रावण के सामने प्रदर्शित करते हैं, और रावण भी बहुत सारी अलौकिक शक्तियों का प्रदर्शन करते हैं। लेकिन आखिरकार, विभीषण ने एक छोटे से प्याले में गंध व सिन्दूर लाकर रावण को समर्पित किया।
रावण ने आश्चर्य से पूछा, "यह साधारण सा प्याला क्या है?" तो विभीषण ने कहा, "यह एक साधारण सी वस्तु है, जिसके सामर्थ्य को तुम नहीं समझ सकते। यह प्याला जो भी समझदार और ईमानदार व्यक्ति होगा, उसे इसमें सबसे मूल्यवान वस्तु प्राप्त होगी।"रावण उत्साहित होकर उस प्याले में सिन्दूर डालता है, लेकिन सिन्दूर ठहरता नहीं है। उसके बाद वह गंध की कठोरता से भरता है, लेकिन वह भी घुलता नहीं है। रावण बहुत चिंतित हो जाता है और विभीषण के पास जाकर कहता है, "मैंने सिन्दूर और गंध डाले लेकिन वे नहीं घुले।"विभीषण ने उत्साहित होकर कहा, "रावण, जब तुमने सिन्दूर और गंध को अपने हाथों से दिया, तो उन्हें एक दिव्य शक्ति ने लिया है। वह दिव्य शक्ति हनुमानजी की है, जो हर नेक मन की मुराद पूरी करते हैं।"रावण ने जानकर अपनी भूल समझी और हनुमानजी की पूजा आराधना में लग गए। उन्होंने अपनी अध्यात्मिक भावना से हनुमानजी की प्रसन्नता प्राप्त की और उनकी कृपा से सभी समस्याओं का समाधान किया।इसलिए, हनुमान व्रत का महत्व और फलमूल अर्थ है कि एक व्यक्ति के मन में भक्ति और ईमानदारी का संयम होने से उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं, और उसे ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त होता है। हनुमान व्रत करने से भक्त को सांत्वना, शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है।

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