श्री हनुमान साठिका PDF
- हनुमान साठिका: संकटों से मुक्ति और हनुमान जी की कृपा का प्रमाणित स्तोत्र
- हनुमान साठिका का महत्व:
- हनुमान साठिका का पाठ करने की विधि:
- हनुमान साठिका का पाठ करने के नियम
- हनुमान साठिका का पाठ करने के लाभ
- श्री हनुमान साठिका का पाठ(Hanuman Sathika)
- निष्कर्ष:
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हनुमान साठिका: संकटों से मुक्ति और हनुमान जी की कृपा का प्रमाणित स्तोत्र
हनुमान साठिका का महत्व:
हनुमान साठिका का पाठ करने की विधि:
हनुमान साठिका का पाठ एक विशेष विधि और श्रद्धा के साथ किया जाता है। सही विधि से पाठ करने पर हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं। यहां हम हनुमान साठिका के पाठ की विधि को विस्तार से समझेंगे।
समय और स्थान का चयन:
- समय: हनुमान साठिका का पाठ मंगलवार या शनिवार को विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। हालांकि, इसे किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन इन विशेष दिनों में इसका फल अधिक मिलता है।
- स्थान: पाठ के लिए एक शुद्ध स्थान का चयन करें, जहां पर आप शांति से बैठ सकें और ध्यान केंद्रित कर सकें। यदि संभव हो तो हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर पाठ करें।
स्वच्छता और शुद्धता:
- पाठ करने से पहले नहाकर और स्वच्छ वस्त्र पहनकर बैठना चाहिए। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धता को सुनिश्चित करता है।
दीप और धूप का प्रज्वलन:
- दीपक (घी का दीपक) और धूप (धूपबत्ती) जलाएं। हनुमान जी की पूजा में घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। दीपक और धूप हनुमान जी को प्रिय होते हैं और आपके वातावरण को शुद्ध करते हैं।
मंत्रों का उच्चारण:
- पाठ से पहले हनुमान जी के मंत्रों का उच्चारण करें। एक सामान्य मंत्र है:
- "ॐ हनुमते नमः"इसे 11 या 21 बार उच्चारण करें।
हनुमान साठिका का पाठ:
- अब हनुमान साठिका का पाठ करें। आप इसे ध्यानपूर्वक और उच्च स्वर में पढ़ें। पाठ के दौरान हनुमान जी की महिमा का गान करें और ध्यान लगाकर हर शब्द का अर्थ समझने की कोशिश करें। पाठ में 60 पंक्तियों के अंतर्गत हनुमान जी की शक्तियों और उनकी लीलाओं का बखान किया गया है।
ध्यान और समर्पण:
- पाठ के दौरान अपने मन को एकाग्र करें और हनुमान जी के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण भाव रखें। आप अपने जीवन में जो भी समस्याएं हैं, उन्हें हनुमान जी के चरणों में अर्पित करें।
स्मरण और आराधना:
- पाठ के बाद हनुमान जी का स्मरण करें। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक छोटा सा आरती भी कर सकते हैं, जैसे:
- "जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।"
प्रसाद वितरण:
- पाठ के बाद हनुमान जी का प्रसाद (जैसे गुड़, चने या मीठा) चढ़ाएं और इसे घर के सभी सदस्यों में बांटें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार के सभी सदस्य हनुमान जी की कृपा प्राप्त करते हैं।
नियमितता:
- हनुमान साठिका का पाठ 60 दिनों तक नियमित रूप से करना सबसे अधिक प्रभावी होता है। हालांकि, यदि आप इस अवधि को पूरा नहीं कर पाते, तो हर मंगलवार और शनिवार को इसे नित्य पाठ करना भी अत्यंत लाभकारी है।
हनुमान साठिका का पाठ करने के नियम
हनुमान साठिका का पाठ करने के लिए कुछ विशेष नियम होते हैं जिनका पालन करने से आपको अधिक लाभ और हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यहां हम हनुमान साठिका के पाठ से जुड़े प्रमुख नियमों को समझेंगे:
1. शुद्धता और पवित्रता बनाए रखें:
- हनुमान साठिका का पाठ करने से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए, नहाकर और स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही पाठ करें।
- घर और पूजा स्थान को स्वच्छ रखें। इसे ध्यानपूर्वक और श्रद्धा भाव से करें।
2. समय का चुनाव:
- हनुमान साठिका का पाठ मंगलवार या शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यदि संभव हो तो इन दिनों में पाठ करें, लेकिन अन्य किसी भी दिन इसे किया जा सकता है।
- रात्रि के समय सायं का वक्त विशेष रूप से उपयुक्त होता है। इस समय वातावरण शांत और शुद्ध रहता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
3. पूजा स्थल:
- पाठ के लिए एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें। यदि संभव हो, तो हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर पाठ करें।
- दीपक और धूप जलाएं। घी का दीपक हनुमान जी को प्रिय होता है, और इसे जलाने से वातावरण भी शुद्ध होता है।
4. श्रद्धा और भक्ति से पाठ करें:
- हनुमान साठिका का पाठ मन, वचन और क्रिया से श्रद्धा भाव के साथ करना चाहिए। इसे उच्च स्वर में पढ़ें और ध्यानपूर्वक हर शब्द का अर्थ समझने की कोशिश करें।
- पाठ के दौरान, हनुमान जी के गुणों, लीलाओं और शक्तियों पर ध्यान केंद्रित करें। ध्यान और समर्पण के साथ पाठ करें।
5. नियमीतता का पालन करें:
- हनुमान साठिका का पाठ 60 दिनों तक नियमित रूप से करना सबसे अच्छा होता है। हालांकि, यदि आप इसे पूरे 60 दिन नहीं कर पाते, तो मंगलवार और शनिवार को इसे नित्य रूप से करें।
- नियमितता से पाठ करने से हनुमान जी की कृपा से जीवन में आने वाली परेशानियों का समाधान जल्दी होता है।
6. ध्यान और आस्था:
- पाठ के दौरान, अपने मन में हनुमान जी का ध्यान रखें और विश्वास रखें कि वे आपकी सभी समस्याओं को दूर करेंगे।
- हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर, उनका स्मरण करें और उनकी आराधना करें।
7. प्रसाद चढ़ाएं और बांटें:
- पाठ समाप्त करने के बाद, हनुमान जी को प्रसाद अर्पित करें। यह आमतौर पर गुड़, चना या मीठा होता है। इसे परिवार के सभी सदस्यों में बांटें, ताकि सभी को हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त हो।
- प्रसाद वितरण से घर में सुख-शांति बनी रहती है और हनुमान जी की कृपा सभी पर बनी रहती है।
8. ध्यान रखें इन बातों का:
- पाठ करते समय किसी प्रकार का विचार विघटन नहीं होना चाहिए। ध्यान पूरी तरह से हनुमान जी की महिमा में लगाना चाहिए।
- यदि पाठ के दौरान कोई व्यवधान आए, तो उसे तुरंत ठीक करें और फिर से पूरी श्रद्धा के साथ पाठ करें।
9. संकल्प लें:
- पाठ करने से पहले एक संकल्प लें कि आप अपने जीवन की सभी नकारात्मकता और विघ्नों को दूर करने के लिए हनुमान जी के चरणों में समर्पित हैं।
- संकल्प से आपकी श्रद्धा और भक्ति और भी अधिक सशक्त हो जाती है।
10. हनुमान चालीसा का भी पाठ करें:
- हनुमान साठिका का पाठ करते समय, अगर समय हो, तो हनुमान चालीसा का भी पाठ करें। हनुमान चालीसा और साठिका दोनों ही हनुमान जी की महिमा का गुणगान करते हैं और बहुत प्रभावी होते हैं।
हनुमान साठिका का पाठ करने के लाभ
हनुमान साठिका का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार के लाभ लेकर आता है। यह एक शक्तिशाली और प्रभावशाली साधना है जो हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त करने के मार्ग को खोलती है। यहाँ हनुमान साठिका का पाठ करने के प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
1. संकटों से मुक्ति:
हनुमान साठिका का नियमित पाठ जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकटों और विपत्तियों को दूर करता है। यह व्यक्ति को हर प्रकार की मानसिक, शारीरिक और आर्थिक परेशानियों से उबारता है।
2. आर्थिक समृद्धि:
इस पाठ से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। हनुमान जी की कृपा से कर्ज, वित्तीय समस्याएं और आर्थिक तंगी समाप्त होती है, और व्यक्ति को धन, संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
3. मानसिक शांति और बल:
हनुमान साठिका का पाठ व्यक्ति को मानसिक शांति, संतुलन और साहस प्रदान करता है। यह व्यक्ति को किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए मानसिक बल देता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
4. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार:
हनुमान जी की उपासना से शारीरिक रोगों में राहत मिलती है और सेहत में सुधार होता है। यह पाठ विशेष रूप से शरीर की ताजगी और ऊर्जा को बनाए रखने में सहायक होता है।
5. शत्रुओं से सुरक्षा:
हनुमान साठिका का पाठ करने से शत्रुओं और बुरी नज़र से रक्षा होती है। हनुमान जी के आशीर्वाद से व्यक्ति पर किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति का प्रभाव नहीं पड़ता।
6. आत्मविश्वास में वृद्धि:
हनुमान जी की महिमा और शक्ति का स्मरण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित होता है।
7. मनोकामनाओं की पूर्ति:
हनुमान साठिका का पाठ व्यक्ति की इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करता है। यह व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करने के साथ-साथ उसकी इच्छाओं को भी पूरा करता है।
8. भय और डर से मुक्ति:
यह पाठ उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो किसी भी प्रकार के भय या डर का सामना कर रहे होते हैं। हनुमान जी की कृपा से वे मानसिक शांति प्राप्त करते हैं और जीवन में साहस का अनुभव करते हैं।
9. नकारात्मकता से मुक्ति:
हनुमान साठिका का पाठ करने से व्यक्ति की जीवन से नकारात्मकता और बुरी ऊर्जा समाप्त होती है। यह व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है, जिससे जीवन में शांति और आनंद का अनुभव होता है।
10. सच्ची भक्ति का विकास:
हनुमान साठिका का पाठ व्यक्ति में सच्ची भक्ति और श्रद्धा का विकास करता है। यह व्यक्ति को भगवान के प्रति समर्पित और आस्थावान बनाता है, जिससे जीवन में नैतिकता और धैर्य का विकास होता है।
11. कृतज्ञता और प्रेम का संचार:
हनुमान जी के प्रति प्रेम और भक्ति को और अधिक बढ़ाता है। यह व्यक्ति को अपने जीवन में भगवान के प्रति आभार और कृतज्ञता का एहसास कराता है।
12. सुख, शांति और समृद्धि का वास:
हनुमान साठिका का पाठ जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। यह व्यक्ति को हर दृष्टि से समृद्ध और संतुष्ट बनाता है।
श्री हनुमान साठिका का पाठ(Hanuman Sathika)
चौपाइयाँ
जय जय जय हनुमान अडंगी, महावीर विक्रम बजरंगी ।
जय कपीश जय पवन कुमारा, जय जगबंदन शील आगारा ॥
जय आदित्य अमर अविकारी, अरि मरदन जय-जय गिरधारी ॥
अंजनि उदर जन्म तुम लीन्हा, जय जयकार देवतन कीन्हा ॥
बाजै दुन्दुभि गगन गम्भीरा, सुर मन हर्ष असुर मन पीरा ॥
कपि के डर गढ लंक सकानी, छूटि बन्दि देवतन जानी ॥
ऋषि समूह निकट चलि आये, पवन तनय के पद सिर नाये ॥
बार बार अस्तुति करि नाना, निर्मल नाम धरा हनुमांना ॥
सकल ऋषिन मिलि अस मत ठाना, दीन बताय लाल फल खाना ॥
सुनत वचन कपि मन हर्षाना, रविरथ उदय लाल फल जाना ॥
रथ समेत कपि कीनि अहारा, सूर्य बिना भये अति अंधियारा ॥
विनय तुम्हार करें अकुलाना, तब कपीरा की अस्तुति ठाना ॥
सकल लोक वृत्तान्त सुनावा, चतुरानन तब रवि उगलावा॥
कहा बहोरि सुनो बलशीला, रामचन्द्र करि हैं बहुलीला ॥
तब तुम उन कर करव सहाई, अबहीं बराहु कानन में जाई ॥
अस कहि विधि निजलोक सिधारा, मिले सखा संग पवनकुमारा ॥
खेलें खेल महा तरू तोरें, ढेर करें बहु पर्वत फोरें ॥
कपि सुग्रीव बालि को त्रासा, निरख रहे राम धनु आसा ॥
जेहि गिरिचरण देहि कपि धाई, गिरि समेत पातालहिं जाई ॥
मिले राम तहं पवन कुमारा, अति आनन्द सप्रेम दुलारा ॥
मणि मुंदरी रघुपति सो पाई, सीता खोज चले सिर नाई ॥
शत योजन जलनिधि विस्तारा, अगम अपार देवतन हारा ॥
जिमि सर गोखुर सरिस कपीशा, लांघि गये कपि कहि जगदीशा ॥
सीता चरण सीस तिन नाये, अजर अमर के आशिष पाये ॥
रहे दनुज उपवन रखवारी, एक से एक महाभट भारी ॥
जिन्हें मारि पुनि कहेउ कपीसा, दहेउ लंक कोप्यो भुज बीसा ॥
सिया बोध दैं पुनि फिर आये, रामचंद्र के पद सिर नाये ॥
मेरु उपारि आपु छिन माहीं, बांधे सेतु निमिष इक माहीं ॥
लक्ष्मण शक्ति लागी जबहीं, राम बुलाय कहा पुनि तबहीं ॥
भवन समेत सुखेण लै आये, तुरत सजीवन को पुनि धाये ॥
मग महं कालनेमि कह मारा, अमित सुभट निशिचर संहारा ॥
आनि सजीवन गिरि समेता, धरि दीन्हीं जहं कृपा निकेता ॥
फनपति केर शोक हरि लीना, वर्षि सुमन सुर जय जय कीना ॥
अहिरावण हरि अनुज समेता, ले गयो तहां पाताल निकेता ॥
जहां रहे देवी अस्थाना, दीन चहै बलि काढि कृपाना ॥
पवन तनय प्रभु कीन गुहारी, कटक समेत निशाचर मारी ॥
रीछ कीशपति सबे बहोरी, राम लखन कीने इक ठोरी ॥
सब देवतन की बन्दि छुड़ाये, सो कीरति मुनि नारद गाये ॥
अक्षय कुमार दनुज बलवाना, सानकेतु कहं सब जग जाना ॥
कुम्भकरण रावण कर भाई, ताहि निपात कीन्ह कपि राई ॥
मेघनाद पर शक्ति मारा, पवन तनय तब सों बरियारा ॥
रहा तनय नारान्तक जाना, पल मंह ताहि हते हनुमाना॥
जहं लगि मान दनुज कर पावा, पवन तनय सब मारि नसावा ॥
जय मारुत-सुत जय अनुकूला, नाम कुशानु शोक सम तूला ॥
जह जीवन पर संकट होई, रवि तम सम सों संकट खोई ॥
बन्दि परै सुमिरै हनुमाना, संकट कटै धेरै जो ध्याना ॥
जाको बांध बाम पद दीन्हा, मारुत सुत व्याकुल बहु कीन्हा ॥
जो भुजबल का कीन कृपाला, आछत तुम्हें मोर यह हाला ॥
आरत हरन नाम हनुमाना, सादर सुरपति कीन बखाना ॥
संकट रहै न एक रती को, ध्यान धरे हनुमान जती को ॥
धावहु देखि दीनता मोरी, कहौं पवनसुत युगकर जोरी॥
कपिपति बेगि अनुग्रह करहू, आतुर आई दुसह दुख हरहू॥
राम शपथ में तुमहिं सुनाया, जवन गुहार लाग सिय जाया ॥
पैज तुम्हार सकल जग जाना, भव-बंधन भंजन हनुमाना ॥
यह बंधन कर केतिक बाता, नाम तुम्हार जगत सुख दाता ॥
करौ कृपा जय जय जगस्वामी, बार अनेक नमामि नमामि ॥
भौमवार कर होम विधाना, सुन नर मुनि वांछित फल पावै ॥
जयति जयति जय जय जग स्वामी, समरथ पुरुष सुअन्तर जामी ॥
अंजनि तनय नाम हनुमाना, सो तुलसी के प्राण, समाना ॥
॥ दोहे ॥
जय कपीश सुग्रीव तुम, जय अंगद हनुमान ।
राम लखन सीता सहित, सदा करौ कल्यान ॥
बन्दौं हनुमत नाम यह, मंगलवार प्रमाण ।
ध्यान धरै नर निश्चय, पावै पद कल्याण ॥
जो नित पढ़ें यह साठिका, तुलसी कहैं विचारि ।
रहै न संकट ताहि को, साक्षी हैं त्रिपुरारि ॥
निष्कर्ष:
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