चैत्र महीने के त्यौहार हिन्दुओं के पवित्र व्रत और त्यौहार Festivals of Chaitra month: Holy fasts and festivals of Hindus

चैत्र मास के व्रत एवं त्यौहार

चैत्र हिन्दू धर्म में एक मास का नाम होता है, जिसे चन्द्र हिन्दू कैलेंडर में चैत्र मास कहा जाता है। हिन्दू धर्म विक्रम सवंत् के अनुसार पहला महीना होता है और इस महीने से हिन्दू नववर्ष की शुरूआत होती है। जिसे संवत्सर कहा जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में मार्च और अप्रैल का महीना होता है। हिन्दू वर्ष का पहला मास होने के कारण चैत्र मास का अधिक महत्व होता है।ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना आरंभ की थी। वहीं सतयुग की शुरुआत भी चैत्र माह से मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के दशावतारों में से पहले अवतार मतस्यावतार अवतरित हुए एवं जल प्रलय के बीच घिरे मनु को सुरक्षित स्थल पर पंहुचाया था। जिनसे प्रलय के पश्चात नई सृष्टि का आरंभ हुआ
हमारे यहाँ पश्चिमी यूरोपीय लोग अपनी सभ्यता से प्रभावित होकर पहली जनवरी, वास्तव में इक्तीस दिसम्बर की मध्यरात्रि में बारह बजते ही नववर्ष मनाते हैं। हम भारतीय लोग अपने यहाँ बड़ी श्रद्धा से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रातः सूर्योदय से नवीन दिन का प्रारम्भ मानते हैं, अतः मध्यरात्रि में मनोविनोद और हुल्लड़बाजी से नहीं, चैत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रातःकाल ब्रह्म मुहुर्त में स्नानादि से निवृत्त होकर ईश- आराधना से प्रारम्भ होता है हमारा नववर्ष। यहाँ एक अन्य विशेषता और भी है हमारा भारतीय मास तो पूर्णमासी के दूसरे दिन अर्थात् कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर पूर्णिमा के दिन पूर्ण होता है और इस प्रकार मास के मध्य में आती है अमावस्या। परन्तु हमारा नव वर्ष मास के प्रथम दिवस अर्थात् कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से नहीं, आधा चैत्र मास बीत जाने के बाद चैत्र की अमावस्या के दूसरे दिन अर्थात् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। इस प्रकार चैत्र मास का प्रथम पूर्वार्द्ध अर्थात् होली की पड़वा से चैत्र की अमावस्या तक के पन्द्रह दिन तो गत वर्ष के अन्तिम पन्द्रह दिन होते हैं और चैत्र मास का उत्तरार्द्ध अर्थात् प्रतिपदा से पूर्णिमा तक के पन्द्रह दिन नवीन वर्ष के अन्तर्गत आते हैं।

Festivals of Chaitra month: Holy fasts and festivals of Hindus

चैत्र महीने के व्रत और त्यौहार

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नवरात्र (दुर्गापूजन) चैत्र नवरात्रि

गणगौर या गनगौर (चैत्र शुक्ल तृतीया

विनायक चतुर्थी व्रत विधि व्रत कथा चैत्र मास

चैत्र मास महत्व

चैत्र मास का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना आरंभ की थी। वहीं सतयुग की शुरुआत भी चैत्र मास से मानी जाती है। चैत्र महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के दशावतारों में से पहले अवतार मतस्यावतार अवतरित हुए एवं जल प्रलय के बीच घिरे मनु को सुरक्षित स्थल पर पंहुचाया था। जिनसे प्रलय के पश्चात नई सृष्टि का आरंभ हुआ।

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चैत्र महीने के व्रत और त्यौहार

चैत्र पंचमी

अशोकाष्टमी

महाअष्टमी (दुर्गाष्टमी)

रामनवमी (चैत्र शुक्ल नवमी)

कामदा एकादशी (चैत्र शुक्ल एकादशी)

चैत्र पूर्णिमा (हनुमान् जयन्ती)

 चैत्र पूर्णिमा ( पजूनो-पूनो व्रत )

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