शिव उपासना का महत्व,महाशिवरात्रि आस्था का महापर्व
- शिव उपासना का महत्व
- महाशिवरात्रि आस्था का महापर्व
- शिवरात्रि पूजन विधान
- भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं
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शिव उपासना का महत्व
भगवान शिव की पूजा करने के लिए, सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र पहनें. घर के मंदिर में दीपक जलाएं. सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें. शिवलिंग पर गंगा जल और दूध चढ़ाएं. भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें. भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें. भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं.शिवलिंग पर सबसे पहले गणेश पूजा करनी चाहिए. शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. इसके बाद दूध, दही, शहद भी चढ़ाएं. इसके बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि चीज़ें अर्पित करें.
शिव उपासना का महत्व भगवान शिव का सतो गुण, रजो गुण, तमो गुण तीनों पर एक समान अधिकार हैं। शिवने अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण कर शशि शेखर कहलाये हैं। चंद्रमा से शिव को विशेष स्नेह होने के कारण चंद्र सोमवार का अधिपति हैं इस लिये शिव का प्रिय वार सोमवार हैं। शिव कि पूजा-अर्चना के लिये सोमवार के दिन करने का विशेष महत्व हैं, इस दिन व्रत रखने से या शिव लिंग पर अभिषेक करने से शिवकी विशेष कृपा प्राप्त होती हैं। शिव को श्रावण मास इस लिये अधिक प्रिय हैं क्योकि श्रावण मास में वातावरण में जल तत्व कि अधिकता होती हैं एवं चंद्र जलतत्व का अधिपती ग्रह हैं। जो शिव के मस्तक पर सुशोभित हैं।
सभी सोमवार शिव को प्रिय हैं, परंतु पूरे श्रावण मास के सभी सोमवार को किये गये व्रत-पूजा अर्चना अभिषेक पूरे वर्ष किये गये व्रत के समान फल प्रदान करने वाली होती हैं।शिव उपासना के विभिन्न रूप वेदों में वर्णित हैं। शिव मंत्र उपासना में पंचाक्षरी "नम :शिवाय "या " नम :शिवाय " और महामृत्युंजय इत्यादि मंत्रों के जप का भी श्रावण मास में विशेष महत्व हैं, श्रावण मास में किय गये मंत्र जाप कई गुना अधिक प्रभाव शाली सिद्ध होते देखे गये हैं। जहा शिव पंचाक्षरी मंत्र मनुष्य को समस्त भौतिक सुख साधनो कि प्राप्ति हेतु विशेष लाभकारी हैं, वहीं महामृत्युंजय मंत्र के जप से मनुष्य के सभी प्रकार के मृत्यु भय-रोग-कष्ट-दरिद्रता दूर होकर उसे दीर्घायु की प्राप्ति होती हैं। महामृत्युंजय मंत्र, रुद्राभिषिक आदि का सामुहिक अनुष्ठान करने से अतिवृष्टि, अनावृष्टि एवं महामारी आदि से रक्षा होती हैं एवं अन्य सभी प्रकार के उपद्रवों की शांति होती हैं।
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महाशिवरात्रि आस्था का महापर्व
हिन्दु धर्म में महाशिवरात्रि को हर्ष और उल्हास का महा पर्व माना जाता हैं। शिव का व्यक्तित्व हर साधारण व्यक्ति की भावनाओं का प्रतीक है। सदियों से भारत में महाशिवरात्रि उत्सव को पूर्ण आस्था और आध्यात्मिकता के साथ सृष्टि के रचनाकर देव महादेव को आभर प्रकट करते हुए उनकी विशेष कृपा प्राप्त करने का विधान हैं। दार्शनिक चिंताधारा से देखे तो मानव जीवन के कल्याण लिये एवं मानवता को जोड़ ने हेतु। हजारो वर्षो से भारतीय जीवन शैलि स्वाभाविक-अस्वाभाविक रूप से प्रकृति से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध रखती हैं। भारतीय संस्कृति में शिव को सर्वव्यापी पूर्ण ब्रह्म के रूप में समावेष किया गया हैं।
भारतीय संस्कृति मे शिव जी को पिता और उनकी पत्रि पार्वती जी को मां मान कर उनकी आराधना परिवार, समाज एवं विश्व के कल्याण हेतु की जाती हैं। प्रकृति की भेट बेल पत्र द्वारा शिवलिंग पर अभिषेक कर शिव के समीप अपने कार्य या कामना पूर्ति हेतु प्राथना की जाति हैं। जिससे व्यक्ति अपने कल्याण कर अपनी हिंसक प्रवृति, क्रोध, अहंकार आदि बूरे कर्मो पर अंकुश लगाने में समर्थ हो सकें। हिंदू संस्कृति में शिव को प्रसन्न करने हेतु शिवरात्रि पर्व पर शिवलिंग ३3 की विशेष पूजा-अर्चना की परम्परा हैं। इसि लिये शिवरात्रि पर देश-विदेश के सभी शिव मंदिरों में विभिन्न प्रकार से धार्मिक एवं आध्यात्मिक भावना के साथ पूजा, अर्चना, व्रत एव उपासना की जाती हैं। क्योकि शिव स्वयं विष पान करके सृष्टि को अमृत पान कराते हैं। इसी प्रकार शिवरात्रि का महापर्व संसार से बूराईयों को मिटाकर विश्व को सुख, स्मृद्धि, प्रेम एवं शांति फेलाने का हैं।
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शिवरात्रि पूजन विधान
- महाशिवरात्रि के दिन शिवजी का पूजन अर्चन करने से उनकी कृपा सरलता से प्राप्त होति हैं, इस लिये शिवभक्त, शिवालय/शिव मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर दूध, गंगाजल, बेल-पत्र, पुष्प आदि से अभिषेक कर, शिवजी का पूजन कर उपवास कर रात्रि जागरण कर भजन किर्तन करते हैं।
- शास्त्रो मे वर्णन मिलता हैं की शिवरात्रि के दिन शिवजी की माता पर्वती से शादी हुई थी इसलिए रात्र के समय शिवजी की बारात निकाली जाती हैं।
- शिवरात्रि का पर्व सृष्टि का सृजन करती स्वयं परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की स्मृति दिलाता है। यहां 'रात्रि' शब्द अज्ञान (अन्धकार) से होने वाले नैतिक कर्मों के पतन का द्योतक है। केवल परमात्मा ही ज्ञान के सागर हैं जो मनुष्य मात्र को सत्य ज्ञान द्वारा अन्धकार से प्रकाश की ओर अथवा असत्य से सत्य की ओर ले जाते हैं।
- शिवरात्रि का व्रत सभी वर्ग एवं उम्र के लोग कर सकते हैं। इस व्रत के विधान में सुबह स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर उपवास रखा जाता हैं।
- शिवरात्रि के दिन शिव मंदिर/शिवात्रय में जाकर शिव लिंग पर अपने कार्य उद्देश्य की पूर्ति के अनुरुप दूध, दही, गंगाजल, घी, मधु (मध,महु), चीनी (मिश्रि) बेल-पत्र, पुष्प आदि का शिव लिंग पर अभिषेक कर शिवलिंग पूजन का विधान हैं।
भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं
- भगवान शिव की पूजा से भक्तों को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है
- भगवान शिव की पूजा से जीवन में पैसों की समस्या नहीं रहती
- भगवान शिव की पूजा से सुख-शांति और समृद्धि मिलती है
- भगवान शिव की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है
- भगवान शिव की पूजा से भक्तों का आत्मबल बढ़ता है
- भगवान शिव की पूजा से भक्तों को किसी भी प्रकार का रोग-शोक नहीं रहता
- भगवान शिव की पूजा से अद्भुत ऊर्जा, बल और साहस की अनुभूति होती है
- भगवान शिव की पूजा से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है
- भगवान शिव की पूजा से हर इच्छा पूरी होती है
🙏नमस्ते दोस्तों आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर और हमारे ब्लॉग पोस्ट पर हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं से सम्बंधित है और मुझे खुशी है कि मेरा जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ और मुझे अपने देवी-देवताओं के बारे में पढ़ने की रुचि बहुत है और दोस्तों मुझे लगता है कि मैं अपने हिंदू भाइयों और बहनों के लिए हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं से सम्बंधि ब्लॉग पोस्ट करूंगा और हिन्दू धर्म में देवताओं का ज्ञान एक महत्वपूर्ण और उच्चतम स्तर का ज्ञान है। हिन्दू धर्म में अनंत संख्या में देवी-देवताओं की पूजा और आराधना की जाती है, जो सभी विभिन्न गुणों, शक्तियों, और प्रतिष्ठाओं के साथ सम्मानित हैं। विभिन्न पुराणों, ग्रंथों, और धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से, हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं के गुण, विशेषताएं, और महत्व का अध्ययन किया जाता है अगर आपको हमारा ब्लॉग पोस्ट पसंद आया हो तो आप इसे सोशल मीडिया फेसबुक व्हाट्सएप आदि पर जरूर शेयर करें। और कृपया हमें कमेंट करके बताएं कि आपको हमारे ब्लॉग पोस्ट की जान कारी कैसे लगी ! "सनातन अमर था अमर हे अमर रहेगा" !!सनातन_धर्म_ही_सर्वश्रेष्ठ_है!!
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