Kamada Ekadashi Vrat : मनोकामना पूर्ण करने वाली कामदा एकादशी,Manokaamana Poorn Karane Vaalee Kaamada Ekaadashee

Kamada Ekadashi Vrat : मनोकामना पूर्ण करने वाली कामदा एकादशी

कामदा एकादशी चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को होती है। सांसारिक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस एकादशी का व्रत किया जाता है। इस एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है। नवसंवस्तर में आने के कारण यह वर्षभर में आने वाली सभी एकादशी में सबसे खास होती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति कामदा एकादशी का व्रत करता है उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। साथ ही, उसको वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलता है।

Manokaamana Poorn Karane Vaalee Kaamada Ekaadashee

कामदा एकादशी से जुड़ी व्रत कथा

कामदा एकादशी व्रत कथा की शुरुआत प्राचीन काल में भोगीपुर नाम के शहर से होती है. कथा भोगीपुर नाम के एक नगर की है, जिसके राजा थे पुण्डरीक। भोगीपुर नगर में अप्सरा, किन्नर तथा गंधर्व रहते थे। इसी नगर में अत्यंत वैभवशाली स्त्री पुरुष ललिता और ललित रहते थे। उन दोनों के बीच इतना स्नेह था कि वह कुछ देर के लिए भी एक दूसरे से अलग नहीं रह पाते थे। ललित राजा के दरबार में एक दिन गंधर्वों के साथ गान करने पहुंचा। लेकिन गाते-गाते उसे ललिता की याद आ गई और उसका सुर बिगड़ गया। इस पर क्रोधित राजा पुण्डरीक ने ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया और उसी क्षण ललित विशालकाय राक्षस बन गया। उसका शरीर आठ योजन का हो गया। उसकी पत्नी ललिता को इस बारे में मालूम हुआ तो वह बहुत दुखी हो गई और कोई रास्ता निकालने की कोशिश करने लगी। पति के पीछे-पीछे घूमती ललिता विन्ध्याचल पर्वत जा पहुंची। वहां उसे श्रृंगी ऋषि मिले। ललिता ने सारा हाल बताया और श्रृंगी ऋषि से कुछ उपाय बताने का आग्रह किया। श्रृंगी ऋषि ने ललिता को कहा कि चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है। इसका व्रत करने से मनुष्य के सब कार्य सिद्ध होते हैं। यदि तू कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को दे तो वह शीघ्र ही राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा और राजा का श्राप भी अवश्यमेव शांत हो जाएगा। मुनि की यह बात सुनकर ललिता ने चैत्र शुक्ल एकादशी व्रत करना शुरू कर दिया। द्वादशी के दिन वह ब्राह्मणों को भोजन कराती और दान देती। एकादशी व्रत का फल अपने पति को देती हुई भगवान से इस प्रकार प्रार्थना करने लगी- हे प्रभो! मैंने जो यह व्रत किया है, इसका फल मेरे पतिदेव को प्राप्त हो जाए, जिससे वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएं। एकादशी का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ। फिर अनेक सुंदर वस्त्राभूषणों से युक्त होकर ललिता के साथ विहार करने लगा। उसके पश्चात वे दोनों विमान में बैठकर स्वर्गलोक को चले गए। वशिष्ठ मुनि कहने लगे कि हे राजन्! इस व्रत को विधिपूर्वक करने से समस्त पाप नाश हो जाते हैं और राक्षस आदि की योनि भी छूट जाती है। संसार में इसके बराबर कोई और दूसरा व्रत नहीं है। इसकी कथा पढ़ने या सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

कामदा एकादशी व्रत  के लाभ

धर्म ग्रंथों के मुताबिक, कामदा एकादशी व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिलती है. इस व्रत के दो बड़े लाभ होते हैं:
  • राक्षस आदि की योनि से छुटकारा मिल जाता है.
  • सर्वकार्य सिद्धि और सभी कामनाओं को पूर्ण करती है
  • इस व्रत से ब्रह्महत्या और अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है.
  • यह एकादशी पिशाचत्व आदि दोषों का भी नाश करने वाली है.
  • इस व्रत और कथा सुनने से वाजपेय यज्ञ का पुण्य मिलता है.
  • इस व्रत से व्यक्ति की सभी बुरी आदतें भी दूर हो जाती हैं.
  • इस व्रत से घर में कलेश और दुख दूर हो जाते हैं.
  • इस व्रत से जीवन में सुख-शांति और संपन्नता आती है.
  • पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सुहागन स्त्रियां अगर कामदा एकादशी का व्रत रखती हैं तो वह अखंड सौभाग्यवती रहती हैं.
  • कामदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति की गुप्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख शांति बनी रहती है. 

कामदा एकादशी पूजा विधि

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कामदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं. भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, पंचामृत, फल, और चढ़ाएं. इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. भगवान विष्णु को भोग लगाएं. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. भगवान विष्णु को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है

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