मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दो प्रमुख मंदिरों से मिलकर बना है /Mallikarjuna Jyotirlinga is made up of two main temples.

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दो प्रमुख मंदिरों से मिलकर बना है

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित श्रीशैलम नामक स्थान पर स्थित है। यह भारतीय धर्म में महत्वपूर्ण एक ज्योतिर्लिंग है और भगवान शिव को समर्पित है।
श्रीशैलम नगर राज्य के कुर्नूल जिले में स्थित है और कृष्णा नदी के तट पर विस्तृत है। यह स्थान प्राचीन काल से ही शिव भक्ति का प्रमुख केंद्र रहा है और प्राचीनतम शैव तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग दो प्रमुख मंदिरों से मिलकर बना है - मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर और भ्रमराम्बा मंदिर। मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है, जबकि भ्रमराम्बा मंदिर में भगवानी पार्वती की मूर्ति स्थापित है। इन दोनों मंदिरों के प्रांगण में ही मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थित है।यहां के मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें आंध्र प्रदेश की लोक कला और संस्कृति के बहुमूल्य कारणों से इतना महत्वपूर्ण समझा जाता है कि श्रीशैलम को इंदिया टुडे मैगज़ीन द्वारा 'अंद्रेर्सन का काशी' घोषित किया गया है।इसके अलावा, श्रीशैलम में कई अन्य प्रमुख मंदिर भी हैं, जैसे भ्रमराम्बा मंदिर, माल्लाम्बिका मंदिर,चोलवेश्वर मंदिर और कृष्ण मंदिर। यहां पर्यटकों के लिए धार्मिक महत्व के साथ-साथ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी आकर्षक स्थान है।श्रीशैलम को ज्योतिर्लिंग के रूप में मान्यता प्राप्त है और विभिन्न शैव संप्रदायों के शिव भक्तों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां हर साल शिवरात्रि के दौरान विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और बहुत से शिव भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के पीछे एक कथा

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के पीछे एक कथा है, जो भारतीय पुराणों में वर्णित है। इस कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब पर्वत श्रीशैल पर देवता और ऋषि-मुनियों का निवास स्थान था। पर्वत के शिखर पर महादेव और पार्वती जी अपनी तपस्या कर रहे थे।एक समय देवता और ऋषि-मुनि वहां पहुंचे और उन्होंने अपने मन में शिव और पार्वती के मधुर विवाद के विषय पर वाद-विवाद शुरू किया। देवता दल शिव को पूर्णता का प्रतीक मानता था, जबकि ऋषि-मुनि दल पार्वती को सर्वशक्तिमान और सर्वसमर्थका प्रतीक मानता था।विवाद चरम पर पहुंच गया और दोनों दलों ने एक-दूसरे के सामर्थ्य का परीक्षण करने के लिए निर्णय लिया। वे एक आयोजन करने का निर्णय लिया, जिसमें वे श्रीशैल पर्वत के चरणों से नीचे उतरकर वापस चढ़ने की प्रतियां करेंगे। जो दल पहले चढ़कर श्रीशैल के शिखर तक पहुंचेगा, उसे उचित माना जाएगा और उसकी सत्ता में विजय की घोषणा की जाएगी।तात्पर्य यह था कि जिस दल को पहले चढ़कर पर्वत के शिखर तक पहुंचने का समर्थन मिलेगा, उसे सर्वशक्तिमान और सर्वसमर्थकी प्रमाणित होगी। यह सुनकर दोनों दल तत्पर हो गए और श्रीशैल पर्वत पर अपनी यात्रा शुरू कर दी।श्रीशैल पर्वत के चरणों पर पहुंचते ही देवता दल अपनी विजय की प्रतियों का आयोजन करने के लिए आगे बढ़ गया। हालांकि, देवता दल के पास विजय की प्रतियां नहीं थीं, जबकि ऋषि-मुनि दल के पास अनन्त प्रतियां थीं। वे श्रीशैल के शिखर तक पहुंचकर विजय की घोषणा कर दी।
देवता दल अपनी हार को स्वीकार करके निराश हो गया और वे अपने आपको ध्यान और तपस्या में लिप्त कर दिया। पर्वत श्रीशैल को महादेव का निवास स्थान मानकर प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी आत्मा की आज्ञा से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का उद्घाटन किया। इस प्रकार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई और यह भगवान शिव की पूजा-अर्चना का प्रमुख स्थान बन गया।
यह कथा दर्शाती है कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम में कैसे स्थापित हुआ और इसकी महिमा क्यों मान्यता प्राप्त है। यहां के मंदिर में शिव और पार्वती के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का आग्रह होता है और यहां आने वाले लोग उनसे आशीर्वाद और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjuna Jyotirlinga) और श्रीशैलम के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य 

1. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें श्रीमद्भागवत पुराण और शिव महापुराण में वर्णित किया गया है।
2. यह ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम नामक स्थान पर स्थित है, जो आंध्र प्रदेश राज्य के कुर्नूल जिले में स्थित है। श्रीशैलम को दक्षिण भारत की काशी के रूप में भी जाना जाता है।
3. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का मुख्य मंदिर श्री भ्रमराम्बा मंदिर है, जिसे माता पार्वती के एक रूप के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर विशेष रूप से शक्ति पीठ के रूप में मान्यता प्राप्त है।
4. श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के अलावा कई और प्रमुख मंदिर हैं, जिनमें कृष्ण मंदिर, माल्लाम्बिका मंदिर, चोलवेश्वर मंदिर, गणपति मंदिर और काल भैरव मंदिर शामिल हैं।
5. शिवरात्रि एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जब बहुत से भक्त श्रीशैलम के मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर में आते हैं और शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। इस उत्सव के दौरान आंध्र प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं।

मंत्र और मंत्र का अर्थ 

ॐ श्री मल्लिकार्जुनाय नमः का अर्थ है "आपको विनम्रता से नमस्कार करता हूँ, जो मल्लिकार्जुन (पार्वती और शिव के संयोजन से बने नाम) हैं।" यह मंत्र मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के पूजन या ध्यान में उपयोग होता है, जिससे भक्त श्री मल्लिकार्जुनाय को नमस्कार करके आराधना करते हैं और उनसे कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं।

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