नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र - Navgraha Pidahar Stotra

नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र 

इस स्तोत्र के माध्यम से सबसे पहले सूर्य देव, फिर चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु ग्रह से पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की गई है. आज रविवार का दिन है और यह सूर्य देव से संबंधित है तो आप आज से ही नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र पाठ का प्रारंभ कर सकते हैं !

Navgraha Pidahar Stotra

नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र - Navgraha Pidahar Stotra

ग्रहाणामादिरादित्यो लोकरक्षणकारकः ।
विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे रविः ॥ १ ॥

रोहिणीशः सुधामूर्तिः सुधागात्रः सुधाशनः ।
विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे विधुः ॥ २ ॥

भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा ।
वृष्टिकृद्वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु मे कुजः ॥ ३ ॥

उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युतिः ।
सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुधः ॥ ४ ॥

देवमन्त्री विशालाक्षः सदा लोकहिते रतः ।
अनेकशिष्यसम्पूर्णः पीडां हरतु मे गुरुः ॥ ५ ॥

दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामतिः ।
प्रभुस्ताराग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगुः ॥ ६ ॥

सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः ।
मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः ॥ ७ ॥

महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबलः ।
अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे शिखी ॥ ८ ॥

अनेकरूपवर्णैश्च शतशोऽथ सहस्रशः ।
उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे तमः ॥ ९ ॥

इति श्री नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र पूर्ण ||

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