! Mahashivratri Aarti ! महाशिवरात्रि शिव जी की आरती,Mahashivratri Aarti of Lord Shiva

महाशिवरात्रि शिव जी की आरती

आज महाशिवरात्रि का पावन पर्व है। इस दिन भगवान शिव की विधि विधान पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में कोई भी पूजा बिना आरती किए अधूरी मानी जाती है। तो ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव जी  की इस आरती को करना न भूलें। शिव जी की आरती करने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सारी परेशानियां दूर करते हैं. माना जाता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की आरती करने से मनचाहा फल मिलता है. इस दिन भगवान शिव को अभिषेक और आराधना करके प्रसन्न किया जा सकता है.

Mahashivratri Aarti of Lord Shiva
  • "शिव जी की आरती" का विवरण:
"शिव जी की आरती" हिन्दू धर्म में एक प्रसिद्ध और प्रिय आरती है जो भगवान शिव की महिमा और कृपा का गुणगान करती है। इस आरती में भगवान शिव की अद्वितीयता, शक्ति, और समृद्धि का वर्णन होता है। आरती के माध्यम से उनकी पूजा, स्तुति, और आदर की जाती है और उनके प्रति भक्ति का अभिव्यक्ति किया जाता है।
"शिव जी की आरती" का पाठ अक्सर शिव मंदिरों में पूजा के समय या अन्य पवित्र स्थलों में किया जाता है। इसके अलावा, यह आरती भक्तों द्वारा उनके घरों में भी पढ़ी जाती है, जिससे उन्हें भगवान शिव के आशीर्वाद का अनुभव होता है। आरती के बोल और संगीत की मधुर ध्वनि सुनकर भक्ति और श्रद्धा की भावना उत्पन्न होती है और व्यक्ति को मानसिक शांति और सांत्वना मिलती है।

शिव जी की आरती:

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। 
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। 
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। 
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। 
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। 
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। 
सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
 मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
 पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। 
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
 शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
 नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
 कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
 ओम जय शिव ओंकारा॥

शिव जी की आरती करने के कुछ और फ़ायदे

  1. शिव जी की पूजा करने से भक्तों को किसी भी प्रकार का रोग–शोक नहीं रहता.
  2. शिव जी की पूजा से भक्तों का आत्मबल बढ़ता है.
  3. शिव जी की साधना सारे मनोरथ पूरे करने वाली मानी गई है.
  4. शिव जी की उपासना से इंसान के सारे दुखों का अंत हो जाता है.
  5. शिव जी की आरती करने से इंसान के सारे कष्टों का अंत हो जाता है और उसकी हर एक इच्छा पूरी होती है.
  6. शिव जी की आरती करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
  7. शिव जी की पूजा करने से मन शांत और संतुलित रहता है और दुख भी दूर रहते हैं. 
  8. शिव पुराण के अनुसार, रोज़ाना भगवान शिव को जल चढ़ाने से सुख-समृद्धि, धन-दौलत का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही, अकाल मृत्यु के भय से निजात मिल जाती है
आरती करने से क्या लाभ है

आरती को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। किसी भी पूजा का समापन हमेशा आरती से करने का मतलब यही है कि अब पूजन समाप्त हो गया है और हम भगवान से कुशलता की कामना करने वाले हैं। आरती करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूरी होती है

शिवजी की पूजा करने से क्या फल मिलता है?

भगवान शिव की साधना सारे मनोरथ पूरे करने वाली मानी गई है। मान्यता है कि जो कोई सच्चे मन से प्रतिदिन महादेव की पूजा करता है, उस पर भगवान शिव पूरी कृपा बरसाते हैं और उसके जीवन में आ रही सारी अड़चनों को दूर करके प्रत्येक क्षेत्र में मनचाही सफलता दिलाते हैं। भगवान शिव को मृत्युंजय कहा गया है।

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