महाशिवरात्रि कब है 2024 में Mahashivratri, When is Mahashivratri Mahashivratri in 2024,

महाशिवरात्रि कब है 2024 में Mahashivratri,

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान शिव की पूजा और आराधना का महत्वपूर्ण दिन है। Mahashivratri 2024 महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है। उत्तर भारत में यह पर्व फाल्गुन मासिक शिवरात्रि यानी कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है आइए जानते हैं कि 2024 में महाशिवरात्रि कब है व महाशिवरात्रि 2024 की तारीख व मुहूर्त। महाशिवरात्रि हिन्दुओं के सबसे बड़े पर्वों में से एक है। दक्षिण भारतीय पंचांग (अमावस्यान्त पंचांग) के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यह पर्व मनाया जाता है। वहीं उत्तर भारतीय पंचांग (पूर्णिमान्त पंचांग) के मुताबिक़ फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का आयोजन होता है। पूर्णिमान्त व अमावस्यान्त दोनों ही पंचांगों के अनुसार महाशिवरात्रि एक ही दिन पड़ती है, इसलिए अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से पर्व की तारीख़ वही रहती है। इस दिन शिव-भक्त मंदिरों में शिवलिंग पर बेल-पत्र आदि चढ़ाकर पूजा, व्रत तथा रात्रि-जागरण करते हैं।

Mahashivratri 8 मार्च 2024 चारों प्रहर पूजा मुहूर्त 

  • रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समयः शाम 06:27 बजे से रात 09:29 बजे तक
  • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समयः रात 09:29 बजे से रात 12:31 बजे तक
  • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समयः रात 12:31 बजे से देर रात 03:33 बजे तक
  • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समयः देर रात 03:33 बजे से 9 मार्च सुबह 06:35 बजे तक
  • महा शिवरात्रि निशिता मुहूर्तः रात 12.06 बजे से 12.55 बजे तक
  • महाशिवरात्रि पारण समय
  • महा शिवरात्रि पारण समयः 9 मार्च सुबह 06:35 बजे से दोपहर 03:29 बजे तक
  • महाशिवरात्रि के योग
  • शिवः रात 12:46 बजे तक
  • सिद्ध योगः 9 मार्च रात 8.32 बजे तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योगः 8 मार्च को सुबह 06:36 से 10:41 बजे तक

महाशिवरात्रि की पूजा विधि

  • प्रातः काल उठकर स्नान करके पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव शंकर के आगे व्रत का संकल्प लें।
  • उपवास की अवधि पूरा करने के लिए शिव जी का आशीर्वाद लें।
  • केसर के 11 लोटे जल चढ़ाएं और पूरी रात्रि का दीपक जलाएं।
  • इसके अलावा चंदन का तिलक लगाएं।
  • बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ को चढ़ाए।
  • केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटे।
  • फलाहार या फिर निर्जला ये भी संकल्प लें।
  • शुभ मुहूर्त में पूजा प्रारंभ करें।
  • भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं।

कैसे रखें महाशिवरात्रि व्रत

  • काशी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार महाशिवरात्रि व्रत रखने के लिए इस नियम का पालन करना चाहिए।
  • शिवरात्रि के एक दिन पहले, यानी त्रयोदशी तिथि के दिन केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करें।
  • शिवरात्रि के दिन सुबह नित्य कर्म करने के बाद पूरे दिन व्रत का संकल्प लें। संकल्प के दौरान मन ही मन अपनी प्रतिज्ञा दोहराएं और भगवान शिव से व्रत को निर्विघ्न पूर्ण करने का आशीर्वाद मांगें।
  • शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल में स्नान करने के बाद पूजा करनी चाहिए। भगवान की शिव पूजा रात्रि के समय करने का नियम है और अगले दिन स्नानादि के बाद व्रत का पारण करना चाहिए।
  • शिवरात्रि पूजा श्रद्धा और क्षमता के अनुसार रात में एक बार या रात के चारों प्रहर में कर सकते है। सबसे महत्वपूर्ण पूजा निशिता मुहूर्त की होती है। क्योंकि इसी समय भगवान शिव अपने शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे।
  • व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के बीच के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए। हालांकि एक अन्य मत के अनुसार व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के बाद का है। लेकिन ज्यादातर लोग परंपरा अनुसार शिव पूजा और पारण (व्रत का समापन) दोनों, चतुर्दशी तिथि अस्त होने से पहले करते हैं।
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