राम तीरथ मंदिर, में आरती के दौरान अनेक प्रार्थनाएं

राम तीरथ मंदिर, में आरती के दौरान अनेक प्रार्थनाएं Many prayers during the aarti in Ram Tirath temple,

राम तीरथ मंदिर, अमृतसर में आरती के दौरान अनेक प्रार्थनाएं और श्लोक उच्चारित किए जाते हैं, जो भक्तों की आरती और ध्यान को उन्नत करने के लिए होते हैं। यहां कुछ श्लोक और प्रार्थनाएं हो सकती हैं, जो आरती के दौरान पढ़े जाते हैं:
  1. श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं।"** - यह श्लोक भगवान राम की कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करता है।
  2. रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम।"** - यह श्लोक भगवान राम की महिमा गाता है और उनके धर्मराजीत्व का स्मरण कराता है।
  3. श्री रामजी की आरती जो कोई नर गावै।"** - यह श्लोक रामजी की आरती का स्तुति करता है और भगवान की महिमा का गान करता है।
  4. मंगल भवन अमंगल हारी।"** - यह श्लोक पूजा के समय भगवान की कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करता है।
ये श्लोक और प्रार्थनाएं आरती के दौरान उच्चारित की जाती हैं, जो भगवान की पूजा, स्तुति और प्रार्थना के लिए होती हैं।
  • "श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं" यह श्लोक भगवान राम को समर्पित है और इसमें उनकी महिमा और कृपा का गान किया गया है। 
श्लोक का अर्थ होता है
"अहो, हे मन! भज भगवान रामचंद्र को, जो कृपालु हैं और मनुष्य के मन को हर लेते हैं। वह भवरोग का भय हरने वाले भयंकर हैं।"
यह श्लोक भगवान राम की कृपा, उनकी महिमा और उनके भक्त को भव और भय से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करता है। यह श्लोक भक्ति और भावना के साथ भगवान की प्राप्ति के लिए उदासीनता और भय को हरने का संदेश देता है।
  • "रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम" यह श्लोक भगवान राम को समर्पित है और इसमें उनकी महिमा और उनके गुणों का गान किया गया है।
इस श्लोक का अर्थ होता है
"रघुपति राघव राजाराम" - यहां 'रघुपति' भगवान राम को संबोधित करता है, जो रघु वंश के राजा थे और 'राघव' उन्हें फिर से राजा बताता है।
"पतित पावन सीताराम" - यह कहता है कि भगवान राम पतितों को पावन करने वाले हैं, अर्थात्, वे जो भगवान की शरण लेते हैं, उनकी पापों को नष्ट करते हैं। 'सीताराम' में 'सीता' का संदेश है, जो भगवान की पत्नी थीं।
इस श्लोक में भगवान राम की महिमा और उनके गुणों की स्तुति की गई है, जो पतितों को पावन करने और उन्हें दुःखों से मुक्ति देने वाले हैं।
  • "श्री रामजी की आरती जो कोई नर गावै" यह श्लोक भगवान राम की आरती का स्तुति करता है और कहता है कि जो कोई भी मनुष्य इस आरती को गाता है।
इस श्लोक का अर्थ होता है
"जो कोई भी मनुष्य श्री रामजी की आरती गाता है, वह पापों से मुक्त हो जाता है और भगवान की कृपा को प्राप्त करता है। उसका मन शुद्ध हो जाता है और वह धार्मिकता और भक्ति की ओर बढ़ता है।"
यह श्लोक भगवान राम की महिमा, उनके आराधना और पूजन की महत्ता को बताता है, और यह भक्तों को आरती गाने की प्रेरणा देता है ताकि वे उनकी पूजा और स्तुति करें और उनकी कृपा को प्राप्त करें।
  • "मंगल भवन अमंगल हारी" श्लोक श्री रामचंद्रजी की महिमा और उनकी कृपा की प्रार्थना करता है।
इस श्लोक का अर्थ होता है कि "यह मंगल का भवन है, सब मंगल से रहित होता है"। यहां 'मंगल' वह सुखद स्थान है जहां धर्म, समृद्धि, शांति और शुभता होती है। इस श्लोक में प्रार्थना की गई है कि भगवान राम के आशीर्वाद से हर बुराई और अशुभता दूर हो जाए, और सभी को सुख, शांति और शुभ फल प्राप्त हो।
यह श्लोक श्री रामचंद्रजी के शुभ समय में उनकी प्रार्थना के लिए प्रयोग होता है, जिससे उनके आशीर्वाद से सभी को शुभ और मंगल प्राप्त हो।

भगवान राम की आरती

भगवान राम की आरती के बारे में, "श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं" एक प्रसिद्ध आरती है जो भगवान राम की महिमा और उनकी कृपा को स्तुति करती है। यहां कुछ पंक्तियाँ हैं इस आरती की:
श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं।  
नवकंज लोचन कंजमुख कर कंजपद कंजारुणं॥  
कंदर्प अगणित अमित छबि नावनील नीरज माथे।  
पंकज नेत्र प्रभाति कंज पद कंजारुणं॥  
भाल राजित मुकुट शुची शुंभर सून्दरी भाले।  
बाल ब्रह्मचारिनि संतत राम चंद्र की जय॥
इस आरती में भगवान राम की शक्ति, सौंदर्य, और कृपा की स्तुति है और इसे उच्चारण करके भक्तिभावना का अनुभव किया जाता है। यह आरती उनकी पूजा में भक्तों की श्रद्धा और आदर को व्यक्त करती है।

राम तीरथ मंदिर, अमृतसर में आरती का आयोजन

राम तीरथ मंदिर, अमृतसर में आरती का आयोजन धार्मिक उत्सव और पूजा के दौरान किया जाता है। आरती मंदिर में भक्तों और पुजारियों द्वारा भगवान की महिमा का गान करने और उनकी पूजा-अर्चना करने का एक धार्मिक रीति और अद्भुत संगीतीय अनुभव होता है।
आरती के दौरान, प्रार्थनाएं और श्लोक गाए जाते हैं, जो भक्तों के माध्यम से भगवान की प्राप्ति और आशीर्वाद के लिए होती है। यहां कुछ लोकप्रिय आरती के पंक्तियाँ हो सकती हैं, जो मंदिर में उच्चारित की जाती हैं:
जय राम राम जय जय राम। हरि राम हरि राम जय जय राम।"
श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं। नवकंज लोचन कंजमुख कर कंजपद कंजारुणं॥"
मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी॥"
यह आरती के पंक्तियाँ और मंदिर में उच्चारित की जाने वाली मंत्रात्मक पद्य हैं, जो भक्तों को भगवान के श्रेष्ठता का अनुभव कराते हैं और उन्हें धार्मिक भावना से भर देते हैं।

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