बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली - बृहस्पति के 108 नाम ! Brihaspati Ashtottara Shatnamavali – 108 names of Brihaspati
बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली - 108 names of Brihaspati
बृहस्पति के इन 108 दिव्य नामों का जाप करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। अष्टोत्तर शतनामावली गुरु बृहस्पति के 108 नामों का संग्रह है जिसके जाप से आप देवगुरु बृहस्पति को प्रसन्न कर सकते हैं।
जिन लोगों की जन्म कुंडली में गुरु कमजोर है या राहु/गुरु का चांडाल योग बन रहा हो उन्हें रोजाना या गुरुवार के दिन तो जरूर ही बृहस्पति जी के 108 नाम का जाप करना चाहिए। गुरु ग्रह के 108 नामों का जप करना बेहद फलदायी माना जाता है। कहते हैं इसके जाप से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
Brihaspati Ashtottara Shatnamavali – 108 names of Brihaspati |
गुरु ग्रह के 108 नामों का जप करना बेहद फलदायी माना जाता है। कहते हैं इसके जाप से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ध्यान रखें कि जिन लड़कों का जनेऊ नहीं हुआ है उन्हें और महिलाओं को इस पाठ के आरंभ में “ऊँ” की जगह “श्री” का प्रयोग करना चाहिए। अब देखिए बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली यानी गुरु बृहस्पति के 108 नाम।
बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली - 108 names of Brihaspati
- ॐ गुरवे नमः ।
- ॐ गुणवराय नमः ।
- ॐ गोप्त्रे नमः ।
- ॐ गोचराय नमः ।
- ॐ गोपतिप्रियाय नमः ।
- ॐ गुणिने नमः ।
- ॐ गुणवतां श्रेष्ठाय नमः ।
- ॐ गुरूणां गुरवे नमः ।
- ॐ अव्ययाय नमः । ९
- ॐ जेत्रे नमः ।
- ॐ जयन्ताय नमः ।
- ॐ जयदाय नमः ।
- ॐ जीवाय नमः ।
- ॐ अनन्ताय नमः ।
- ॐ जयावहाय नमः ।
- ॐ आङ्गीरसाय नमः ।
- ॐ अध्वरासक्ताय नमः ।
- ॐ विविक्ताय नमः । १८
- ॐ अध्वरकृत्पराय नमः ।
- ॐ वाचस्पतये नमः ।
- ॐ वशिने नमः ।
- ॐ वश्याय नमः ।
- ॐ वरिष्ठाय नमः ।
- ॐ वाग्विचक्षणाय नमः ।
- ॐ चित्तशुद्धिकराय नमः ।
- ॐ श्रीमते नमः ।
- ॐ चैत्राय नमः । २७
- ॐ चित्रशिखण्डिजाय नमः ।
- ॐ बृहद्रथाय नमः ।
- ॐ बृहद्भानवे नमः ।
- ॐ बृहस्पतये नमः ।
- ॐ अभीष्टदाय नमः ।
- ॐ सुराचार्याय नमः ।
- ॐ सुराराध्याय नमः ।
- ॐ सुरकार्यहितङ्कराय नमः ।
- ॐ गीर्वाणपोषकाय नमः । ३६
- ॐ धन्याय नमः ।
- ॐ गीष्पतये नमः ।
- ॐ गिरीशाय नमः ।
- ॐ अनघाय नमः ।
- ॐ धीवराय नमः ।
- ॐ धिषणाय नमः ।
- ॐ दिव्यभूषणाय नमः ।
- ॐ देवपूजिताय नमः ।
- ॐ धनुर्धराय नमः । ४५
- ॐ दैत्यहन्त्रे नमः ।
- ॐ दयासाराय नमः ।
- ॐ दयाकराय नमः ।
- ॐ दारिद्र्यनाशनाय नमः ।
- ॐ धन्याय नमः ।
- ॐ दक्षिणायनसम्भवाय नमः ।
- ॐ धनुर्मीनाधिपाय नमः ।
- ॐ देवाय नमः ।
- ॐ धनुर्बाणधराय नमः । ५४
- ॐ हरये नमः ।
- ॐ आङ्गीरसाब्जसञ्जताय नमः ।
- ॐ आङ्गीरसकुलोद्भवाय नमः ।
- ॐ सिन्धुदेशाधिपाय नमः ।
- ॐ धीमते नमः ।
- ॐ स्वर्णवर्णाय नमः ।
- ॐ चतुर्भुजाय नमः ।
- ॐ हेमाङ्गदाय नमः ।
- ॐ हेमवपुषे नमः । ६३
- ॐ हेमभूषणभूषिताय नमः ।
- ॐ पुष्यनाथाय नमः ।
- ॐ पुष्यरागमणिमण्डलमण्डिताय नमः ।
- ॐ काशपुष्पसमानाभाय नमः ।
- ॐ कलिदोषनिवारकाय नमः ।
- ॐ इन्द्रादिदेवोदेवेशाय नमः ।
- ॐ देवताभीष्टदायकाय नमः ।
- ॐ असमानबलाय नमः ।
- ॐ सत्त्वगुणसम्पद्विभासुराय नमः । ७२
- ॐ भूसुराभीष्टदाय नमः ।
- ॐ भूरियशसे नमः ।
- ॐ पुण्यविवर्धनाय नमः ।
- ॐ धर्मरूपाय नमः ।
- ॐ धनाध्यक्षाय नमः ।
- ॐ धनदाय नमः ।
- ॐ धर्मपालनाय नमः ।
- ॐ सर्ववेदार्थतत्त्वज्ञाय नमः ।
- ॐ सर्वापद्विनिवारकाय नमः । ८१
- ॐ सर्वपापप्रशमनाय नमः ।
- ॐ स्वमतानुगतामराय नमः ।
- ॐ ऋग्वेदपारगाय नमः ।
- ॐ ऋक्षराशिमार्गप्रचारवते नमः ।
- ॐ सदानन्दाय नमः ।
- ॐ सत्यसन्धाय नमः ।
- ॐ सत्यसङ्कल्पमानसाय नमः ।
- ॐ सर्वागमज्ञाय नमः ।
- ॐ सर्वज्ञाय नमः । ९०
- ॐ सर्ववेदान्तविदे नमः ।
- ॐ वराय नमः ।
- ॐ ब्रह्मपुत्राय नमः ।
- ॐ ब्राह्मणेशाय नमः ।
- ॐ ब्रह्मविद्याविशारदाय नमः ।
- ॐ समानाधिकनिर्मुक्ताय नमः ।
- ॐ सर्वलोकवशंवदाय नमः ।
- ॐ ससुरासुरगन्धर्ववन्दिताय नमः ।
- ॐ सत्यभाषणाय नमः । ९९
- ॐ बृहस्पतये नमः ।
- ॐ सुराचार्याय नमः ।
- ॐ दयावते नमः ।
- ॐ शुभलक्षणाय नमः ।
- ॐ लोकत्रयगुरवे नमः ।
- ॐ श्रीमते नमः ।
- ॐ सर्वगाय नमः ।
- ॐ सर्वतो विभवे नमः ।
- ॐ सर्वेशाय नमः । १०८
- ॐ सर्वदातुष्टाय नमः ।
- ॐ सर्वदाय नमः ।
- ॐ सर्वपूजिताय नमः ।
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श्री बृहस्पति से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर - Shri Brihaspati Se Sambandhit Mahatvapoorn Prashn Uttar :-
बृहस्पति का महत्व क्या है?
- यद्यपि बृहस्पति के विशाल गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र ने सौर मंडल के शुरुआती दिनों में तबाही मचाई थी, आज यह क्षुद्रग्रहों की कक्षाओं की देखभाल करता है और आंतरिक ग्रहों को प्रभावों से बचाने में मदद करता है ।
बृहस्पति का वाहन क्या है?
- इनका वाहन स्वर्ण निर्मित रथ है, जो सूर्य के समान दीप्तिमान है एवं जिसमें सभी सुख सुविधाएं संपन्न हैं। उस रथ में वायु वेग वाले पीतवर्णी आठ घोड़े तत्पर रहते हैं। देवगुरु बृहस्पति की तीन पत्नियाँ हैं जिनमें से ज्येष्ठ पत्नी का नाम शुभा और कनिष्ठ का तारा या तारका तथा तीसरी का नाम ममता है।
हस्पति किसका अवतार है?
- बृहस्पति, जिन्हें "प्रार्थना या भक्ति का स्वामी" माना गया है, और ब्राह्मनस्पति तथा देवगुरु (देवताओं के गुरु) भी कहलाते हैं, एक हिन्दू देवता एवं वैदिक आराध्य हैं। इन्हें शील और धर्म का अवतार माना जाता है और ये देवताओं के लिये प्रार्थना और बलि या हवि के प्रमुख प्रदाता हैं।
बृहस्पति किस भाव में मजबूत है?
- बृहस्पति, जिसे 'बृहस्पति' या 'देव गुरु' के नाम से जाना जाता है, विस्तार, ज्ञान और सौभाग्य का प्रतिनिधित्व करता है। पहले, दूसरे, पांचवें और सातवें घरों में बृहस्पति की लाभकारी स्थिति आशावाद, धन, रचनात्म कता और सामंजस्यपूर्ण रिश्ते लाती है।
बृहस्पति की पत्नी कौन है?
- देवगुरु बृहस्पति की तीन पत्नियाँ हैं जिनमें से ज्येष्ठ पत्नी का नाम शुभा और कनिष्ठ का तारा या तारका तथा तीसरी का नाम ममता है। शुभा से इनके सात कन्याएं उत्पन्न हुईं हैं, जिनके नाम इस प्रकार से हैं भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती।
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