होलिका दहन क्यों मनाते हैं? जानिए इसके धार्मिक कारण | holika dahan kyon manaate hain? jaanie isake dhaarmik kaaran

होलिका दहन क्यों मनाते हैं? जानिए इसके धार्मिक कारण

होलिका दहन क्या है?

होलिका दहन होली की पूर्व संध्या पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसे 'चोलतीहोल' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन अग्नि प्रज्ज्वलित कर बुरी शक्तियों के नाश की प्रतीकात्मक पूजा की जाती है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों के साथ होली का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है।


होलिका दहन क्यों मनाया जाता है?

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में होलिका दहन मनाने के पीछे अलग-अलग कारण बताए जाते हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रहलाद और होलिका से जुड़ी हुई है।

भक्त प्रहलाद और होलिका की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, प्राचीनकाल में एक असुर राजा हिरण्यकश्यप था। उसने कठिन तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया कि –

  • उसे कोई भी मनुष्य या पशु नहीं मार सकता।
  • वह न दिन में मरेगा, न रात में
  • न वह घर के अंदर मरेगा, न बाहर
  • न उसे कोई अस्त्र या शस्त्र मार सकेगा

इस वरदान के कारण हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानने लगा और राज्य में आदेश दिया कि सभी लोग उसकी पूजा करें। लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और हर समय उनकी भक्ति में लीन रहता था।

हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन जब वह असफल रहा, तो उसने प्रहलाद को मारने का निश्चय किया।

होलिका का षड्यंत्र और बुराई का अंत

हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। इसलिए उसने प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर जलती आग में बैठने का प्रयास किया, ताकि प्रहलाद जलकर भस्म हो जाए। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद सुरक्षित रहे और होलिका स्वयं जलकर राख हो गई

इस घटना की याद में होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है, जो यह संदेश देता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः अच्छाई की जीत होती है।


होलिका दहन का धार्मिक महत्व

  1. बुराई पर अच्छाई की विजय – यह पर्व हमें यह सिखाता है कि अहंकार और अन्याय का अंत निश्चित होता है।
  2. शुद्धिकरण – होलिका दहन में अग्नि के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने का प्रतीकात्मक महत्व है।
  3. वसंत ऋतु का स्वागत – यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन और नई फसल के स्वागत का प्रतीक है।

निष्कर्ष

होलिका दहन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि अंत में सच्चाई और भक्ति की ही जीत होती है। भक्त प्रहलाद की कथा आज भी हमें भगवान की अटूट भक्ति और धैर्य रखने की प्रेरणा देती है।

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