नैना देवी मंदिर, के पीछे एक पुरानी कथा / An old legend behind Naina Devi Temple

नैना देवी मंदिर, के पीछे एक पुरानी कथा

नैना देवी मंदिर 

भारत के उत्तराखंड राज्य के नैनीताल शहर में स्थित है। यह हिमालय के शिवालिक पर्वतमाला के पश्चिमी तलहटी में बसा हुआ है। मंदिर नैनीताल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और स्थानीय लोगों के बीच यह माँ नैना देवी की पूजा और भक्ति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
यह मंदिर नैनीताल के बजाज मेकेनिकल्स के संस्थान नगर नामक स्थान पर स्थित है और झील के साथ खूबसूरत नज़ारों को पेश करता है। मंदिर में माँ नैना देवी की मूर्ति स्थापित है, जिसे शक्ति पूजा के लिए प्रसिद्ध किया जाता है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक माहौल और धार्मिक आदर्शों के लिए लोगों की आकर्षण का केंद्र बना है।
मंदिर में विशेष अवसरों पर भक्तों का आगमन होता है, और वैष्णवी देवी के रूप में माँ नैना देवी की पूजा विशेष धूमधाम से की जाती है। नैना देवी मंदिर नैनीताल शहर के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों के पर्यटन को बढ़ाने में भी एक महत्वपूर्ण योगदान देता है।कुल मिलाकर, यह एक धार्मिक और प्राकृतिक स्थान है जो आध्यात्मिक शांति और चैन की तलाश में आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करता है।

 नैना देवी मंदिर, की पुरानी कथा

नैना देवी मंदिर, नैनीताल की कथा में भगवानी नैना देवी के इतिहास का वर्णन होता है। इसके पीछे एक पुरानी कथा है, जो माँ नैना देवी के पूजा और महत्व को समझाती है। नैना देवी की कथा के अनुसार निम्नलिखित है:
कई सदियों पहले, नैनीताल शहर एक छोटे से गाँव के रूप में विकसित था। यहां एक समर्थ और धार्मिक राजा राज करता था, जिसका नाम सिलाद्ध्युम्न था। राजा सिलाद्ध्युम्न की रानी का नाम माधवी था। वे दोनों बहुत संतुष्ट और भक्तिमय थे और अपने राज्य की सुख-शांति के लिए भगवानी नैना देवी की पूजा करते थे।
एक दिन, राजा और रानी नैना देवी के दर्शन के लिए जंगल में घूमने गए। वहां पर उन्होंने एक सुंदरी स्त्री को देखा, जिसका नाम सुषोब्धा था। राजा और रानी उसके सौंदर्य को देखकर मोहित हो गए और राजा ने उसे अपनी रानी के सामने प्रस्तुत किया और अपनी दृष्टि में उसके साथ बिताने की इच्छा जताई। रानी माधवी ने इसे सही मानते हुए राजा को उससे विवाह करने की अनुमति दी।
इस घटना के कुछ समय बाद, सुषोब्धा के भाई नामक युवक जानकी बहन के साथ भगवानी नैना देवी के मंदिर में आया और उनसे नैना देवी के दर्शन करवाने को निवेदन किया। भगवानी ने उनकी प्रार्थना सुनी और राजा और रानी को सच्चाई का आभास हुआ। वे अपनी भूल को समझते हुए सुषोब्धा से विदाई ले आए और फिर से भक्ति के साथ नैना देवी की पूजा और सेवा करने लगे।
इस कथा से समझा जाता है कि नैना देवी मंदिर के स्थानीय लोग भगवानी की भक्ति को प्रतिष्ठित करते हैं और अपने जीवन में ईश्वरीय मूल्यों का सम्मान करते हैं। इस मंदिर के चारों ओर का प्राकृतिक सौंदर्य भी इसको एक विशेष स्थान बनाता है जो पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।

नैना देवी मंदिर, नैनीताल के 10 महत्वपूर्ण तथ्य:

नैना देवी मंदिर नैनीताल शहर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां पर एकांत, शांति और धार्मिक आत्मा को चित्रित करने वाला वातावरण है। नीचे दिए गए हैं नैना देवी मंदिर, नैनीताल के 10 महत्वपूर्ण तथ्य:
1. प्रसिद्ध मंदिर: नैना देवी मंदिर नैनीताल शहर का एक प्रसिद्ध और पवित्र मंदिर है, जो माँ नैना देवी की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
2. स्थान: मंदिर हिमालय के शिवालिक पर्वतमाला के पश्चिमी तलहटी में स्थित है।
3. पर्वतीय तालाब: मंदिर के पास तालाब है, जिसे नैनी झील के नाम से भी जाना जाता है। यह तालाब एक प्रसिद्ध पर्वतीय पर्यटन स्थल है।
4. ऐतिहासिक महत्व: मंदिर का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में 15 वीं सदी में हुआ था।
5. उत्सव: नैना देवी मंदिर में नवरात्रि के दौरान बड़ा उत्सव मनाया जाता है, जिसमें भगवानी की भक्ति और धूमधाम से पूजा की जाती है।
6. पारंपरिक आर्किटेक्चर: मंदिर का आर्किटेक्चर पारंपरिक पहाड़ी शैली में निर्मित है और इसकी दीवारें और स्तंभ मार्मिक ग्रंथियों से सजी हुई हैं।
7. प्राकृतिक सौंदर्य: मंदिर के चारों ओर का प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक पर्यटक आकर्षण बनाता है।
8. ट्रेकिंग स्थल: मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको छोटे से ट्रेक यात्रा का सामना करना पड़ता है, जिससे पर्वतीय क्षेत्र का अनुभव होता है।
9. श्रद्धालुओं का केंद्र: मंदिर पर्वतीय इलाके के श्रद्धालुओं का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जो यहां पूजा और भक्ति का आनंद लेते हैं।
10. पर्वतीय पर्यटन: नैना देवी मंदिर नैनीताल के पर्वतीय पर्यटन के लिए भी एक महत्वपूर्ण गंतव्य स्थल है, जो इसके आस-पास घूमने वाले पर्यटकों को आकर्षित करता है।
ये थे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जो नैना देवी मंदिर, नैनीताल के बारे में हैं। यहां आने वाले लोग नैनीताल के प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आत्मा का आनंद लेते हैं।

नैना देवी मंदिर, नैनीताल में पूजा की विधि निम्नलिखित तरीके से 

नैना देवी मंदिर, नैनीताल में पूजा की विधि निम्नलिखित तरीके से की जाती है। पूजा की विधि का अनुसरण करने से पूर्व, आपको इस तथ्य का ध्यान देना चाहिए कि नैना देवी मंदिर पर स्थानीय अनुसंधान और पूजा विधान का पालन किया जाता है। इसलिए, आपको पहले मंदिर प्राधिकरण या पुजारी से पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहिए।
पूजा की विधि में आम तौर पर निम्नलिखित कदम होते हैं:
1. स्नान और वस्त्र धारण: पूजा करने से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र (पूजा के लिए विशेष वस्त्र) पहनें।
2. पूजा स्थल साफ़ करें: पूजा स्थल को धूलीधोई करें और साफ़ सुथरा रखें।
3. पूजा सामग्री: माँ नैना देवी को पूजने के लिए दिया, फूल, धूप, दीपक, अगरबत्ती, कंचन, चावल, फूल माला, बेल पत्र, गंध, अक्षत चावल, पुष्पांजलि आदि की तैयारी करें।
4. पूजा के समय: नैना देवी मंदिर में नैतिक दिन के अनुसार पूजा का समय निर्धारित होता है। यहां नियमित रूप से सुबह और शाम को पूजा होती है।
5. पूजा के रीती-रिवाज: पूजा रूप से आरंभ करने से पहले आपको अपने मन में शुद्धता और विशेष भावना के साथ आराधना करनी चाहिए। फिर धूप और दीपक जलाएं, पुष्पांजलि चढ़ाएं और मन की मंगल कामना ज्ञापित करें।
6. पुजारी के संग: आप पूजा को स्वयं कर सकते हैं या यदि आपको पूजा विधि का अनुभव नहीं है, तो मंदिर के पुजारी के साथ सहायता ले सकते हैं।
7. आरती: पूजा के अंत में माँ नैना देवी की आरती गाने का अनुष्ठान करें और उन्हें प्रसाद चढ़ाएं।
8. भोजन: अधिकांश मंदिरों में पूजा के बाद प्रसाद खिलाया जाता है। नैना देवी मंदिर में भी पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है।
यहां उपरोक्त विधि एक सामान्य पूजा विधि का अनुमान है, लेकिन इसमें बदलाव हो सकते हैं और स्थानीय अनुसंधान और परंपरा के अनुसार अन्य रीतियां भी हो सकती हैं। आपको मंदिर प्राधिकरण या पुजारी से पू
र्ण जानकारी प्राप्त करना चाहिए और उनके मार्गदर्शन में पूजा करना चाहिए।

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