श्री सरस्वति अष्टोत्तरशत नामावलि ,Shri Saraswati Ashtottarashat Namavali

श्री सरस्वतिअष्टोत्तरशत नामावलि


॥ श्रीसरस्वती अष्टोत्तरनामावली ॥
  1. ॐ सरस्वत्यै नमः ।
  2. ॐ महाभद्रायै नमः ।
  3. ॐ महामायायै नमः ।
  4. ॐ वरप्रदायै नमः ।
  5. ॐ श्रीप्रदायै नमः ।
  6. ॐ पद्मनिलयायै नमः ।
  7. ॐ पद्माक्ष्यै नमः ।
  8. ॐ पद्मवक्त्रायै नमः ।
  9. ॐ शिवानुजायै नमः ।
  10. ॐ पुस्तकभृते नमः॥ १० ॥
Shri Saraswati Ashtottarashat Namavalih

  1. ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः ।
  2. ॐ रमायै नमः ।
  3. ॐ परायै नमः ।
  4. ॐ कामरूपायै नमः ।
  5. ॐ महाविद्यायै नमः ।
  6. ॐ महापातक नाशिन्यै नमः ।
  7. ॐ महाश्रयायै नमः ।
  8. ॐ मालिन्यै नमः ।
  9. ॐ महाभोगायै नमः ।
  10. ॐ महाभुजायै नमः॥ २० ॥
  • ॐ महाभागायै नमः ।
  • ॐ महोत्साहायै नमः ।
  • ॐ दिव्याङ्गायै नमः ।
  • ॐ सुरवन्दितायै नमः ।
  • ॐ महाकाल्यै नमः ।
  • ॐ महापाशायै नमः ।
  • ॐ महाकारायै नमः ।
  • ॐ महांकुशायै नमः ।
  • ॐ पीतायै नमः ।
  • ॐ विमलायै नमः॥ ३० ॥
  1. ॐ विश्वायै नमः ।
  2. ॐ विद्युन्मालायै नमः ।
  3. ॐ वैष्णव्यै नमः ।
  4. ॐ चन्द्रिकायै नमः ।
  5. ॐ चन्द्रवदनायै नमः ।
  6. ॐ चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः ।
  7. ॐ सावित्र्यै नमः ।
  8. ॐ सुरसायै नमः ।
  9. ॐ देव्यै नमः ।
  10. ॐ दिव्यालंकारभूषितायै नमः॥ ४० ॥
  • ॐ वाग्देव्यै नमः ।
  • ॐ वसुधायै नमः ।
  • ॐ तीव्रायै नमः ।
  • ॐ महाभद्रायै नमः ।
  • ॐ महाबलायै नमः ।
  • ॐ भोगदायै नमः ।
  • ॐ भारत्यै नमः ।
  • ॐ भामायै नमः ।
  • ॐ गोविन्दायै नमः ।
  • ॐ गोमत्यै नमः॥ ५० ॥
  • ॐ शिवायै नमः ।
  • ॐ जटिलायै नमः ।
  • ॐ विन्ध्यावासायै नमः ।
  • ॐ विन्ध्याचलविराजितायै नमः ।
  • ॐ चण्डिकायै नमः ।
  • ॐ वैष्णव्यै नमः ।
  • ॐ ब्राह्मयै नमः ।
  • ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः ।
  • ॐ सौदामिन्यै नमः ।
  • ॐ सुधामूर्त्यै नमः॥ ६० ॥
  1. ॐ सुभद्रायै नमः ।
  2. ॐ सुरपूजितायै नमः ।
  3. ॐ सुवासिन्यै नमः ।
  4. ॐ सुनासायै नमः ।
  5. ॐ विनिद्रायै नमः ।
  6. ॐ पद्मलोचनायै नमः ।
  7. ॐ विद्यारूपायै नमः ।
  8. ॐ विशालाक्ष्यै नमः ।
  9. ॐ ब्रह्मजायायै नमः ।
  10. ॐ महाफलायै नमः॥ ७० ॥
  • ॐ त्रयीमूर्त्यै नमः ।
  • ॐ त्रिकालज्ञायै नमः ।
  • ॐ त्रिगुणायै नमः ।
  • ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः ।
  • ॐ शुम्भासुरप्रमथिन्यै नमः ।
  • ॐ शुभदायै नमः ।
  • ॐ स्वरात्मिकायै नमः ।
  • ॐ रक्तबीजनिहन्त्र्यै नमः ।
  • ॐ चामुण्डायै नमः ।
  • ॐ अम्बिकायै नमः॥ ८० ॥
  1. ॐ मुण्डकायप्रहरणायै नमः ।
  2. ॐ धूम्रलोचनमर्दनायै नमः ।
  3. ॐ सर्वदेवस्तुतायै नमः ।
  4. ॐ सौम्यायै नमः ।
  5. ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः ।
  6. ॐ कालरात्र्यै नमः ।
  7. ॐ कलाधारायै नमः ।
  8. ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः ।
  9. ॐ वाग्देव्यै नमः ।
  10. ॐ वरारोहायै नमः॥ ९० ॥
  • ॐ वाराह्यै नमः ।
  • ॐ वारिजासनायै नमः ।
  • ॐ चित्राम्बरायै नमः ।
  • ॐ चित्रगन्धायै नमः ।
  • ॐ चित्रमाल्यविभूषितायै नमः ।
  • ॐ कान्तायै नमः ।
  • ॐ कामप्रदायै नमः ।
  • ॐ वन्द्यायै नमः ।
  • ॐ विद्याधरसुपूजितायै नमः ।
  • ॐ श्वेताननायै नमः॥ १०० ॥
  1. ॐ नीलभुजायै नमः ।
  2. ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः ।
  3. ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः ।
  4. ॐ रक्तमध्यायै नमः ।
  5. ॐ निरंजनायै नमः ।
  6. ॐ हंसासनायै नमः ।
  7. ॐ नीलजङ्घायै नमः ।
  8. ॐ ब्रह्मविष्णुशिवान्मिकायै नमः॥ १०८ ॥

॥ इति श्री सरस्वति अष्टोत्तरशत नामावलिः ॥
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा॥ ' हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती, आपको नमस्कार करता हूँ। मैं अपनी विद्या ग्रहण करना आरम्भ कर रहा हूँ , मुझे इस कार्य में सिद्धि मिले। या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
  • सरस्वती ने ब्रह्मा जी को श्राप क्यों दिया?
जब तक माता सरस्वती पहुंची, उन्हें को हुआ कि भगवान ब्रह्मा ने अनुष्ठान पूरा करने के लिए देवी गायत्री से पहले ही विवाह कर लिया है। इस बात से क्रोधित होकर माता सरस्वती ने भगवन ब्रह्मा को श्राप दे दिया।
  • सरस्वती को क्या श्राप था?
मैं तुम्हें पौधे के रूप में जन्म लेने और नदी के रूप में बहने का शाप देता हूं। यह सुनकर लक्ष्मी चुप रहीं, लेकिन गंगा क्रोध से उठीं। उन्होंने कहा, "हे सरस्वती, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई निर्दोष लक्ष्मी को श्राप देने की, मैं भी तुम्हें श्राप देती हूं कि तुम विष्णुदेव से अलग हो जाओगी और पापियों के पाप धोते हुए पृथ्वी पर एक नदी के रूप में बहोगी।
  • विद्या का मूल मंत्र क्या है?
' या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेणसंस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। इस तरह वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करने से ज्ञान, विद्या, धन, सुख-समृद्धि और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
  • सरस्वती गायत्री मंत्र कौन सा है?
ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि।
यह माता सरस्वती का गायत्री मंत्र है। बसंत पंचमी के दिन इस मंत्र की 5 माला का जप करें। यह मंत्र बहुत लाभदायक माना जाता है।
  • सरस्वती मंत्र कितने होते हैं?
सरस्वती जी के 108 नाम व मंत्र के इस जाप से बल बुद्धि विद्या की प्राप्ति होती है माँ सरस्वती के पूजन के समय यह श्लोक पढ़ने से मां की असीम कृपा प्राप्त होती है। शक्तिशाली सरस्वती मंत्र एक शानदार स्मृति को विकसित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। 1 सरस्वती ॐ सरस्वत्यै नमः।

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