भगवान राम के प्रसिद्ध कथाएं

भगवान राम के प्रसिद्ध कथाएं  Famous stories of Lord Ram

भगवान राम की कई कथाएं हैं जो अत्यंत प्रसिद्ध हैं। यहां कुछ सुनी-अनसुनी कथाएं हैं:
  1. राम-हनुमान की मित्रता:** भगवान राम और हनुमान की अनूठी मित्रता की कथा अत्यंत प्रसिद्ध है। हनुमान ने राम की भक्ति में अनवरत रूप से सेवा की और उनकी मित्रता को अद्वितीय बनाया।
  2. राम-लक्ष्मण का बंधुत्व:** राम और लक्ष्मण का बहुत ही गहरा बंधुत्व था। उनकी भाईचारे की कहानी भी अद्भुत है और उनका परस्परी समर्थन भी।
  3. सीता हरण की कथा:** रावण द्वारा सीता का हरण करने की कोशिश और उसके बाद राम की लंका यात्रा की रोचक कथा है।
  4. हनुमान और संजीवनी बूटी:** हनुमान ने लंका में सीता माता को खोजते समय संजीवनी बूटी लेकर आने की कथा भी अनसुनी है।
  5. रामायण में राक्षसों का संहार:** भगवान राम के द्वारा राक्षसों का संहार और धर्म की रक्षा की कथा भी अत्यंत रोमांचक है।
  6. राम-रावण युद्ध:** राम और रावण के बीच हुए महायुद्ध की कथा भी महत्त्वपूर्ण है, जिसमें धर्म की जीत हुई।
  7. राम-भरत मिलन:** भरत की स्नेहभरी भाईचारे और राम के पुनर्वापसी में उनकी आपसी मिलन की कथा भी बहुत ही प्रेरणादायक है।
  8. राम-हनुमान संवाद:** भगवान राम और हनुमान के संवाद में उनके गुणों और विश्वास की महत्ता है।
  9. राम के राज्याभिषेक की कथा:** अयोध्या में राम के राज्याभिषेक की गाथा भी अत्यंत गौरवपूर्ण है।
  10. राम-सीता का विवाह:** राम और सीता का विवाह भी एक रोमांचक और प्रेरणादायक कथा है जो प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
ये केवल कुछ कथाएं हैं, भगवान राम की कई और रोमांचक कथाएं हैं जो उनकी महिमा को दर्शाती हैं।

भगवान राम के राज्याभिषेक की कथा

राम के राज्याभिषेक की कथा रामायण महाकाव्य में एक महत्त्वपूर्ण घटना है। यह उस समय की कहानी है जब भगवान राम अयोध्या के राजा बनने जा रहे थे।
अयोध्या में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और भरत के बीच बड़ी खुशियों की भव्यता महसूस हो रही थी। लेकिन कैकेयी ने भरत को राजा बनाने के लिए दशरथ को उसके अभिषेक करने की चाह का विचार किया। यह दशरथ के मन को बहुत दुखित कर दिया।
भरत ने यह जानकर कि उनकी माता का यह कदम भ्रांतिपूर्ण है, स्वीकार किया कि राजा वही बनेंगे जो पिताजी की इच्छा थी। भरत ने राम को चित्रकूट पर्वत पर जा कर उन्हें राजा बनाने का प्रस्ताव सुनाया।
राम ने भरत की इस विनती को स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने यह कहा कि उन्हें पिताजी की इच्छा का पालन करने के लिए 14 साल का वनवास करना होगा। वनवास के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण वन में चले गए और वहां कई प्रमुख और महत्त्वपूर्ण घटनाएं हुईं।
इस रीति में, भगवान राम ने अपनी पिताजी की इच्छा का पालन करते हुए वनवास में चले गए। इस घटना ने उनके वचननीति, धर्म और पितृभक्ति का प्रतीक बनाया। राज्याभिषेक के स्थान पर, राम के वनवास का इस तरह का निष्कर्ष प्रस्ताव किया गया था।

भगवान राम-भरत मिलन

भगवान राम और भरत का मिलन भगवान रामायण महाकाव्य में एक अत्यंत प्रेरणादायक और भावनात्मक पल है। जब राम, सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष के वनवास के लिए चले गए थे, तो राजा दशरथ का विचलित होना नारियल द्वारा किए गए एक अप्रत्याशित काम के बाद हुआ था।
राजा दशरथ की मृत्यु के बाद, उनके पुत्र भरत जनता के सामान्य भावनाओं को समझते हुए और राजा के अंतिम इच्छा का पालन करने के लिए राम को वापस आने के लिए प्रेरित करते हुए, उन्हें वापस अयोध्या लाने के लिए निवेदन करते हैं।
राम ने वनवास का अधिकांश समय उनके अधीनता और धर्म का पालन करते हुए बिताया था, और इस बात का उन्हें पता था कि उनके पिताजी की मृत्यु हो चुकी है। भरत के आग्रह पर, राम और उनका भाई लक्ष्मण वापस अयोध्या लौट आते हैं।
राम और भरत का इस मिलन का वर्णन रामायण में बहुत ही दृश्यमयी तरीके से किया गया है। भरत की पीड़ा, राम के प्रति उनका समर्थन और प्रेम, और उनका भाईचारे में गहरा संबंध, ये सब कुछ इस मिलन में प्रकट होता है।
राम ने भरत को राजा बनाने के लिए सहमति दी, लेकिन भरत ने इसे नकार दिया और कहा कि राजा का अधिकार सिर्फ राम का है। वे सिर्फ राम की चरण धूलि के लिए वापस लौटने के लिए प्रार्थना करते हैं। इस समय पर राम ने अपनी प्राणशक्ति को देखा और वे भरत के साथ राज गये।
यह मिलन उनके परस्पर के प्रेम और समर्थन की मिशाल है, जो रामायण में एक अनूठा और सामाजिक अध्याय है।

भगवान राम धर्म और रावण अधर्म के बीच संघर्ष 

राम-रावण युद्ध रामायण महाकाव्य का एक महत्त्वपूर्ण भाग है, जिसमें धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष का प्रतीक है।
रावण, लंका के राजा, एक विद्वान्, बलशाली और दुराचारी राक्षस था। उसने सीता माता को हरण किया था और उसे लंका में अपने अशोक वन में बंद किया था। इसके परिणामस्वरूप, भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण ने हनुमान और अन्य वानरों के साथ लंका तक एक महायुद्ध की यात्रा की।
राम और उनकी सेना ने राक्षस सेना के सामने खड़ी होकर महान पराक्रम दिखाया। युद्ध के दौरान, राम ने अपने अद्वितीय धर्म, सामर्थ्य और वीरता का प्रदर्शन किया। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष किया और अंत में रावण को पराजित किया।
युद्ध के दौरान, रावण ने बहुत कठिनाईयों का सामना किया, लेकिन उसका अधर्मी वृत्तिक्रमन उसकी हानि में बदल गया। भगवान राम ने धर्म की जीत की और रावण को मारकर धर्म की विजय का संदेश दिया।
यह युद्ध धर्म और अधर्म के संघर्ष का प्रतीक था, जो धर्म की जीत को प्रतिष्ठापित करता है और सत्य, न्याय, और समर्थन के महत्त्व को दर्शाता है। इससे भगवान राम का चरित्र और उनके धर्म के प्रति समर्पण का संदेश मिलता है।

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