भगवान गणेश गजानन अवतार की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं

भगवान गणेश गजानन अवतार 

गुणेश (एक प्रकार - गजानन)

त्रेतायुग में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन उमा के घर श्री गणपति का जन्म गुणेश (एक प्रकार - गजानन) के रूप में हुआ। इस अवतार मेंउन्होंने राक्षस सिंधु का वध किया और देवता ब्रह्मा की बेटियों सिद्धि और बुद्धि से विवाह किया।

गजानन

द्वापरयुग में, एक बार फिर, उन्होंने देवी (देवी) पार्वती से गजानन के रूप में जन्म लिया। इस अवतार में, श्री गजानन ने राक्षस सिंदुरासुर का वध किया और कई राजाओं और वीर पुरुषों को मुक्त कराया जिन्हें राक्षस ने कैद कर लिया था। इस अवतार में श्री गजानन ने वरेण्य नाम के राजा को गणेशगीता के रूप में शाश्वत दर्शन का उपदेश दिया, जो मोक्ष (अंतिम मुक्ति) के मार्गों के बारे में बताता है, सभी अलौकिक शक्तियां देता है, अज्ञानता को समाप्त करता है और मानव जीवन के वास्तविक लक्ष्य को स्पष्ट करता है। 

गजानन" एक भगवान गणेश का और विशेष रूप है। इस रूप में भगवान गणेश को एक गज (हाथी) के आकार में दर्शाया जाता है। यह रूप भगवान गणेश के प्रसिद्ध अवतारों में से एक है और उन्हें अपने विशेष गजराज अवतार के लिए जाना जाता है।

Some important features of Lord Ganesha Gajanan Avatar

गजानन अवतार की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं

  1. भगवान गणेश के गजानन रूप में उनके सर्वाधिक प्रशस्त शरीर का वर्णन किया जाता है, जो गज (हाथी) के समान दिखता है।
  2. गजानन अवतार में उनके चार भुजाएं, गज के समान लम्बी डांट (दांत), और बड़े नेत्र (आंखें) दर्शाए जाते हैं।
  3. भगवान गणेश के गजानन रूप में वे महाविनायक नाम से भी जाने जाते हैं, क्योंकि उनके विशाल शरीर की वजह से उन्हें महान विनायक (विधी-विधानका हे विनायक) कहा जाता है।
  4. गजानन अवतार के अनुसार, भगवान गणेश के प्रकट होने पर देवता, ऋषि, और आसुर समुदायों में अशांति और अशांति हो गई थी। तभी उन्होंने अपने गजराज रूप का दर्शन किया और दुनिया को शांति की प्राप्ति के लिए विनायक बना दिया।
  5. गजानन अवतार में भगवान गणेश को बुद्धिमानता, बल, और प्रतिभा के प्रतीक के रूप में दिखाया गया है।
  6. इस रूप में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में भी पूजा और अर्चना किया जाता है, क्योंकि उनके दर्शन से सभी विघ्नों का नाश होता है।
  7. भगवान गणेश के गजानन रूप के उद्देश्य से उन्होंने देवता और आसुरों को मिलकर समाधान प्रदान किया और सभी कार्यों की समृद्धि का मार्ग दिखाया।
  8. गजानन अवतार में भगवान गणेश का ध्यान करने से भक्तों को विवेक, बुद्धिमानता, और समर्थता की प्राप्ति होती है।
  9. गजानन अवतार में भगवान गणेश को धर्म, युद्ध, और न्याय के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है।
  10. भगवान गणेश के इस अवतार में वे अपने भक्तों के सभी कष्टों को हरते हैं और उन्हें सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  11. गजानन अवतार के रूप में भगवान गणेश को गज की शक्ति और सहायता का प्रतीक भी दिखाया जाता है।
  12. गजानन अवतार में भगवान गणेश को उच्चतम ब्रह्म परमात्मा के साक्षात्कार का रास्ता प्रदान किया जाता है।
  13. गजानन अवतार में भगवान गणेश को मांगलिक शुभकार्यों के लिए शुभकारी प्रतीक भी माना जाता है।
  14. गजानन अवतार में भगवान गणेश को ध्यान करने से भक्तों को समस्त दुर्भाग्य और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  15. गजानन अवतार में भगवान गणेश का ध्यान करने से भक्तों की जीवन में समृद्धि, सफलता, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

गजानन अवतार की कथा

यह कथा गणेश अवतार के विशेषता और महत्व को वर्णित करती है। 

कथा के अनुसार, देवताओं के बीच एक समय पर युद्ध हो रहा था। देवता व आसुर समुदायों के बीच युद्ध का उद्देश्य समाधान न कर पाने के कारण अशांति और विनाशकारी हो गया था। देवता और आसुरों ने एक-दूसरे को हराने के लिए शक्तियां ब्रह्मा जी से प्राप्त करने का निश्चय किया। शक्तियों को प्राप्त करने के लिए ब्रह्मा जी ने व्यक्ति के रूप में भगवान गणेश को सृष्टि किया। उन्हें गजराज (हाथी) के आकार में प्रस्तुत किया गया था। इस रूप में भगवान गणेश का नाम गजानन रखा गया। गजानन भगवान गणेश अवतार के रूप में देवता और आसुरों के बीच शांति स्थापित करने के लिए उपस्थित हुए। उन्होंने अपने विशाल शरीर और अद्भुत विग्रह के साथ देवता और आसुरों को समाधान के लिए आह्वान किया।गजानन भगवान गणेश के प्रकट होने से देवता और आसुर समुदायों में शांति और समाधान स्थापित हुआ। उन्होंने अपने विशाल शरीर और विनायक शक्ति के साथ विघ्नों का नाश किया और समस्त कष्टों को हरा दिया।इस रूप में, गजानन भगवान गणेश ने अपने भक्तों को बुद्धि, बल, और विजय का आशीर्वाद प्रदान किया और उन्हें सभी कार्यों में समृद्धि की प्राप्ति होती है। गजानन भगवान गणेश की पूजा से भक्तों को विघ्नों से मुक्ति, सफलता, और शांति की प्राप्ति होती है।इस प्रकार, गजानन अवतार के माध्यम से भगवान गणेश ने देवता और आसुर समुदायों के बीच शांति की स्थापना की और भक्तों को सभी समस्याओं से मुक्ति प्रदान की।भगवान कुबेर के लोभ से लोभासुर का जन्म हुआ था। लोभासुर दैत्य गुरु शुक्राचार्य की शरण में गया और वहां से शिक्षा ली। शुक्राचार्य के कहने पर लोभासुर ने भगवान शिव से वरदान पाने के लिए कठोर साधना की। साधना से प्रसन्न होकर लोभासुर को निर्भय होने का वरदान दे दिया। वरदान पाकर लोभासुर ने सभी लोकों पर कब्जा जमा लिया। तब सभी ने गणेशजी की प्रार्थना की और भगवान गणेश ने गजानन के रूप में अवतार लिया। इसके बाद शुक्राचार्य की सलाह पर लोभासुर ने बिना युद्द किए पराजय स्वीकार कर ली।

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