श्री हनुमान कवच (PDF) | Shri Hanuman Kavach (PDF)

श्री हनुमान कवच PDF

विषय सूची

  • हनुमत्कवच: बुराइयों से बचाव और शक्ति का स्रोत
  • हनुमत्कवच का पाठ विधि
  • हनुमत्कवच पाठ के नियम
  • हनुमत्कवच का पाठ करने के लाभ:
  • हनुमत् कवच रामचन्द्रोवाच(hanumat kavach)
  • अंतिम विचार

हनुमत्कवच: बुराइयों से बचाव और शक्ति का स्रोत

हनुमान जी का हनुमत्कवच एक अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है, जिसे भगवान श्रीराम की शक्ति के रूप में पूजा जाता है। यह कवच न केवल रक्षा करता है, बल्कि जीवन में विजय, समृद्धि, और शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। हनुमत्कवच के नियमित पाठ से भूत-प्रेत, राक्षस, टोने-टोटके और काले जादू से मुक्ति मिलती है, और यह व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक सुरक्षा प्रदान करता है। यह कवच आपको दुष्ट शक्तियों से बचाकर जीवन को सकारात्मक दिशा में अग्रसर करता है।

हनुमत्कवच का पाठ विधि

हनुमत्कवच का पाठ एक अत्यंत प्रभावी और शक्तिशाली साधना है, जो आपको शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक सुरक्षा प्रदान करती है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही यह शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा भी करता है।

हनुमत्कवच का पाठ विधि

हनुमत्कवच का पाठ एक अत्यंत प्रभावी और शक्तिशाली साधना है, जो आपको शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक सुरक्षा प्रदान करती है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही यह शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा भी करता है।

  1. स्थान का चयन:

    • हनुमत्कवच का पाठ शांत और पवित्र स्थान पर करना चाहिए। जहाँ पर किसी प्रकार का विघ्न न हो।
    • किसी पवित्र नदी के किनारे या पीपल के नीचे बैठकर पाठ करना श्रेष्ठ माना जाता है।
    • सबसे अच्छा समय प्रात: काल है, लेकिन यदि मध्यरात्रि का समय हो तो वह भी उपयुक्त है।
  2. संगठित आसन पर बैठें:

    • पूजा के लिए साफ आसन पर बैठें। आप आसन पर सफेद या लाल रंग का कपड़ा बिछा सकते हैं।
    • अपनी अवस्था को शांति और संतुलन में रखकर, भगवान हनुमान का ध्यान करें।
  3. हनुमान जी का पूजन:

    • सबसे पहले भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक, अगरबत्ती और फूल अर्पित करें।
    • फिर हनुमान जी का "ॐ श्री हनुमते नमः" मंत्र से ध्यान करें।
    • भगवान हनुमान के चित्र के सामने हल्दी, कुमकुम और जल अर्पित करें।
  4. हनुमत्कवच का पाठ प्रारंभ:

    • हनुमत्कवच के सभी श्लोकों का पूर्ण श्रद्धा के साथ उच्चारण करें। इन श्लोकों में हनुमान जी के विविध रूपों का वर्णन है, जो चारों दिशाओं और सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करते हैं।
    • श्लोकों को धीरे-धीरे, स्पष्ट और सही उच्चारण के साथ पढ़ें।
  5. पाठ की समाप्ति:

    • हनुमत्कवच का पाठ समाप्त करने के बाद भगवान हनुमान की पूजा को पुनः समाप्त करें।
    • "ॐ श्री हनुमते नमः" का उच्चारण करके हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करें।
    • अंत में, आपके परिवार और स्वयं के लिए सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।
  6. नियमितता:

    • हनुमत्कवच का पाठ प्रतिदिन नियमित रूप से करें। विशेषकर मंगलवार और शनिवार का दिन इस पाठ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
    • यदि संभव हो, तो हनुमत्कवच का 108 बार जाप करें।
  7. विशेष अवसर:

    • यदि आप कठिन परिस्थिति में हैं या शत्रुओं से बचाव की आवश्यकता है, तो इस कवच का सात बार पाठ करें।
    • मध्यरात्रि में जल में खड़े होकर इस कवच का सात बार पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।

हनुमत्कवच पाठ के नियम

हनुमत्कवच का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, ताकि इसका प्रभाव अधिक से अधिक शक्तिशाली हो और आपकी साधना सफल हो। ये नियम हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

हनुमत्कवच पाठ के नियम:

  1. स्वच्छता और पवित्रता:

    • हनुमत्कवच का पाठ करने से पहले अपने शरीर और मन को शुद्ध करना चाहिए। स्नान करके ही पाठ शुरू करें।
    • जिस स्थान पर पाठ करना हो, वह स्थान भी स्वच्छ और शांत होना चाहिए। वहाँ किसी भी प्रकार का विघ्न न हो, ऐसा वातावरण बनाएं।
  2. उचित समय का चयन:

    • हनुमत्कवच का पाठ प्रात: काल, मध्यरात्रि, या विशेषतः मंगलवार और शनिवार को करना सबसे शुभ माना जाता है।
    • यदि संभव हो तो, रात के समय जल में खड़े होकर सात बार इस कवच का पाठ करें। यह विशेष रूप से प्रभावी होता है।
  3. आसन और स्थिति:

    • पूजा के समय एक स्वच्छ आसन पर बैठकर पाठ करें। आसन को सफेद या लाल रंग के कपड़े से ढकें।
    • बैठते समय ध्यान रखें कि आपका शरीर शांत और स्थिर हो। ध्यान लगाकर मन को एकाग्र करें।
  4. शुद्ध भावना और श्रद्धा:

    • पाठ करते समय शुद्ध मन और भावनाओं के साथ भगवान हनुमान का ध्यान करें। पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस कवच का पाठ करें।
    • पाठ के दौरान ध्यान रखें कि कोई विक्षेप या विघ्न न हो। आपका मन पूरी तरह से हनुमान जी के स्वरूप पर केंद्रित रहे।
  5. सटीक उच्चारण:

    • हनुमत्कवच के श्लोकों का उच्चारण सही और स्पष्ट रूप से करें। यदि आप श्लोकों का उच्चारण नहीं जानते, तो किसी जानकार से सही उच्चारण सीख लें।
    • श्लोकों का उच्चारण ध्यान से और मंत्र की गति के अनुसार करें।
  6. कवच का नियमित पाठ:

    • हनुमत्कवच का पाठ हर दिन नियमित रूप से करना चाहिए। विशेषकर मंगलवार और शनिवार को इस कवच का पाठ अधिक लाभकारी होता है।
    • यदि आप चाहें तो, हनुमत्कवच का 108 बार जाप करने से विशेष लाभ होता है।
  7. हनुमान जी की पूजा:

    • पाठ करने से पहले भगवान हनुमान की पूजा और मंत्रों का जाप करें। विशेष रूप से, "ॐ श्री हनुमते नमः" मंत्र का जाप करें।
    • दीपक, अगरबत्ती, और फूल अर्पित करें, और हनुमान जी के चरणों में श्रद्धा से प्रणाम करें।
  8. दोनों कवच का पाठ:

    • हनुमत्कवच का पाठ करते समय इसे श्रीराम के कवच के साथ पढ़ना चाहिए, क्योंकि दोनों एक-दूसरे के पूरक होते हैं।
    • हनुमत्कवच का पाठ बिना श्रीराम कवच के करने से पूर्ण लाभ नहीं मिलता। अतः दोनों कवचों का एक साथ पाठ करना शुभ होता है।
  9. मंत्रों का जाप और ध्यान:

    • पाठ के दौरान "ॐ श्री हनुमते नमः" और अन्य मंत्रों का जाप करते रहें। मन, वचन, और क्रिया से भगवान हनुमान की भक्ति में समर्पित रहें।
  10. व्रत और उपवास:

    • हनुमत्कवच का पाठ करते समय यदि आप व्रत और उपवास रखते हैं तो उसका लाभ अधिक मिलता है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को उपवास रखें और उस दिन हनुमान जी के स्मरण में समर्पित रहें।

हनुमत्कवच का पाठ करने के लाभ:

हनुमत्कवच एक शक्तिशाली और प्रभावी मंत्र है जिसे भगवान श्रीराम और भगवान हनुमान की शक्ति से परिपूर्ण माना जाता है। यह विशेष रूप से भूत-प्रेत, राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने वाला है। हनुमत्कवच के पाठ से कई प्रकार के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।

हनुमत्कवच के पाठ के लाभ:

  1. रक्षा और सुरक्षा:

    • हनुमत्कवच का पाठ विशेष रूप से बुरी आत्माओं, राक्षसों, टोने-टोटके, काले जादू और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
    • यह कवच शारीरिक, मानसिक और आत्मिक सुरक्षा प्रदान करता है और जीवन में आने वाली हर प्रकार की मुसीबतों से बचाव करता है।
  2. शत्रुओं पर विजय:

    • हनुमत्कवच का नियमित पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यदि आपके खिलाफ कोई शत्रु है, तो यह कवच उसे परास्त करने में मदद करता है।
    • यह आपको मानसिक शक्ति और साहस प्रदान करता है, जिससे आप अपने शत्रुओं का सामना बिना किसी भय के कर सकते हैं।
  3. धन और समृद्धि:

    • हनुमत्कवच का पाठ करने से धन, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। यह व्यक्ति को ऐश्वर्य और संपत्ति की प्राप्ति दिलाता है।
    • घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  4. स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति:

    • हनुमत्कवच का पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करता है। यह शरीर को रोगों से मुक्त करता है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
    • यह विशेष रूप से मानसिक तनाव, चिंता, और अवसाद को कम करने में मदद करता है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति:

    • हनुमत्कवच का जाप करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है और मानसिक स्थिति में सुधार आता है। यह आत्म-विश्वास और धैर्य को बढ़ाता है।
    • यह व्यक्ति को उच्च आत्म-चेतना और ज्ञान की प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है।
  6. समस्या समाधान और विघ्नों का नाश:

    • हनुमत्कवच का पाठ विशेष रूप से जीवन की सभी समस्याओं, विघ्नों और रुकावटों को दूर करता है।
    • यह किसी भी प्रकार की विपत्ति, कष्ट, और संकट को समाप्त करने में सहायक होता है। आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं में भी यह कवच मदद करता है।
  7. संग्राम में विजय और पराक्रम:

    • जो व्यक्ति इस कवच का पाठ करता है, उसे जीवन में सभी संघर्षों में विजय प्राप्त होती है। यह उसे साहस और शक्ति प्रदान करता है, जिससे वह किसी भी युद्ध या संघर्ष में विजयी हो सकता है।
  8. संतान सुख और समृद्धि:

    • हनुमत्कवच के जाप से संतान सुख प्राप्त होता है। यह दंपत्ति के जीवन में संतान संबंधी समस्याओं का समाधान करता है।
    • साथ ही, यह परिवार में सुख-शांति बनाए रखने में मदद करता है।
  9. सम्पूर्ण जीवन में सफलता:

    • हनुमत्कवच का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त होती है। वह किसी भी कार्य में विघ्न-बाधाओं से मुक्त होकर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करता है।
    • यह व्यक्ति की सफलता और समृद्धि के मार्ग को सुगम बनाता है।
  10. अशांति और शोक से मुक्ति:

    • हनुमत्कवच का जाप व्यक्ति को मानसिक अशांति और शोक से उबारता है। यह व्यक्ति को अपने दुखों और कठिनाइयों से उबरने की शक्ति देता है।
    • यदि किसी के जीवन में कोई बड़ा दुख या संकट है, तो यह कवच उसे शांति और सुख प्रदान करता है।

हनुमत्कवच: श्रीरामचन्द्रोवाच

श्रीराम के वचन से हनुमत्कवच का यह विशेष पाठ प्रारंभ होता है, जिसमें हनुमान जी से संबंधित अनेक शक्तिशाली श्लोक होते हैं। ये श्लोक विशेष रूप से आपकी सुरक्षा, समृद्धि, और विजय के लिए किए जाते हैं।

हनुमत् कवच रामचन्द्रोवाच(Hanumat Kavach)

हनुमान् पूर्वतः पातु दक्षिणे पवनात्मजः ।
पातुप्रतीच्यां रक्षोघ्नः पातु सागरपारगः ॥

उदीच्यामूर्ध्वगः पातु केसरीप्रियनन्दनः ।
अधस्तुविष्णुभक्तश्च पातु मध्यं तु पावनिः ॥

लङ्काविदाहकः पातु सर्वापद्धयो निरन्तरम् । 
सुग्रीव सचिवः पातु मस्तकं वायुनन्दनः ॥

भालं पातु महावीरो भ्रवोर्मध्ये निरन्तरम् । 
नेत्रे छायापहारी च पावनः प्लेगेश्वरः ॥

कपोले कर्णमूले च पातु श्रीरामकिङ्करः । 
नासाग्रमञ्जनीसूनुः पातु वक्त्रं हरीश्वरः ॥

वाचं रुद्रिप्रियः पातु जिह्वां पिङ्गललोचनः ।
पातु देवः फाल्गुनेश्चुबुकं दैत्यदर्पहा ॥

पातु कण्ठं च दैत्यारिः स्कन्धौ पातु सुरार्चितः । 
भुजौ पातु महातेजाः करौ च चरणायुधः ॥

नखान्नखायुधः पातु कुक्षौ पातु कपीश्वरः । 
वक्षो मुद्रापहारी च पातु पार्श्वे भुजायुधः ॥

लङ्काविभञ्जनः पातु पृष्ठदेशे निरन्तरम् ।
 नाभिं च रामदतस्तु कटिं पात्वनिलात्मजः ॥

 गुह्यं पातु महाप्रज्ञों लिगं पातु शिवप्रियः ।
 ऊरू च जानुनि पातु लङ्काप्रासादभञ्जनः ॥

 जङ्घे पातु कपिश्रेष्ठो गुल्फौ पातु महाबलः । 
अचलोद्धारकः पातु पादौ भास्करसन्निभः ॥

अङ्गान्यमितसत्त्वाढ्यः पातु पादांगुलीस्तथा ।
सर्वांङ्गानि महाशूरः पातु रोमाणि चात्मवित् ॥

हनुमत्कवचं यस्तु पठेद्विद्वान्विचक्षणः ।
ए एवं पुरुषश्रेष्ठो भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥

त्रिकालमेककालं वा पठेन्मासत्रयं नरः सर्वान् । 
रिपून्क्षणाज्जित्वा स पुमान् श्रियमाप्नुयात् ॥

मध्यरात्रे जले स्थित्वा सप्तवारं पठेद्यदि ।
क्षयास्मारकु ष्ठादितापत्रयनिवारणः ॥

अश्वत्थमूलेऽर्कवारे स्थित्वा पठति यः पुमान् ।
अचलां श्रियमाप्नोति संग्रामे विजयं तथा ॥

बुद्धिर्बलं यशो धैर्यं निर्भयत्वमरोगताम ।
 सुदाढ्यै वाक्स्फुरत्वं च हनुमत्स्मरणाद्भवेत् ॥

मारणं वैरिणां सद्यः शरणं सर्वसम्पदानम् । 
शोकस्य हरणे दक्षं वन्दे तं रणदारुणम् ॥

 लिखित्वा पूजयेद्यस्तु सर्वत्र विजयी भवेत् ।
यः करे धारयेन्नित्यं स पुमाञ्छ्रियमाप्नुयात् ॥

स्थित्वा तु बन्धने यस्तु जपं कारयति द्विजैः । 
तत्क्षणान्मुक्तिमाप्नोति निगडात्तु तथैव च ॥

य इदं प्रातरुत्थाय पठेच्च कवचं सदा । 
आयुरागोग्यसन्तानैस्तस्य स्तव्यः स्तवो भवेत् ॥

इदं पूर्व पठित्वा तु रामस्य कवचं ततः । 
पठनीयं नरैर्भक्त्या नैकमेव पठेत्कदा ॥ 

हनुमत्कवचं चात्र श्रीरामकवचं विना । 
ये पठन्ति राश्चत्र पठनं तद्धथा भवेत ॥

तस्मात्सर्वैः पठनीयं सर्वदा कवचद्वयम् । 
रामस्य वायुपुत्रस्य सद्भक्तैश्च विशेषतः ॥

अंतिम विचार

हनुमत्कवच का पाठ व्यक्ति को आत्मविश्वास, समृद्धि और सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के हर क्षेत्र में विजय दिलाने में मदद करता है। यह कवच केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि भगवान हनुमान की शक्ति का रूप है। इसलिए, इसे नियमित रूप से पढ़ने से जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं और हर संकट का निवारण होता है।

नोट: हनुमत्कवच का पाठ करते समय इसे श्रीराम के कवच के साथ मिलाकर पढ़ना चाहिए, क्योंकि दोनों कवच एक-दूसरे के पूरक होते हैं। दोनों का पाठ करने से सिद्धि प्राप्त होती है और जीवन में हर प्रकार की बुराई से मुक्ति मिलती है।


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