शिव आराधना शायरी दो लाइन ! Shiv Aaraadhana Shayari two lines

 शिव आराधना शायरी दो लाइन !

शिव

इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, भिलपती, भिलेश्वर,रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।
शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है।
Shiv Aaraadhana Shayari two lines

शिव आराधना शायरी दो लाइन ! Shiv Aaraadhana Shayari two lines

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रौद्र और आनन्द तांडव शिव शक्ति के हैं दो स्वरुप
क्रोध में रौद्र रूप हैं धरते आनन्द में वो आनंदित रहते
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जहाँ शिव नंदी वहाँ
नंदी जहाँ शिव भी वहाँ
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शिव स्वार्थ से परे हैं परमार्थ से भरे हैं
जो हैं नाथों के नाथ जग के हैं भोलेनाथ
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जिनके संग हैं गौरा महारानी गोद में विराजें गणपति ज्ञानी
शीश में धरे श्री गँग भवानी अखिलेश्वर कहलाते हैं दानी
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जो शिव की महिमा को जानें वो दुनियाँ दारी ना जानें
वो बातें बनाना ना जानें जो शिवशंकर को पहचानें
 
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हे देवों के देव महादेव कण -कण में है तुम्हारा नाम
सारी दुनियाँ तो बनायी है तुमने पर विश्वनाथ में है तुम्हारा धाम

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भस्म रमाते हैं वो तन पर ओढ़ते हैं बाघाम्बर छाला
खाते हैं शिव भाँग धतूरा पीते हैं विष का वो प्याला 
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सब देवों में प्रथम पूज्य हैं महाकाल भोले भंडारी
तुम्हें पूजते ऋषि मुनि सब तुम्हारी मूरत अति प्यारी
 
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शिव भाव के भूखे हैं संतोषी कहलाते हैं
एक लोटा भी जल जो चढ़ाते अपरम्पार खुशियाँ हैं पाते 
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होती मेरी सुबह लेकर तेरा नाम याद करूँ भोले तेरा नाम
मुझे आस बस एक तेरी कामना पूर्ण करो भोले मेरी
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शिवशंकर डमरू वाले मांथे पर त्रिनेत्र वाले
सबके मन में आता है हो जायें शिव के हवाले
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वो देवों के देव हैं श्री राम जी के पूज्य हैं
श्री राम जी के सुनते भजन हरपल शिव रहते मगन
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त्रिनेत्र धारी शिव ज्ञान का बोध कराते
पवित्रता, ज्ञान और शांति का संदेश देते जाते
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शिव ही सत्य शिव ही आदि
शिव ही अनन्त शिव ही भगवंत
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ओंकार हैं शिव शिव ही हैं ब्रहम
शिव जहाँ शक्ति वहाँ प्रेम वहाँ शिव जहाँ

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उनके सर पर सदा ही रहती है शिव की छाया
जिसे ना हो मोह ना ही हो माया
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ब्रह्मा विष्णु जिनका नाम हैं जपते
वह शिवशंकर हैं अविनाशी
रिद्धि -सिद्धि के हैं वो दाता
आनंदित सदा सुखराशी
 
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शीश गंग अर्धांग पार्वती
सदा विराजे कैलाशी
शीतल मंद सुगंध पवन बहे
बैठे हैं शिव अविनाशी
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शशि का मुकुट पहनने वाले
गले में नागों की माला डाले
शिव जग के हैं रखवाले
गौरा के संग रहने वाले
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जल, थल और गगन में
इस जीवन के कण कण में
शिव हैं हर दिल में बसते
सदा प्रसन्न हैं वो रहते
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सबका मन हर्षित है होता
शिव भक्तों से मिल के
शिव -शिव का ही नाम वो बोलें
कानों में अमृत रस घोलें

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