महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का विशेष महत्व
महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जिसमें भगवान शिव की पूजा की जाती है और उनकी विशेष आराधना की जाती है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।महाशिवरात्रि को रात्रि के समय भगवान शिव के लिए विशेष अर्चना, पूजा और भजनों के साथ बिताया जाता है। भक्तों का मानना है कि महाशिवरात्रि की रात्रि में भगवान शिव सभी प्रार्थनाओं को सुनते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए जल, धूप, दीप, फूल, अक्षत, बेलपत्र, धातु, रुद्राक्ष, बिल्व पत्र आदि का उपयोग किया जाता है।
Lord Shiva has special significance on Mahashivratri |
महाशिवरात्रि पर भक्त अंतरंग ध्यान, जाप, मेधा और दान करके अपने मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं। इस दिन कई लोग उच्चरण या चौपाई जैसे पवित्र पाठ करते हैं और भगवान शिव के नामों का जाप करते हैं।महाशिवरात्रि के दिन कई शिवालयों में भजन, कीर्तन और कथा पाठ की जाती है। भक्तों का मानना है कि इस दिन भगवान शिव विशेष रूप से आत्मीयों के साथ संगीत, नृत्य और संगठन की आनंद लेते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और विभिन्न प्रकार के प्रसाद की वितरण किया जाता है। भोलेनाथ की आराधना के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के व्रत, उपवास और त्योहार का आयोजन किया जाता है।
इस प्रकार, महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है और भक्त उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। यह त्योहार शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है और उनके आध्यात्मिक विकास और संयम में मदद करता है।
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महाशिवरात्रि पर भग महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
- महा का अर्थ है 'महान', रात्रि का अर्थ है 'अज्ञान की रात' और जयन्ती का अर्थ है 'जन्म दिवस !
- परमपिता परमात्मा शिव तब आते हैं जब अज्ञान अंधकार की रात्रि प्रबल हो जाती है!
- परम-आत्मा का ही नाम है शिव, जिसका संस्कृत अर्थ है 'सदा कल्याणकारी !
- हिंदू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि कई कारणों से महत्व रखती है:
- एक मान्यता यह है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था !
- यह त्योहार उनके दिव्य मिलन का जश्न मनाने के लिए हर साल मनाया जाता है!
- साथ ही यह शिव और शक्ति के मिलन का भी प्रतीक है !
- धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है!
- जगत में रहते हुए मुष्य का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि !
- महाशिवरात्रि प्रार्थना, उपवास और ध्यान की रात है. भक्त आध्यात्मिक ज्ञान, शक्ति और मार्गदर्शन के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद चाहते हैं !
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महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की कथा बहुत प्रसिद्ध है।
इसके अनुसार, एक समय की बात है, भगवान शिव और माता पार्वती ने स्वर्ग में एक दिव्य नगर का निर्माण किया। वह नगर बहुत सुंदर था और पूर्णतः दिव्यता से भरा हुआ था। उन्होंने उसे कैलाश पहाड़ी के शीर्ष पर स्थापित किया। यह नगर कैलाशपुरी के रूप में जाना जाता है।कैलाशपुरी में एक मानव नामक व्यक्ति रहता था जिसका नाम सुदामा था। सुदामा अत्यंत भोले हृदय वाला और भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। वह दिनभर शिवलिंग पर जल चढ़ाता, धूप लगाता और फूल चढ़ाता रहता था। वह भगवान शिव की आराधना और पूजा में पूरी श्रद्धा और भक्ति रखता था।एक बार सुदामा को विषम परिस्थिति में फंस जाने का सामर्थ्य प्राप्त हुआ। उसे नागरिकों ने निकटवर्ती गांव में एक विशाल यात्रा का आयोजन करने का निमंत्रण दिया। सुदामा बड़ी खुशी के साथ उस यात्रा में भाग लेने निकला। यात्रा के दौरान, वह बड़े पैमाने पर भोजन की तैयारी की गई और खुद भी बड़े खुशी के साथ भोजन करने के लिए वापस लौट आया।लेकिन जब सुदामा वापस आया तो उसे देखकर उसके घर में केवल गरीबी, दुःख और अभाव का ही दृश्य दिखाई दिया।उसकी पत्नी ने उसे देखकर अपनी दुखी स्थिति बताई और उसे भिखारी बताया। इसके बावजूद, सुदामा ने खुद को भगवान शिव के भक्त के रूप में समर्पित कर दिया और उनसे कृपा और सहायता की अपेक्षा की।इस पर, भगवान शिव ने सुदामा को आशीर्वाद दिया और उसे सभी सुख और समृद्धि के साथ उसके गृह को लौटने का आदेश दिया। सुदामा घर लौट आया और वहां उसे एक अचानक बदलाव देखने को मिला। उसके घर में सुख, समृद्धि और आनंद आया था।
इस कथा से हमें यह संदेश मिलता है कि भगवान शिव हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें खुशी और समृद्धि प्रदान करते हैं। यह कथा भगवान शिव के अनन्य भक्ति, निर्भयता और निष्काम कर्म के महत्व को दर्शाती है।
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महाशिवरात्रि के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
- महाशिवरात्रि का अर्थ होता है "भगवान शिव की महान रात्रि"।
- इस त्योहार को हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
- यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक त्योहार है जो भगवान शिव की पूजा और आराधना के समर्पित होता है।
- इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए जल, धूप, दीप, फूल, अक्षत, बेलपत्र, धातु, रुद्राक्ष, बिल्व पत्र आदि का उपयोग किया जाता है।
- महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिए अनेक प्रकार के प्रसाद तैयार किए जाते हैं, जैसे कि बिल्व पत्र का भोग, थांबला, फल, खीर, पाक आदि।
- भक्तों का मानना है कि महाशिवरात्रि की रात्रि में भगवान शिव सभी प्रार्थनाओं को सुनते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
- इस दिन शिवालयों में भजन, कीर्तन और कथा पाठ की जाती है।
- महाशिवरात्रि के दिन भक्त अपने मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए अंतरंग ध्यान, जाप, मेधा और दान करते हैं।
- इस दिन रुद्राक्ष के माला का धारण करना विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है।
- शिवालयों में शिवलिंग की स्थापना की जाती है और भक्त उसे जल, धूप, फूल और प्रसाद से अर्चित करते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन कई लोग उच्चरण या चौपाई जैसे पवित्र पाठ करते हैं और भगवान शिव के नामों का जाप करते हैं।
- इस दिन भगवान शिव का विशेष मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जाप किया जाता है।
- भगवान शिव के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और उपवास करते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्तों को उचित तपस्या, संतुष्टि, शुभ विचारों और सात्विक आहार की प्रेरणा देते हैं।
- भगवान शिव के अलावा, महाशिवरात्रि के दिन नंदी (नंदी बैल), माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय भी विशेष रूप से पूजे जाते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन आग की पूजा की जाती है और होलिका दहन की भी परंपरा होती है।
- इस त्योहार के दौरान कई शिवालयों में जगरान आयोजित किया जाता है, जिसमें भगवान शिव के नाम और गुणगान गाए जाते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन कई लोग रविवार (शिववार) को अन्नदान और दान करते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन संसार में कई जगहों पर शिवलिंग की अभिषेक प्रदर्शनी की जाती है और लोग इसका आनंद लेते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाने की परंपरा है, क्योंकि गंगा जी भगवान शिव के बालक रूप में मानी जाती है।
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