श्री हनुमंत बीसा मंत्र और पाठ (पीडीएफ) | Shri Hanumant Bisa Mantra and Recitation (PDF)

श्री हनुमंत बीसा मंत्र और पाठ PDF

विषय सूची
  • हनुमंत बीसा मंत्र का महत्व और पाठ विधि
  • श्री हनुमंत बीसा मंत्र
  • हनुमत बीसा: संकट निवारण के लिए शक्तिशाली मंत्र
  • हनुमंत बीसा मंत्र साधना की विधि
  • श्री हनुमंत बीसा पाठ विधि
  • श्री हनुमंत बीसा पाठ के नियम
  • श्री हनुमंत बीसा पाठ के लाभ
  • श्री हनुमंत बीसा पाठ !! Shri Hanumant Paath
  • निष्कर्ष
  • श्री हनुमंत बीसा पाठ PDF

हनुमंत बीसा मंत्र का महत्व और पाठ विधि

हनुमान जी के भक्तों के लिए 'हनुमंत बीसा मंत्र' एक अद्भुत साधन है, जो सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं को दूर करने में सहायक माना गया है। हनुमंत बीसा मंत्र का पाठ करके भक्त हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें साहस, शक्ति, और मनोबल मिलता है। इस साधना के द्वारा व्यक्ति न केवल कर्ज, शत्रु, रोग, भय और अन्य विपत्तियों से मुक्त हो सकता है, बल्कि उसे आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्राप्त होता है।

श्री हनुमंत बीसा मंत्र

"ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं हें ह्रों हँ: श्री हनुमन्ते नमः रं राम भक्त हं हनुमन्ता सिद्धि प्रदः सर्व संकटादि नाशकः अं अंजनीपुत्र आंजनेय मम सहाय कुरू कुरू स्वाहा ॥"

हनुमत बीसा: संकट निवारण के लिए शक्तिशाली मंत्र

हनुमान जी की उपासना भक्तों के संकट हरने और उन्हें शक्ति, साहस, और भक्ति प्रदान करने में अचूक मानी जाती है। हनुमत बीसा, जिसे "श्री हनुमंत पाठ" के रूप में भी जाना जाता है, हनुमान जी के भक्तों के बीच विशेष रूप से पूजनीय है। यह पाठ न केवल भक्तों के जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्टों और संकटों का निवारण करता है, बल्कि हनुमान जी की कृपा से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का संचार भी करता है। आइए जानते हैं श्री हनुमंत पाठ का प्रभाव और पाठ विधि।

हनुमंत बीसा मंत्र साधना की विधि

हनुमंत बीसा मंत्र का विधिवत् जप और साधना करने से भक्त को अद्भुत लाभ होते हैं। इस साधना को करने से व्यक्ति के समस्त संकट और समस्याएँ समाप्त हो सकती हैं।

आवश्यक सामग्री:

  1. एक फ्रेम में जड़ा हुआ श्री हनुमंत बीसा यंत्र
  2. माता जानकी (सीता) और भगवान श्रीराम की तस्वीर
  3. सवा पाव का आटे का रोट, दो लड्डू, पताका, लंगोट, जनेऊ, खड़ाऊँ, जटादार नारियल
  4. सिंदूर, चमेली का तेल, और सवा रूपया (हनुमान जी को अर्पित करने के लिए)

साधना प्रक्रिया

  1. बीसा यंत्र की स्थापना: मंगलवार के दिन किसी साफ जगह पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर बीसा यंत्र को स्थापित करें। इसके साथ माता सीता और भगवान श्रीराम की तस्वीर रखें।

  2. पूजन: पंचोपचार पूजन करें, जिसमें चंदन, अक्षत, फूल, धूप, और दीप शामिल हैं।

  3. प्रणाम और अर्पण: हनुमान मंदिर में जाकर उपरोक्त सामग्री हनुमान जी की प्रतिमा को अर्पित करें और घर लौटें।

  4. मंत्र जप: उत्तर की ओर मुख करके, लाल कंबल के आसन पर बैठकर श्री हनुमंत बीसा मंत्र का जप प्रारंभ करें। साधना के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें और एकाग्रचित्त होकर मंत्र का जाप करें।

  5. साधना अवधि: यह प्रक्रिया 20 दिनों तक करें। हर रात हनुमंत बीसा मंत्र का जप करने के बाद उसी स्थान पर सो जाएँ।

  6. हवन: 21वें दिन हवन करें। हवन में हनुमंत बीसा मंत्र का जप करते हुए 21 आहुतियाँ दें।

  7. ब्राह्मण भोज: 21 ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें और अखंड रामायण का पाठ कराएँ।

श्री हनुमंत बीसा पाठ विधि

श्री हनुमंत बीसा पाठ के लिए विशेष विधि और नियम होते हैं। यह पाठ संकटों के निवारण और हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस पाठ को विधिपूर्वक करना आवश्यक है ताकि सभी लाभ प्राप्त हो सकें।

1. सामग्री संग्रह:

  • हनुमंत बीसा यंत्र (यदि उपलब्ध हो)।
  • माता सीता और भगवान श्रीराम की तस्वीर।
  • सवा पाव आटे का रोट, दो लड्डू, पताका (ध्वजा), लंगोट, जनेऊ, खड़ाऊँ।
  • जटाधारी नारियल, सिंदूर, चमेली का तेल, और सवा रुपया (मंदिर में अर्पित करने के लिए)।
  • पंचोपचार पूजन सामग्री: चंदन, अक्षत (चावल), फूल, धूप, और दीप।

2. साफ-सुथरी जगह तैयार करें:

  • मंगलवार के दिन एक साफ और शांत स्थान पर चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • चौकी पर हनुमंत बीसा यंत्र (यदि हो) और माता सीता एवं भगवान श्रीराम की तस्वीर रखें।

3. हनुमान जी का मंदिर जाएं:

  • किसी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी की प्रतिमा को सवा पाव रोट, लड्डू, ध्वजा, लंगोट, जनेऊ, खड़ाऊँ, नारियल, सिंदूर, चमेली का तेल, और सवा रुपया अर्पण करें।

4. पाठ विधि:

  • घर आकर हनुमंत बीसा यंत्र का पंचोपचार पूजन करें। पूजा में चंदन, अक्षत, फूल, धूप और दीप का प्रयोग करें।
  • पूजा के दौरान "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं हें ह्रों हँ: श्री हनुमन्ते नमः रं राम भक्त हं हनुमन्ता सिद्धि प्रदः सर्व संकटादि नाशकः अं अंजनीपुत्र आंजनेय मम सहाय कुरू कुरू स्वाहा ॥" का लगातार जप करें।
  • साधना उत्तराभिमुख (उत्तर दिशा की ओर मुख करके) होकर, लाल कंबल के आसन पर बैठकर करें।
  • इस साधना के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।

5. पाठ की अवधि:

  • हनुमंत बीसा पाठ 20 दिनों तक प्रतिदिन करें। प्रत्येक दिन हनुमंत बीसा मंत्र का सस्वर पाठ करें।
  • पाठ समाप्ति के बाद वहीं सो जाएं।

6. हवन (21वें दिन):

  • 21वें दिन पाठ समाप्त होने के बाद हवन करें। हवन में श्री हनुमंत बीसा मंत्र का जप करते हुए 21 आहुतियां दें।

7. भोजन और दान:

  • 21 ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। यदि संभव हो, अखंड रामायण का पाठ भी करवाएं।

8. विशेष ध्यान देने योग्य बातें:

  • हनुमंत बीसा पाठ करते समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखना अत्यंत आवश्यक है।
  • साधना के दौरान संयम, शुद्ध आहार और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद के लिए सच्ची भावना से साधना करें।

श्री हनुमंत बीसा पाठ के नियम

श्री हनुमंत बीसा पाठ के लिए कुछ विशेष नियम हैं जिन्हें पालन करना आवश्यक है ताकि इस पाठ का पूरा लाभ मिल सके। यह नियम साधना में एकाग्रता, शक्ति और पवित्रता बनाए रखने के लिए बनाए गए हैं।

  1. पवित्रता और स्वच्छता:

    • पाठ के समय शरीर और मन को शुद्ध रखें। प्रतिदिन स्नान करके ही पाठ में बैठें।
    • पाठ का स्थान साफ और पवित्र होना चाहिए। लाल कपड़ा बिछाकर ही हनुमंत बीसा यंत्र या हनुमान जी की तस्वीर के सामने बैठें।
  2. पूजा का आसन:

    • साधना के दौरान लाल रंग के कंबल या कपड़े का आसन प्रयोग करें। यह ऊर्जा को स्थिर रखने और साधना में एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है।
  3. दिशा और समय:

    • उत्तराभिमुख होकर (उत्तर दिशा की ओर मुख करके) बैठें। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्ति को आकर्षित करती है।
    • पाठ के लिए सबसे शुभ समय प्रातःकाल या संध्याकाल माना जाता है। विशेषकर मंगलवार को इस साधना को शुरू करना उत्तम माना गया है।
  4. मंत्र जप के समय:

    • बीसा मंत्र का जप सस्वर (स्वर सहित) और लयबद्ध रूप में करें। इसके मंत्र में शक्ति और प्रभाव बढ़ता है।
    • एकाग्र होकर ही मंत्र का पाठ करें और मन को शांत रखें।
  5. पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन:

    • साधना के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें। यह आवश्यक है, क्योंकि इससे साधना की शक्ति और फल में वृद्धि होती है।
  6. भोग और अर्पण:

    • हनुमान जी को प्रसाद के रूप में आटे का रोट, लड्डू, नारियल, सिंदूर और चमेली के तेल का अर्पण करें। इसे हनुमान मंदिर में अर्पित करें और घर लौटकर पूजा शुरू करें।
  7. समर्पण और श्रद्धा:

    • हनुमान जी की कृपा पाने के लिए समर्पण, श्रद्धा और विश्वास के साथ साधना करें।
    • अपने सभी कष्ट और चिंताओं को हनुमान जी के चरणों में समर्पित करें और उनके आशीर्वाद की कामना करें।
  8. 21 दिनों का अनुशासन:

    • पाठ 20 दिनों तक प्रतिदिन किया जाना चाहिए। इक्कीसवें दिन हवन और ब्राह्मण भोजन के साथ साधना पूर्ण करें।
  9. आहार और संयम:

    • साधना के दौरान सात्विक और शुद्ध भोजन ग्रहण करें। तामसिक भोजन से बचें और मांस, मद्य आदि का त्याग करें।
    • इस अवधि में मानसिक और शारीरिक संयम का पालन करें।
  10. हवन और आहुति (21वें दिन):

  • 21वें दिन साधना पूर्ण करने के बाद हवन करें और श्री हनुमंत बीसा मंत्र की 21 आहुतियाँ दें।
  • हवन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें, और यदि संभव हो, तो अखंड रामायण का पाठ कराएं।

श्री हनुमंत बीसा पाठ के लाभ

श्री हनुमंत बीसा पाठ के लाभ और निष्कर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली माने गए हैं। इस पाठ के माध्यम से साधक को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं, जिससे जीवन में उन्नति और शांति का अनुभव होता है।

  1. सर्व संकट निवारण:

    • हनुमंत बीसा पाठ को विशेष रूप से संकट निवारण के लिए प्रभावशाली माना गया है। यह पाठ साधक को जीवन के सभी प्रकार के संकटों, बाधाओं, और कष्टों से बचाने में सहायक होता है।
  2. शत्रुओं से सुरक्षा:

    • इस पाठ के प्रभाव से शत्रुओं और विरोधियों का प्रभाव समाप्त होता है। यह साधक को अपने जीवन में शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है और उनको शांत करता है।
  3. अदृश्य शक्तियों से सुरक्षा:

    • हनुमंत बीसा पाठ से साधक भूत-प्रेत, पिशाच, और अन्य अदृश्य नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से सुरक्षित रहता है। हनुमान जी की कृपा से इन शक्तियों का साधक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
  4. आत्मबल और साहस में वृद्धि:

    • यह पाठ साधक के आत्मबल, साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। साधक अपने जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हो जाता है और उसमें साहस का संचार होता है।
  5. धन, स्वास्थ्य और समृद्धि:

    • नियमित हनुमंत बीसा पाठ से साधक को धन, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। साधक के घर में सुख-शांति और संपन्नता का वास होता है।
  6. दुष्ट प्रभावों से मुक्ति:

    • यदि किसी व्यक्ति पर किसी प्रकार का बुरा प्रभाव या नकारात्मक ऊर्जा होती है, तो यह पाठ उसे उससे मुक्ति दिलाता है और साधक को एक सकारात्मक और शुद्ध वातावरण प्राप्त होता है।
  7. आध्यात्मिक उन्नति:

    • यह पाठ साधक की आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक होता है। साधक का मन भगवान हनुमान और श्री रामचंद्र जी की भक्ति में लीन रहता है और उसकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है।
  8. अनिष्ट घटनाओं से सुरक्षा:

    • इस पाठ से साधक को अनिष्ट घटनाओं से बचाव होता है, जैसे दुर्घटना, आकस्मिक आपदा, और विपत्तियों से सुरक्षा मिलती है।
  9. परिवार और जीवन में सुख-शांति:

    • यह पाठ साधक के परिवार और व्यक्तिगत जीवन में सुख, शांति और संतुलन बनाए रखता है। परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और आपसी समझ बढ़ती है।
  10. अद्भुत चमत्कारी शक्तियाँ:

  • इस पाठ के नियमित जाप से साधक को अद्भुत और चमत्कारी पारलौकिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं, जो उसे हर क्षेत्र में सफल बनाती हैं।

हनुमत् बीसा !! Shri Hanumant Paath

!! दोहा !!

राम भक्त विनती करूँ,सुन लो मेरी बात । 
दया करो कुछ मेहर उपाओ, सिर पर रखो हाथ ।।

!! चौपाई !!

जय हनुमन्त, जय तेरा बीसा,कालनेमि को जैसे खींचा ।।१॥ 
करुणा पर दो कान हमारो,शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ।।२॥

राम भक्त जय जय हनुमन्ता, लंका को थे किये विध्वंसा ।।३ 
सीता खोज खबर तुम लाए, अजर अमर के आशीष पाए ।।४॥

लक्ष्मण प्राण विधाता हो तुम,राम के अतिशय पासा हो तुम ।।५॥ 
जिस पर होते तुम अनुकूला, वह रहता पतझड़ में फूला ।।६॥

राम भक्त तुम मेरी आशा, तुम्हें ध्याऊँ मैं दिन राता ।।७॥ 
आकर मेरे काज संवारो, शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ।।८॥

तुम्हरी दया से हम चलते हैं, लोग न जाने क्यों जलते हैं ।।९॥ 
भक्त जनों के संकट टारे, राम द्वार के हो रखवारे ।।१०॥

मेरे संकट दूर हटा दो, द्विविधा मेरी तुरन्त मिटा दो ।।११॥ 
रुद्रावतार हो मेरे स्वामी, तुम्हरे जैसा कोई नाहीं ।।१२॥

ॐ हनु हनु हनुमन्त का बीसा, बैरिहु मारु जगत के ईशा ।।१३॥
तुम्हरो नाम जहाँ पढ़ जावे, बैरि व्याधि न नेरे आवे ।।१४॥

तुम्हरा नाम जगत सुखदाता, खुल जाता है राम दरवाजा ।।१५॥
संकट मोचन प्रभु हमारो, भूत प्रेत पिशाच को मारो ।।१६॥

अंजनी पुत्र नाम हनुमन्ता, सर्व जगत बजता है डंका ।।१७॥
सर्व व्याधि नष्ट जो जावे, हनुमद् बीसा जो कह पावे ।।१८॥

संकट एक न रहता उसको, हं हं हनुमंत कहता नर जो ।।१९॥
ह्रीं हनुमंते नमः जो कहता,उससे तो दुख दूर ही रहता ।।२०॥

!! दोहा !!

मेरे राम भक्त हनुमन्ता, कर दो बेड़ा पार ।
हूँ दीन मलीन कुलीन बड़ा, कर लो मुझे स्वीकार ।।

राम लषन सीता सहित, करो मेरा कल्याण ।
ताप हरो तुम मेरे स्वामी, बना रहे सम्मान ।।

प्रभु राम जी माता जानकी जी, सदा हों सहाई ।
संकट पड़ा यशपाल पे, तभी आवाज लगाई ।।

निष्कर्ष

हनुमंत बीसा पाठ हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने और जीवन की सभी समस्याओं से मुक्त होने का एक सिद्ध और अनुभूत साधन है। यदि इस पाठ को पूर्ण श्रद्धा, समर्पण और विधिपूर्वक किया जाए तो साधक को अद्भुत लाभ मिलते हैं। यह पाठ न केवल साधक के व्यक्तिगत जीवन को सुखमय बनाता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को भी सशक्त करता है।

हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का यह एक सिद्ध और अनुभूत उपाय है, जिसे अपनाकर साधक अपने जीवन में संपूर्ण शांति और संतोष की प्राप्ति कर सकता है।

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