गोस्वामी तुलसीदास जी और सूरदास जी भक्त कवि थे,
Goswami Tulsidas ji and Surdas ji were devout poets,
तुलसीदास जी को भगवान श्री राम का भक्ति कवि माना जाता था,
और सूरदास जी को भगवान श्री कृष्ण का भक्त कवि माना जाता था।
एक व्यक्ति ने अपना सारा जीवन भगवान कृष्ण के लिए गाते हुए, भगवान कृष्ण की स्तुति और सुंदर कविताओं का निर्माण करने में लगा दिया।
श्री कृष्ण के अनन्य भक्त, कृष्ण प्रेम और माधुर्य की प्रतिमूर्ति, हिन्दी साहित्य के सूर्य, महाकवि, संत शिरोमणि श्री सूरदास जी जन्म से ही अंधे थे उन्होंने अपना पूर्ण जीवन भगवान श्री कृष्ण की भक्ति आराधना में दिया।
कहते हैं जब भी सूरदास जी भजन गाते थे तो भगवान श्री कृष्ण एक बालक के रूप में आकर उनके सम्मुख आकर बैठ जाते थे। उनका एक हाथ अपने मुख पर होता और बड़े ही ध्यान से भगवान श्री कृष्ण अपने भक्त सूरदास जी का भजन सुनते थे।
जब भगवान के प्रति सच्ची आस्था हो तो भगवान के कलयुग में भी दर्शन हो सकते हैं।
श्री गोस्वामी तुलसीदास जी और श्री सूरदास जी को कलयुग में ही दर्शन हुए।
गोस्वामी तुलसीदास जी को प्रथम दर्शन भगवान श्री हनुमान जी के हुए और फिर चित्रकूट में भगवान श्री राम के दर्शन हुए।
सूरदास जी जब भजन गाते या किसी संकट में होते तो भगवान श्री कृष्ण एक बालक रूप में हमेशा उनके सम्मुख आकर उनका भजन सुनते और उनकी सहायता करते थे।
कहते हैं...
भगवान को प्रसन्न करने में ना कोई विकल्प चाहिए. ईश्वर भक्ति में सच्चे मन का हमेशा दृढ़ संकल्प चाहिए..!!
भगवान से कभी कुछ मांगों मत, जब भी भगवान से प्रार्थना करो ये कहो हे प्रभु इस जीवन रूपी पथ पर मेरा हमेशा साथ दीजिए।
क्योंकि जब भगवान साथ होंगे कभी किसी चीज की कमी ही नहीं रहेगी, इस झूठे जग में किसी व्यक्ति से क्या अपेक्षा करना, भगवान बड़े कृपालु है वो भवसागर से भी पार करा देंगे।
जय श्री कृष्ण 🚩
जय श्री राम 🚩
टिप्पणियाँ