मां दुर्गा ने मां काली के रूप में किया रक्तबीज का वध / Maa Durga killed Raktabeej in the form of Maa Kali

मां दुर्गा ने मां काली के रूप में किया रक्तबीज का वध  

रक्तबीज वध की कथा दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) या देवी मार्गदर्शनी पुराण में वर्णित है। यह कथा मां दुर्गा के महिषासुरमर्दिनी रूप का अंश है और महिषासुर जैसे अन्य राक्षसों के साथ रक्तबीज नामक एक दुर्जन से संबंधित है। यहां मैं आपको रक्तबीज वध की संक्षेप में कथा बताता हूँ:कथा के अनुसार, एक समय पर भूमि पर राक्षसों का अत्यंत ताकतवर राजा नामक राक्षस रहता था। उसका एक अत्यंत दुर्जन स्वंय रक्तबीज भी था, जो विशेष रूप से विकट और भयंकर था।रक्तबीज ने अपनी बड़ी ताकत के कारण देवता, साधु-संत और मनुष्यों को जीवन से वंचित किया और अधर्म की प्रशांति के लिए कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा था।
उसकी दुर्जनता का समाना करने के लिए महिषासुरमर्दिनी रूप में मां दुर्गा ने अपनी सेना को संगठित किया और रक्तबीज से युद्ध के लिए उतरी।मां दुर्गा ने रक्तबीज से महायुद्ध किया, लेकिन वह राक्षस अपने रक्त से हर बार नए रक्तबीजों को उत्पन्न करता था। इससे उसका वध करना मां के लिए मुश्किल बन गया।इस समय पर, मां दुर्गा ने मां काली का रूप धारण किया, जो भयानक रूप धारण करती हैं और भयभीत करने में सक्षम होती हैं। मां काली ने रक्तबीज के रक्तप्रवाह को रोकने के लिए अपने चारों हाथों से रक्तबीज को पकड़ा और उसे पीठ पर लटका दिया।इस तरह, रक्तबीज के रक्त के जमने से उसका अंत हो गया और उसे मार डाला गया। इस प्रकार, मां दुर्गा ने रक्तबीज का वध किया और धर्म को विजयी किया।
रक्तबीज वध कथा द्वारा दिखाया गया संदेश है कि भगवान अधर्म के प्रति सदैव विजयी होते हैं और भक्तों की रक्षा करते हैं। इसे याद करके लोग दुर्गा पूजा करते हैं और भक्ति भाव से मां की आराधना करते हैं।

रक्तबीज वध के बारे में 25 रोचक तथ्य:

1. रक्तबीज वध दुर्गा पूजा के आठवें दिन, नवरात्रि के अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
2. इस दिन मां दुर्गा ने रक्तबीज नामक राक्षस को वध किया था।
3. रक्तबीज एक राक्षस था जिसके रक्त से हर बार नए रक्तबीज उत्पन्न होते थे।
4. इस राक्षस का वध करना मां दुर्गा के लिए बहुत मुश्किल था।
5. मां दुर्गा ने रक्तबीज के रक्तप्रवाह को रोकने के लिए मां काली का रूप धारण किया था।
6. मां काली भयानक रूप धारण करती हैं और राक्षसों को भयभीत करने में सक्षम होती हैं।
7. मां काली ने अपने चारों हाथों से रक्तबीज को पकड़ा और उसे पीठ पर लटका दिया।
8. रक्तबीज के रक्त के जमने से उसका अंत हो गया और उसे मार डाला गया।
9. रक्तबीज वध कथा का मुख्य संदेश है कि भगवान अधर्म के प्रति सदैव विजयी होते हैं।
10. रक्तबीज वध कथा दुर्गा माता की महागाथा में सबसे प्रसिद्ध है।
11. रक्तबीज वध की कथा विश्वविख्यात देवी मार्गदर्शनी पुराण में वर्णित है।
12. रक्तबीज वध पर्व के दौरान दुर्गा पूजा में भक्तों द्वारा धूमधाम से उत्सव किया जाता है।
13. रक्तबीज वध कथा के आधार पर रंगबिरंगी दुर्गा पंडाल देखने को मिलते हैं।
14. रक्तबीज वध के दिन लोग दुर्गा माता की पूजा और आराधना करते हैं और उनके नौ रूपों की भक्ति करते हैं।
15. यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जैसे कि महानवमी या दुर्गाष्टमी।
16. रक्तबीज वध के दौरान दुर्गा पूजा के मंत्र, ध्वजारोहण, अर्चना, आरती आदि किए जाते हैं।
17. इस दिन लोग दुर्गा माता की प्रतिमा को धूप, दीप, फूल, चावल, पुष्पांजलि आदि से सजाकर पूजते हैं।
18. रक्तबीज वध का अर्थ है अधर्म और असत्य के विनाश का संदेश।
19. इस दिन कुमारिका व्रत भी किया जाता है, जिसमें बालिकाओं को माँ दुर्गा की पूजा करतेहुए उन्हें भोजन और वस्त्र दान करते हैं।
20. रक्तबीज वध के दौरान भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
21. रक्तबीज वध के दिन लोग धर्मिक पर्व के तौर पर अपने घरों को सजाकर रखते हैं।
22. इस दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर पूजा, भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लेते हैं।
23. रक्तबीज वध पर्व के दौरान बड़े संख्या में लोग दुर्गा मंदिर यात्रा करते हैं।
24. रक्तबीज वध के दिन मां दुर्गा की आरती में शंख बजाकर आरती दी जाती है।
25. इस पर्व का मुख्य उद्देश्य शक्ति की प्रशंसा करना और अधर्म के पराजय का संदेश देना है।
ये थे रक्तबीज वध: देवी दुर्गा के बारे में 25 रोचक तथ्य। यह पर्व भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है और भक्तों के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर है।

रक्तबीज वध की कथा 

रक्तबीज वध दुर्गा पूजा के एक प्रमुख पर्व का विवरण है। यह पर्व नवरात्रि के नौ दिनों में अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और इस दिन देवी दुर्गा ने रक्तबीज नामक राक्षस का वध किया था। यह कथा दुर्गा माता की महागाथा में सबसे प्रसिद्ध है।कथा के अनुसार, दुर्गा माता ने रक्तबीज राक्षस को मांस के रक्त से प्राकृतिक रूप से प्रतिपूर्ण किया गया था। जब देवी दुर्गा ने रक्तबीज का वध किया तो उसके रक्त से हर बार नए रक्तबीज का उत्पादन होता था, जिससे राक्षस को मारना मुश्किल हो गया था।इस समय, मां दुर्गा ने मां काली का रूप धारण किया, जो भयानक रूप धारण करती हैं और भयभीत करने में सक्षम होती हैं। मां काली ने रक्तबीज के रक्तप्रवाह को रोकने के लिए अपने चारों हाथों से रक्तबीज को पकड़ा और उसे पीठ पर लटका दिया। इस तरह, उसके रक्त ने जम जाने से रक्तबीज का अंत हो गया और उसे मार डाला गया।इस घटना से पहले देवी दुर्गा ने भी शुम्भ और निशुम्भ जैसे अन्य राक्षसों को भी मार डाला था, जिससे उन्हें "महिषासुरमर्दिनी" और "शक्तिपीठ रूप" के नाम से भी जाना जाता है।
रक्तबीज वध का उल्लेख दुर्गा सप्तशती में भी किया गया है, जो दुर्गा माता की महिमा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। नवरात्रि के इस अवसर पर लोग देवी दुर्गा की पूजा और आराधना करते हैं और उनके नौ रूपों की भक्ति करते हैं।               

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