Matsya Jayanti : मत्स्य जयंती की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त,महत्व,Matsya Jayanti Kee Pooja Vidhi, Shubh Muhoort,Mahatv

Matsya Jayanti : मत्स्य जयंती की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त,महत्व

मत्स्य जयंती पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान विष्णु के भक्त मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं. साथ ही, उन्हें फूल, मिठाई, चंदन, फल और धूप अर्पित करते हैं. भगवान विष्णु की पूजा के लिए ऊर्जावान विष्णु यंत्र, मत्स्य यंत्र, और मत्स्य स्टैंड का इस्तेमाल किया जाता है प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्सय जयंती का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सनातन धर्म में ये दिन भगवान विष्णु के मत्सय रूप को समर्पित माना जाता हैै। धार्मिक ग्रंथों में किए वर्णन के अनुसार के इस दिन श्री हरि विष्णु के मत्स रूप की पूजा का खासा महत्व होता है। पुराणों के अनुसार यह विष्णु भगवान का सर्वप्रथम अवतार माना जाता है। इसी के उपलक्ष्य में इस दिन यानि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देश भर के तमाम मंदिरों आदि में इनकी पूजा अर्चना की जाती है।  इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र में बताया जाता है कि इस दिन मत्सय भगवान को प्रसन्न करने के लिए व्रत व उपवास आदि रखा जाता है। तथा इनका पूजन एक रात पहले ही आरंभ हो जाता है। कहा जाता है इस दिन श्री हरि की पूजा से भी  विशेष लाभ प्राप्त होताा है।

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मत्स्य जयंती का शुभ मुहूर्त

मत्स्य जयंती पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? मत्स्य जयंती का महत्व क्या है? कब है मत्स्य जयंती 2024? हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 अप्रैल दिन बुधवार को शाम 05 बजकर 32 मिनट पर प्रारंभ होगी और उसका समापन 11 अप्रैल दिन गुरुवार को दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर होगा.

  • मत्स्य जयंती की पूजा विधि:
  1. सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें.
  2. पूजा स्थल में चार भरे हुए कलश में पुष्प डालकर स्थापित करें.
  3. चारों कलश को तिल की खली से ढक कर इनके सामने भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें.
  4. भगवान विष्णु की पूजा के लिए चन्दन, अक्षत, तुलसी, फूल, फल आदि का इस्तेमाल करें.
  5. पूजा के बाद घी का दीपक जलाएं

  • मत्स्य जयंती का महत्व (Matsya Jayanti Ka Mahatva) 

सनातन धर्म के पुराणों के मुताबिक, हयग्रीव नाम के राक्षस से पृथ्वी की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने विशालकाय मत्स्य अवतार लिया था. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, राक्षस हयग्रीव से पृथ्वी की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने विशालकाय मत्स्य अवतार धारण किया था. मछली का रूप धारण कर भगवान ने दैत्य पुत्र से पुन: वेदों को प्राप्त किया था. इस दिन धूमधाम से भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा करने की परंपरा है. मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान, पूजा और व्रत से तन और मन की शुद्धि होती है और कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही मत्स्य जयंती पर मत्स्य पुराण को सुनने या पढ़ने से भगवान विष्णु की कृपा से कीर्ति और आयु में वृद्धि होती और व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं.

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