मां सिद्धिदात्री का अर्थ और मंत्र,आरती,कथा और पूजा के फ़ायदे,Maa Mahagauri Ka Arth,Mantr,Aarti,story Aur Pooja Ke Faayade

मां सिद्धिदात्री का अर्थ और मंत्र,आरती,कथा और पूजा के फ़ायदे

मां सिद्धिदात्री का अर्थ है: सिद्धि का अर्थ है अलौकिक शक्तियां, धात्री का अर्थ है देने वाली मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इनकी पूजा अर्चना करने से धन, यश और बल की प्राप्ति होती है मां सिद्धिदात्री, हिंदू देवी पार्वती के नवदुर्गा रूपों में नौवीं और आखिरी रूप हैं. नवरात्रि के नौवें दिन उनकी पूजा की जाती है

जाने कौन हैं माता सिद्धिदात्री

मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मान्यता है कि इनकी कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियां मिली थीं. कहा जाता है कि इनकी पूजा करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों के भय, शोक और रोग नष्ट हो जाते हैं. माता रानी अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसे मोक्ष भी प्रदान करती हैं

Maa Mahagauri Ka Arth,Mantr,Aarti,story Aur Pooja Ke Faayade

आराधना मंत्र मां सिद्धिदात्री की

  • या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
  • ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:
  • भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।
  • सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

माँ सिद्धिदात्री स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥

सिद्धिदात्री माता की आरती

जयसिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता ।
तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे।
जो तेरी मूर्ति को ही मन में धरे॥
जो तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली ॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।।

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मां सिद्धिदात्री की कथा

देवी के कथनानुसार तीनों देव आत्मचिंतन करते हुए जगतजननी से मार्गदर्शन हेतु कई युगों तक तपस्या मे लीन रहें। अंतत: उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर महाशक्ति ‘माँ सिद्धिदात्री’ (Siddhidatri) के रूप मे प्रकट हुईं। देवी ‘माँ सिद्धिदात्री’ ने ब्रह्माजी को सरस्वती जी, विष्णुजी को लक्ष्मी जी और शिवजी को आदिशक्ति प्रदान किया। ‘माँ सिद्धिदात्री’ ने ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना का भर सौंपा, विष्णु जी को सृष्टि के पालन का कार्य दिया और महादेव को समय आने पर सृष्टि के संहार का भार सौंपा। ‘माँ सिद्धिदात्री’ ने तीनों देवों को बताया की उनकी शक्तियाँ उनकी पत्नियों मे हैं जो उनके कार्यनिर्वाहन मे उनकी सहायता करेंगी। उन्होने त्रिदेवों को दिव्य-चमत्कारी शक्तियाँ भी प्रदान की जिससे वो अपने कर्तव्यों को पूरा करने मे सक्षम हो सकें। देवी ने उन्हें आठ अलौकिक शक्तियाँ प्रदान की। इस तरह दो भागों नर एवं नारी, देव-दानव, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा दुनिया की कई और प्रजातियों का जन्म हुआ। आकाश असंख्य तारों, आकाशगंगाओं और नक्षत्रों से जगमगा उठा। पृथ्वी पर महासागरों, नदियों, पर्वतों, वनस्पतियों और जीवों की उत्पत्ति हुई। इस प्रकार ‘माँ सिद्धिदात्री’ की कृपा से सृष्टि की रचना, पालन और संहार का कार्य संचालित हुआ। एक अन्य कथा के अनुसार जब पृथ्वी पर दानव महिषासुर का उत्पात बहुत बढ़ गया था तब सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शरण मे जाते हैं, तत्पश्चात सभी देवों के तेज़ से माता सिद्धिदात्री प्रकट होती हैं और ‘दुर्गा’ रूप मे महिषासुर का वध करके समस्त सृष्टि की रक्षा करती हैं।

मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से ये फ़ायदे मिलते हैं

नवरात्रि के नौवें यानि महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इस दिन बैंगनी रंग पहनना बेहद शुभ माना जाता है मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी माना जाता है. देवीपुराण के मुताबिक, भगवान शंकर ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था. इनकी कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था

मां सिद्धिदात्री की पूजा के फ़ायदे

  • सभी काम सिद्ध होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
  • धन, यश, और बल की प्राप्ति होती है.
  • 8 सिद्धियां और 9 प्रकार की निधियां मिल सकती हैं.
  • रोग, ग्रह दोष आदि दूर हो जाते हैं.
  • किसी भी व्यक्ति के साथ कोई अनहोनी नहीं होती.
  • व्यक्ति को अष्टसिद्धि यानि णिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व की प्राप्ति होती है.
  • उसके जीवन में किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं रह जाता और उसके सभी काम समय पर सिद्ध होते हैं.

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