मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के नियम [ मां ब्रह्मचारिणी आरती ]

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के नियम:-

-माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना के समय पीले या सफेद वस्त्र पहनें।

माँ को सफेद वस्तुएं अर्पित करें जैसे- मिश्रीशक्कर या पंचामृत।

- 'स्वाधिष्ठान चक्रपर ज्योति का ध्यान करें या उसी चक्र पर अर्ध चन्द्र का ध्यान करें।

माँ ब्रह्मचारिणी के लिए "ऊं ऐं नमः" का जाप करें और जलीय और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।


माँ का करें इस मंत्र से जाप

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

मां ब्रह्मचारिणी आरती

जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो ​तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

 

माता ब्रह्मचारिणी माँ दुर्गा का दूसरा स्वरूप है, जो कि भक्तों और सिद्धों को शुभ और अनंत फल देने वाला है। साथ ही इनकी तपस्या से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की बढ़ोतरी होती है। वहीं मां ब्रह्मचारिणी की आरती सुनने से भी मन को बेहद शांति पहुंचती है। यहां पढ़ें माता ब्रह्मचारिणी की आरती।

 

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

 

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

 

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

 

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

 

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

 

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो ​तेरी महिमा को जाने।

 

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

 

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

 

ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

 

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

 

नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है तो वहीं दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की आराधना। ये देवी भी हर मनोकामना पूर्ण करती है। कहते हैं इस दिन कुंडलिनी शक्तियों को जागृत करने के लिए भी साधना की जाती है।

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