सुधार की प्रेरणा ग्रंथ रामचरितमानस {236-241}

सुधार की प्रेरणा  ग्रंथ रामचरितमानस Ramcharitmanas, the book that inspired reform

संभु प्रसाद सुमति हियँ हुलसी। रामचरितमानस कबि तुलसी॥
करइ मनोहर मति अनुहारी। सुजन सुचित सुनि लेहु सुधारी॥236

यह श्लोक बहुत ही प्रेरणादायक है! इसमें कहा गया है कि जब हम अच्छे लोगों से अच्छी बातें सुनते हैं, तो हमारा मन उनकी अच्छी बातों को अपनाता है और हम अपनी गलतियों को सुधारते हैं। यह श्लोक भगवान राम की कहानी को बताने वाले ग्रंथ 'रामचरितमानस' के लेखक, कवि तुलसीदास जी को समर्पित है।

राम भक्ति श्लोकार्थ।
सुमति भूमि थल हृदय अगाधू। बेद पुरान उदधि घन साधू॥
बरषहिं राम सुजस बर बारी। मधुर मनोहर मंगलकारी॥237

यह श्लोक भगवान राम की महिमा को व्यक्त करता है। इसमें रामचंद्र जी के गुणों का वर्णन है, जिन्होंने सभी लोगों के हृदय में आदर्श और प्रेम की भावना को जागृत किया। इस श्लोक में रामचंद्र जी के गुणों की प्रशंसा की गई है, जो उन्हें मधुर, मनोहर, और मंगलकारी बनाते हैं।

प्रेम और भक्ति
लीला सगुन जो कहहिं बखानी। सोइ स्वच्छता करइ मल हानी॥
प्रेम भगति जो बरनि न जाई। सोइ मधुरता सुसीतलताई॥238

यह दोहे बहुत ही सुंदर और गहरी भावनाओं से भरे हुए हैं। इनका अर्थ है कि जो व्यक्ति दूसरों को प्रेम और भक्ति से देखता है, वही सच्ची मधुरता और सुसीतलता का स्रोत बन जाता है। प्रेम और भक्ति में जो व्यक्ति खो जाता है, उसे स्वच्छता की कोई जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि उसकी सोच और भावनाएं स्वच्छता की तरह पवित्र होती हैं।
जल सुखी और ज्ञानवान
सो जल सुकृत सालि हित होई। राम भगत जन जीवन सोई॥
मेधा महि गत सो जल पावन। सकिलि श्रवन मग चलेउ सुहावन॥239

यह बातें सुनकर जीवन में सुखी महसूस होता है, जैसे जल की पवित्रता में होती है। जीवन को समृद्धि और सही दिशा में चलाने का तरीका राम भक्ति में छिपा होता है। स्थिति को समझने और सीखने के लिए हमें विवेकी बुद्धि की आवश्यकता होती है। जैसे जल सभी में समान रूप से समृद्धि लाता है, वैसे ही विवेकी बुद्धि भी सभी को सुंदर और सहज रास्ता दिखाती है।

सुमन्त्रित जीवन कौशल।
भरेउ सुमानस सुथल थिराना। सुखद सीत रुचि चारु चिराना॥240

यस्तो सुन्दर श्लोक छ जो काव्यात्मक रूपमा सजिलै मनलाई छून सक्दछ। यो श्लोक संस्कृत भाषामा लेखिएको हो र नेपालीमा अनुवाद गरेको छ:
"सुमनहरूले भरेको सुगन्ध विशेष तिरेको छ। खुशीको अनुभव गर्दा सुख, शान्ति र मनोहरता लाग्छ।।"

मनोहरता और बुद्धि
सुठि सुंदर संबाद बर बिरचे बुद्धि बिचारि।
तेइ एहि पावन सुभग सर घाट मनोहर चारि॥ 241

यह अद्भुत श्लोक जीवन की सुंदरता और आध्यात्मिकता को दर्शाता है। यह कहता है कि जो व्यक्ति बुद्धिमान और विचारशील होता है, वही सच्चा सुंदरता को समझता है। इसमें बताया गया है कि सच्चे सौंदर्य को समझने के लिए व्यक्ति को उस सरलता और मनोहरता को देखना चाहिए, जो प्राकृतिक रूप से हमारे चारों ओर है।

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