बसन्त पंचमी में पढ़े मां सरस्वती की आरती मां सरस्वती वंदना , Read Maa Saraswati's Aarti in Basant Panchami, Saraswati Vandana

बसन्त पंचमी में पढ़े मां सरस्वती की आरती  मां सरस्वती वंदना

बसंत पंचमी का त्योहार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मां सरस्वती को भगवती, चंद्रघंटा, वाणीश्वरी, बुद्धिदात्री, सिद्धिदात्री, भुवनेश्वरी, गायत्री और ब्रह्माणी सहित कई नामों से जाना जाता है। इस साल बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाने वाला है।

बसंत पंचमी का महत्व

बसंत पंचमी का व्रत ज्ञान, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को रखने से देवी सरस्वती प्रसन्न होती हैं और ज्ञान, विद्या और बुद्धि प्रदान करती हैं।
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बसंत पंचमी व्रत विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • दिन भर व्रत रखें और शाम को फिर से स्नान करके देवी सरस्वती की आरती करें।
  • का जाप करें: ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः
  • देवी सरस्वती को पुष्प, फल, मिठाई, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद देवी सरस्वती की आरती करें और निम्न मंत्र 
  • देवी सरस्वती की आरती करें और उनसे ज्ञान, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति की प्रार्थना करें।
  • घर के मंदिर में देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
  • अगले दिन सुबह व्रत का पारण करें।
  • हिन्दू देवी-देवताओं का समूह और उनके कार्य

मां सरस्वती की आरती

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता ।

सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥

जय जय सरस्वती माता

चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी ।

सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥

जय जय सरस्वती माता

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला ।

शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला ॥

जय जय सरस्वती माता

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया ।

पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥

जय जय सरस्वती माता

विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो ।

मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो ॥

जय जय सरस्वती माता

धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो ।

ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥

जय जय सरस्वती माता

माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे ।

हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे ॥

जय जय सरस्वती माता

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।

सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥

सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।

हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥

जय जय सरस्वती माता

बसंत पंचमी के दिन कैसे पूजा करनी चाहिए?
बसंत पंचमी के दिन सुबह उठकर सबसे पहले धरती माँ को स्पर्श कर नमन करें. स्नानादि के बाद पीले रंग के कपड़े पहने, पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. मां सरस्वती की प्रतिमा को गंगा जल से साफ करके पीले या सफेद रंग के ही कपड़े पहनाएं.

मां सरस्वती की वंदना कैसे करें?
' हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती, आपको नमस्कार करता हूँ। मैं अपनी विद्या ग्रहण करना आरम्भ कर रहा हूँ , मुझे इस कार्य में सिद्धि मिले। या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

बसंत पंचमी पर क्या पढ़ना चाहिए?
पढ़ाई में आ रही रुकावट के लिए – जिन छात्रों की पढ़ाई में बाधा आ रही है, तो उनसे बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को सफेद चंदन अर्पित कराएं और फिर 'ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः' मंत्र का 108 बार जाप कराएं. मान्यता है इससे पढ़ाई में सफलता मिलती है.

तिथि और शुभ मुहूर्त
उदया तिथि के चलते बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिन सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.00 से दोपहर 12.41 बजे तक रहेगा.

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