Navratri Mantr : नवरात्रि के नौ दिनों के स्तोत्र
नवरात्रि में रात्रि के समय स्तोत्र का पाठ करना विशेष फलदायक होता है. अगर यह संभव न हो तो प्रतिदिन तीन बार पाठ करना चाहिए. अगर यह भी संभव न हो तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ एक बार अवश्य करना चाहिए इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सफलता के योग बनते हैं
Stotr of Nine Days of Navratri |
नवरात्रि के पहला दिन मां शैलपुत्री स्तोत्र
प्रथम दुर्गा त्वहिभवसागर तारणीम्।धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
त्रिलोकजननींत्वंहिपरमानंद प्रदीयनाम्।
सौभाग्यारोग्यदायनीशैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायनी,शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम् ॥
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नवरात्रि के दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी स्तोत्र
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।ब्रह्मरूपधरां ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
नवचक्र भेंदनी त्वंहि नवऐश्वर्य प्रदायनीम्।
धनदा-सुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा मानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।
नवरात्रि के तीसरा दिन मां चन्द्रघण्टा स्तोत्र
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम् मन्त्र स्वरूपिणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायिनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
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नवरात्रि के चौथा दिन मां कूष्मांडा स्तोत्र
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुंदरी त्वंहि दु:ख शोक निवारिणाम्।
परमानंदमयी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
नवरात्रि के पांचवां दिन मां स्कंदमाता स्तोत्र
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्। समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्। ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्। सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्। मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्। सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्। शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्। सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्। प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्। अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्। जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥
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नवरात्रि के छठा दिन मां कात्यायनी स्तोत्र
कंचनाभं वरभयं पद्मधरा मुक्तोज्ज्वलां।स्मेर्मुखी शिवपत्नी कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
पाटम्बर पसियाना नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
परमानंदमयी देवी परमब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
विश्वभर्ती, विश्वभर्ती, विश्वभर्ती, विश्वप्रेमा।
विश्वचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
कं बीजा, कं जपानंदकं बीज जप तोषिते।
कं कं बीज जपदसक्तकं कं संतुता॥
कंकारहर्षिणीकं धनदाधनमासना।
कं बीज जपकारिणीकं बीज तप मनसा॥
कं कारिणी कं मंत्रपूजिताकं बीज धारिणी।
कं किं कुंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥
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नवरात्रि के सातवां दिन मां कालरात्रि स्तोत्र
हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
नवरात्रि के आठवां दिन मां महागौरी स्तोत्र
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
नवरात्रि के नौवां दिन मां सिद्धिदात्री स्तोत्र
कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
नलिस्थिताम् नलनार्थी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा ।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी ।
भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं ।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते।।
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