माता ब्रह्मचारिणी,नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी पूजा की जाती है / Mata Brahmacharini,she is worshiped on the second day of Navratri

माता ब्रह्मचारिणी,नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी पूजा की जाती है 

ता ब्रह्मचारिणी, दुर्गा माता के दूसरे नवरात्रि अवतारों में से एक हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी पूजा की जाती है। ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ होता है "व्रतब्रत धारण करने वाली" और इसी गुणवत्ता के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है।

ब्रह्मचारिणी माता की कथा

एक समय, पूर्व जन्म में ब्रह्मचारिणी नामक राजकुमारी तपस्या और ध्यान में लीन थीं। उनका श्रद्धा और व्रत ब्रत बहुत समर्थ था और वे आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति के लिए समर्थ ब्रह्मचारिणी बनने की इच्छा रखती थीं।
एक दिन, उन्होंने अपने पिता राजा के समक्ष अपनी इच्छा व्यक्त की कि वे विश्व के सर्वश्रेष्ठ तपस्वी के साथ विवाह करना चाहती हैं और भगवान शिव का स्वयंभू मूर्ति उस तपस्वी को ही धारण करेंगे।
राजा ने उनकी इच्छा को स्वीकार किया और उन्हें तपस्या और संयम की शक्ति से भरपूर बनाया। उन्होंने शिवजी का आत्मसाक्षात्कार किया और तपस्वी के साथ विवाह कर लिया। उन्हें ब्रह्मचारिणी का अवतार दिया गया और वे भगवान शिव के साथ आत्मनिर्विकार हो गईं।ब्रह्मचारिणी माता को नवरात्रि के दूसरे दिन पूजा जाता है और उन्हें संयम, तपस्या, और साधना की प्रतीक होने के कारण भक्तों द्वारा विशेष आदर और भक्ति से पूजा जाता है। उनकी पूजा से साधक तप की शक्ति को प्राप्त करते हैं और सारे दुखों का नाश होता है। भगवान शिव और माता ब्रह्मचारिणी की कृपा से भक्तों को साधना में सफलता मिलती है।



माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए निम्नलिखित पूजा विधि 

सामग्री:

1. माता ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या छवि
2. दीपक (घी या तेल से)
3. धूप, दीप, अगरबत्ती
4. पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, गंध)
5. फूल, बेल पत्र, सुपारी, नारियल
6. पंचम्बित (सिंदूर, अच्छा, हल्दी, बुरदाना, गंध)
7. पुष्प, पंचमृत का प्रयोग करने के लिए कटे हुए फल
8. रोली, चावल, दुर्वा, गंध, कुमकुम, नीला पट्टा, मोली, कलश, कलश पंचमृत, कलश कलवा

पूजा विधि:

1. स्थान चुनें: पूजा के लिए एक शुभ स्थान चुनें जो स्वच्छ और शुद्ध हो। इस स्थान पर चौकी रखें और उस पर रंगीन वस्त्र से सजाएं।
2. कलश स्थापना: एक धार्मिक अंगण में कलश स्थापित करें और उसमें पानी, सुपारी, कुमकुम, फूल, बेल पत्र, सिंदूर आदि रखें। कलश को पंचमृत से पूर्ण करें और उसे धवनी दे।
3. माता ब्रह्मचारिणी की मूर्ति स्थापित करें: ब्रह्मचारिणी माता की मूर्ति या छवि को ध्यान में रखें और उनका पूजन करें। पंचामृत से उन्हें स्नान कराएं और शुद्ध गंध, कुमकुम और फूलों से उनका अर्चन करें।
4. दीप आराधना: दीपक जलाकर उन्हें आराधना करें और आरती गाएं।
5. प्रसाद भोग: ब्रह्मचारिणी माता को पुष्प, पंचमृत से भोग चढ़ाएं और फलों, मिश्री आदि से प्रसाद तैयार करें। उन्हें अर्पित करें और वितरण करें।
6. पुनः आरती गाएं: पूजा का अंत करने के लिए पुनः आरती गाएं और भगवान और माता ब्रह्मचारिणी के चरणों में अपनी भक्ति और प्रार्थना अर्पित करें।
7. पूजा का अंत: पूजा की अन्तिम संस्कार रोली, चावल, दुर्वा, गंध, कुमकुम, नीला पट्टा, मोली आदि से करें और पूजा को समाप्त करें।
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा में अपनी श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा करें और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करें। इस दिन उनकी पूजा से आपको साधना और संयम में सफलता मिलेगी।

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से आपको निम्नलिखित लाभ

1. साधना और संयम में सफलता: ब्रह्मचारिणी माता की पूजा से आपको साधना, संयम, और ध्यान में सफलता मिलती है। उनकी कृपा से आपके मन में स्थिरता आती है और आप आध्यात्मिक सफलता की ओर बढ़ते हैं।
2. शक्ति और सहायता: ब्रह्मचारिणी माता की पूजा से आपको शक्ति और सहायता मिलती है। उनकी कृपा से आप सभी कठिनाइयों को पार करने की क्षमता प्राप्त करते हैं और सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचते हैं।
3. शुभकामनाएं पूर्ण होने: ब्रह्मचारिणी माता की पूजा से आपके मन में शुभकामनाएं पूर्ण होती हैं। आपके सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और आप जीवन में सुख-शांति का अनुभव करते हैं।
4. भक्ति और शक्ति की प्राप्ति: ब्रह्मचारिणी माता की पूजा से आपको भक्ति और शक्ति की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से आप भक्ति में लीन होते हैं और आपमें सबलता आती है।
5. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति: ब्रह्मचारिणी माता की पूजा से आपको धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप जीवन में सभी क्षेत्रों में समृद्धि और सम्पन्नता प्राप्त करते हैं और मुक्ति की प्राप्ति होती है।
ध्यान दें कि पूजा को सभी भक्ति और श्रद्धा से करें और अपने मन को शुद्ध रखें। माता ब्रह्मचारिणी की कृपा से आपको सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी और आप जीवन में सफलता, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति करेंगे।

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा के बारे में 10 महत्वपूर्ण तथ्य 

1. दूसरे दिन की नवरात्रि: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन, शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर की जाती है।
2. व्रतब्रत धारण करने वाली: ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ होता है "व्रतब्रत धारण करने वाली"। उनकी तपस्या और संयम की प्रतीक्षा के कारण ही उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है।
3. दंडा और कमण्डलु: माता ब्रह्मचारिणी को वाम हाथ में दंडा और दक्षिण हाथ में कमण्डलु धारण करते हुए दिखाया जाता है।
4. धर्मिक सामग्री: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा में दीपक, धूप, दीप, पंचामृत, फूल, बेल पत्र, सुपारी, नारियल, पंचम्बित आदि धार्मिक सामग्री का प्रयोग होता है।
5. ध्यान मंत्र: ब्रह्मचारिण्यै नमः॥ यह मंत्र ब्रह्मचारिणी माता की पूजा में जाप किया जाता है।
6. नीलमणि रत्न: ब्रह्मचारिणी माता का वाहन कुंदली में वाम गाल पर एक नीलमणि रत्न का वाहन होता है।
7. सुंदर स्वरुप: माता ब्रह्मचारिणी को सुंदर स्वरुपी माता के रूप में पूजा जाता है, जिनकी वस्त्र और आभूषण विशेष रूप से प्रतिष्ठित होते हैं।
8. तपस्विनी: माता ब्रह्मचारिणी को तपस्विनी देवी का भी रूप कहा जाता है, जो ध्यान, साधना, और तपस्या के साथ वन विहार करती हैं।
9. धार्मिक महत्व: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से धार्मिक महत्व है, और भक्तों को ध्यान, साधना, और संयम के लिए प्रेरित करती है।
10. सुख, समृद्धि, और सफलता: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में खुशियां मिलती हैं।
यहां उपरोक्त तथ्य आपको माता ब्रह्मचारिणी की पूजा के महत्व और उनकी प्रतिष्ठा का अनुमान देते हैं। उनकी पूजा से आपको आध्यात्मिक उन्नति और साधना में सफलता मिलती है।

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