रामचरितमानस साधु संत की महिमा, बाग की सुंदरता

रामचरितमानस  साधु संत की महिमा, बाग की सुंदरता। Ramcharitmanas, glory of sages and saints, nature of the garden.

साधु संत की महिमा
सुकृती साधु नाम गुन गाना। ते बिचित्र जल बिहग समाना॥
संतसभा चहुँ दिसि अवँराई। श्रद्धा रितु बसंत सम गाई॥247

इस दोहे में सुकृती या पुण्यमयी आत्मा की महिमा का गाना किया गया है।
सुकृती या साधुओं के नामों की महिमा गान करती हैं, जिनकी कर्मों ने जीवन में सुख और शांति का स्रोत बनाया हो। वे जल की बिचित्रता और जलचर पक्षियों की तरह अनूठे होते हैं।
उनके संग संतों की सभा में चारों दिशाओं में अवस्थिति रहती है, जहाँ श्रद्धा और विश्वास की ऋतु समानता के साथ वसंत ऋतु की तरह महसूस होती है।
इस दोहे का अर्थ है कि सुकृती या पुण्यमयी आत्माओं का गुणगान करना, उनके साथ संगति में रहना और उनकी महिमा को समझना मानव जीवन में शांति और सुख का स्रोत बनाता है।

भक्ति के विभिन्न रूप।
भगति निरुपन बिबिध बिधाना। छमा दया दम लता बिताना॥
सम जम नियम फूल फल ग्याना। हरि पत रति रस बेद बखाना॥248

यह श्लोक संस्कृत में है और इसका अर्थ:-
"भक्ति का निरूपण विभिन्न विधान है। क्षमा, दया, धैर्य और लगाव से युक्त जीवन बिताना॥
समता, नियम, फल-फूल और ज्ञान का साधना करना। भगवान के प्रति प्रेम, रस और वेदों का बखाना॥"
इस श्लोक में भक्ति यानी भगवान के प्रति श्रद्धा और समर्पण का मार्ग वर्णित है। इसमें क्षमा, दया, धैर्य, समता, नियम, ज्ञान, भगवान के प्रति प्रेम और वेदों का अध्ययन जैसे गुणों को साधक के जीवन में समाहित करने का संकेत है।
औरउ कथा अनेक प्रसंगा। तेइ सुक पिक बहुबरन बिहंगा॥ 249

"औरउ" शब्द का अर्थ है 'और' या 'अधिक'. "कथा अनेक प्रसंगा" अर्थात एक कथा में कई प्रसंग होते हैं। यहां 'कथा' एक व्यक्ति या घटना की कहानी को दर्शाता है जिसमें कई प्रसंग हो सकते हैं। "तेइ सुक पिक बहुबरन बिहंगा" अर्थात यहाँ "तेइ" शब्द से तात्पर्य है 'वही', "सुक" शब्द का अर्थ है 'सुना', "पिक" का अर्थ है 'पुनः', "बहुबरन" का अर्थ है 'अनेक बार', और "बिहंगा" का अर्थ है 'पक्षी'। इस पंक्ति में कहा गया है कि एक ही कथा या घटना को बहुबार सुनने से मानो वह पक्षी कई बार उड़ता है या सुनता है।
इस पंक्ति का अर्थ है कि एक ही कहानी या घटना को बार-बार सुनने से हमें उसके विभिन्न पहलुओं, भावनाओं, और संदेशों की अधिक समझ मिलती है। यह व्यक्तिगत अनुभवों और जीवन की सीख सिखाता है कि हर बार हम कोई कहानी सुनते हैं, तो हमें नए-नए संदेश, नये नजरिए और अनुभव मिलते हैं।

बाग की सुंदरता।
पुलक बाटिका बाग बन सुख सुबिहंग बिहारु।
माली सुमन सनेह जल सींचत लोचन चारु॥250

यह पंक्ति भारतीय संस्कृति में लोकप्रिय है। "पुलक" का अर्थ है 'उन्मत्तता' या 'उत्तेजना', "बाटिका" का अर्थ है 'पतंग', "बाग" का अर्थ है 'बगीचा' और "सुख सुबिहंग बिहारु" का अर्थ है 'खुशियों के सुन्दर अंशों से भरा हुआ बगीचा'।
"माली सुमन सनेह जल सींचत लोचन चारु" का अर्थ है 'माली जो कि पुष्प, प्रेम और प्यार के संदेश के समान होता है, वह जल को सींचते हैं, और उनकी आँखें चारु होती हैं'।
इस पंक्ति में बगीचे के रूप में जीवन की सुंदरता और सुख को व्यक्त किया गया है। माली यहाँ प्रेम और समर्पण का प्रतीक है जो हमें अपने जीवन में खुशियों और सुंदरता को बोने के लिए समर्थ बनाता है।

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