Navratri Kavach : नवरात्रि के नौ दिनों के कवच,Kavach of Nine Days of Navratri

Navratri Mantr : नवरात्रि के नौ दिनों के कवच

दुर्गा कवच का पाठ करने से ये फ़ायदे 

  • साहस और हिम्मत मिलती है
  • दुष्टों से रक्षा होती है
  • नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है
  • प्रेत बाधा जैसी समस्याओं से जल्दी मुक्ति मिलती है
  • आकाल मृत्यु जैसे संकट दूर होते हैं
  • बड़े से बड़े संकट का निवारण होता है
  • असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है
  • न्यायालय से जुड़े मामलों में जीत हासिल होती है
  • शत्रुओं पर विजय हासिल होती है
Kavach of Nine Days of Navratri
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नवरात्रि के पहला दिन मां शैलपुत्री कवच

  • शैलपुत्री देवी कवच
ओमकार:में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥
श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।
हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।

नवरात्रि के दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी कवच

  • माँ ब्रह्मचारिणी देवी कवच
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

नवरात्रि के तीसरा दिन मां चन्द्रघण्टा कवच

  • मां चंद्रघंटा का कवच
रहस्यं श्रुणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघन्टास्य कवचं सर्वसिध्दिदायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोध्दा बिना होमं।
स्नानं शौचादि नास्ति श्रध्दामात्रेण सिध्दिदाम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च 
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥

नवरात्रि के चौथा दिन मां कूष्मांडा कवच

  • मां कुष्मांडा  कवच
हसरै मे शिर: पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।
हसलकरीं नेत्रथ, हसरौश्च ललाटकम्॥
कौमारी पातु सर्वगात्रे वाराही उत्तरे तथा।
पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
दिग्दिध सर्वत्रैव कूं बीजं सर्वदावतु॥

नवरात्रि के पांचवां दिन मां स्कंदमाता कवच

  • मां स्कंदमाता का कवच 
ऐं बीजालिंकादेवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयंपातुसा देवी कातिकययुता॥
श्रींहीं हुं ऐं देवी पूर्वस्यांपातुसर्वदा।
सर्वाग में सदा पातुस्कन्धमातापुत्रप्रदा॥
वाणवाणामृतेहुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्यातथाग्नेचवारूणेनेत्रतेअवतु॥
इन्द्राणी भैरवी चैवासितांगीचसंहारिणी।
सर्वदापातुमां देवी चान्यान्यासुहि दिक्षवै॥

नवरात्रि के छठा दिन मां कात्यायनी कवच

  • मां कात्यायनी कवच
कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥

नवरात्रि के सातवां दिन मां कालरात्रि कवच

  •  मां कालरात्रि कवच
ऊँ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

नवरात्रि के आठवां दिन मां महागौरी कवच

  • मां महागौरी कवच
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥

नवरात्रि के नौवां दिन मां सिद्धिदात्री कवच

  • माँ ‘सिद्धिदात्री’ कवच 
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, ऐं बीजम् माँ हृदयो।
हीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजम् पातु क्लीं बीजम् माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै माँ सर्ववदनो।।

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