Navratri Aarti : नवरात्रि के नौ दिनों की आरती,Aarti of nine days of Navratri

Navratri Aarti : नवरात्रि के नौ दिनों की आरती

नवरात्रि का प्रथम दिन (First Day of Navratri)

शैलपुत्री - ब्रह्मचारिणी - चंद्रघंटा - कूष्मांडा - स्कंदमाता - कात्यायनी - कालरात्रि - महागौरी - सिद्धिदात्री यह माँ दुर्गा के वे नौ रूप हैं जिनकी पूजा नवरात्र के नौ दिनों में की जाती है। नवरात्र शक्ति की साधना का पर्व है। यह ऐसा समय है जब हर साधक संसार की सभी तामसिक ऊर्जाओं को छोड़कर सिर्फ माँ दुर्गा की साधना में खुद को मग्न रखना चाहता है।नवरात्रि के पर्व में शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा की मन से की गई उपासना से साधकों के हर कार्य सिद्ध होते हैं और आपकी पूजा से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा आपकी हर मनोकामना को पूरा करती हैं।

नवरात्रि का प्रथम दिन - शैलपुत्री माँ आरती

शैलपुत्री माँ बैल असवार आरती देवी शैलपुत्री को समर्पित है। देवी शैलपुत्री माता पार्वती के नौ अवतारों में से एक हैं और नवरात्रि के पहले दिन उनकी पूजा की जाती है।
Aarti of nine days of Navratri
  • शैलपुत्री माँ की आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार। 
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।
 
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे। 
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।।
 
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी। 
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।
 
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के। 
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।।
 
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे। 
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।।

नवरात्रि का दूसरा दिन ( Navratri 2nd day ) -ब्रह्माचारिणी माँ की आरती

नवरात्र के दूसरे दिन मां भगवती को चीनी का भोग लगाने का विधान है। ऐसा विश्वास है कि चीनी के भोग से उपासक को लंबी आयु प्राप्त होती है और वह नीरोगी रहता है तथा उसमें अच्छे विचारों का आगमन होता है 
  • ब्रह्माचारिणी माँ की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए। 
उसकी विरति रहे ठिकाने। जो ​तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।रखना लाज मेरी महतारी।

नवरात्रि का तीसरे दिन (Navratri 3rd Day )माँ चंद्रघंटा की आरती

नवरात्रि के तीसरे दिन 'ऊँ देवी चंद्रघण्टायै नमः' मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं। मां चंद्रघंटा का प्रिय फूल: मां चंद्रघंटा को सफेद कमल या पीले रंग का फूल अर्पित कर सकते हैं। जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
  • माँ चंद्रघंटा की आरती
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान। 
मस्तक पर है अर्धचंद्र, मंद मंद मंद मंद मुसकान॥
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम,पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती,चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली,मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो,चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली,हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये,श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं,सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता,पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा,करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी,भक्त की रक्षा करो भवानी।

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नवरात्रि का चौथे दिन - मां कूष्मांडा आरती

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है.मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं. वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है.
  • मां कूष्मांडा की आरती
कूष्माण्डा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

नवरात्रि का पांचवें दिन - मां स्कंदमाता आरती

नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा के लिए प्रात: स्नान के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें. पूजा के लिए हाथ में लाल पुष्प लेकर देवी स्कंदमाता का आह्वान करें. देवी को अक्षत, धूप, गंध, फूल, बताशा, पान, सुपारी, लौंग चढ़ाएं. माता की आरती कर, शंख बजाएं और मंत्रों का जाप करें.
  • मां स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता पांचवां नाम तुम्हारा आता,
सब के मन की जानन हारी जग जननी सब की महतारी,

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं,
कई नामों से तुझे पुकारा मुझे एक है तेरा सहारा,

कहीं पहाड़ों पर है डेरा कई शहरो मैं तेरा बसेरा,
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाए तेरे भगत प्यारे,

भक्ति अपनी मुझे दिला दो शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो,
इंद्र आदि देवता मिल सारे करे पुकार तुम्हारे द्वारे,

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए तुम ही खंडा हाथ उठाए,
दास को सदा बचाने आई ‘चमन’ की आस पुराने आई..

नवरात्रि का छठवें दिन - मां कात्यायनी आरती

मां कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है. मां कात्यायनी को पीला रंग पसंद है, इसलिए पूजा के लिए पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. मां को अक्षत, रोली, कुमकुम, पीले फूल, और भोग चढ़ाएं. माता की आरती और मंत्रों का जाप करें
  • मां कात्यायनी की आरती
जय जय अंबे जय कात्यायनी,जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा, वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
 
कई नाम हैं कई धाम हैं, यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर जगह उत्सव होते रहते, हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
 
कात्यायनी रक्षक काया की, ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली, अपना नाम जपानेवाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो, ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी,भंडारे भरपूर करेगी ।।

जो भी मां को भक्त पुकारे,कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
जय जय अंबे जय कात्यायनी,जय जगमाता जग की महारानी ।।

नवरात्रि का सातवां दिन - माँ कालरात्रि आरती

हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण उत्सव, नवरात्रि, अपने समापन के करीब है क्योंकि भक्त इस त्योहार के सातवें दिन, जो शनिवार को पड़ता है, माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं। यह दिन देवी दुर्गा की उग्र अभिव्यक्ति माँ कालरात्रि की पूजा के लिए समर्पित है
  • मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली, काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा, महाचंडी तेरा अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा, महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली, दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी, गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी, ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें, महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह, कालरात्रि माँ तेरी जय॥

नवरात्रि का आठवां दिन - मां महागौरी की आरती

माता महागौरी को मोगरा पुष्प अत्यंत प्रिय है और उन्हें लाल और गुलाबी रंग भी प्रिय है। इसलिए हो सके तो माता को मोगरे के फूलों से बनी माला अर्पित करें और पूजा के समय साधक लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करें। इसके बाद माता महागौरी को नारियल का भोग अर्पित करें। फिर दुर्गासप्तशती और माता महागौरी की आरती का पाठ करें।
  • महागौरी माता की आरती 
जय महागौरी जगत की माया। जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहां निवासा।।

चंद्रकली और ममता अंबे। जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता। कौशिकी देवी जग विख्याता।।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता। मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

नवरात्रि का नौवें दिन - मां सिद्धिदात्री की आरती

मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए तिल का भोग लगाएं और कमल का फूल अरर्पित करें. इस दौरान आपको ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. इसके बाद मां सिद्धिदात्री की आरती करें
  • सिद्धिदात्री माँ आरती
तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥ 
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥ 
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। 

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥ 
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। 

तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥ 
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

 तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥ 
तू सब काज उसके करती है पूरे। 

कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥ 
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। 

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥ 
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥ 
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥ 
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

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