गजानन स्तोत्रम् शङ्करादिकृत ! Gajanan Stotram Shankaradhikrit

गजाननस्तोत्रम् शङ्करादिकृत !

गजानन स्तोत्रम् को भगवान शिव और अन्य देवताओं द्वारा बनाया गया गणेश स्तोत्रम माना जाता है. यह स्तोत्र बहुत शक्तिशाली है .इस स्तोत्र का पाठ करने का अनुष्ठान हर दिन 21 बार, 21 दिन तक करने से सभी तरह की सिद्धि मिल सकती है.

श्री गजानन स्तोत्र का नियमित पाठ करने से कई तरह के फ़ायदे हो सकते हैं:-

  • मनोकामनाएं पूरी होती हैं
  • शांति मिलती है
  • जीवन की बुराइयां दूर होती हैं
  • स्वास्थ्य लाभ होता है
  • धन की वृद्धि होती है
  • पुत्र-पौत्र की प्राप्ति होती है
  • धन-धान्य मिलता है
  • सभी तरह की संपन्नता मिलती है
  • अशुभ की प्राप्ति नहीं होती
  • सभी तरह के युद्धों में जीत मिलती है
  • यात्राओं में फल मिलता है
  • असाध्य को साध्य किया जा सकता है
  • धर्म, अर्थ, काम, पुरुषार्थ, और ब्रह्म ज्ञान मिलता है 
Gajanan Stotram Shankaradhikrit

गजानन स्तोत्र शङ्करादिकृत ! Gajanan Stotram Shankaradhikrit

देवा ऊचुः

गजाननाय पूर्णाय सांख्यरूपमयाय ते। 
विदेहेन च सर्वत्र संस्थिताय नमो नमः ॥१॥

अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते।
मूषकवाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः ॥२॥

अनन्तविभवायैव परेशां पररूपिणे ।
शिवपुत्राय देवाय गुहाग्रजाय ते नमः ॥३॥

पार्वतीनन्दनायैव देवानां पालकाय  ते। 
सर्वेषां पूज्यदेहाय गणेशाय नमो नमः ॥४॥

स्वानन्दवासिने तुभ्यं शिवस्य कुलदैवत । 
विष्ण्वादीनां विशेषेण कुलदेवाय ते नमः ॥५॥

योगाकाराय सर्वेषां योगशान्तिप्रदाय च । 
ब्रह्मेशाय नमस्तुभ्यं ब्रह्मभूतप्रदाय ते ॥६॥

सिद्धि-बुद्धिपते नाथ ! सिद्धि-बुद्धिप्रदायिने । 
मायिने मायिकेभ्यश्च मोहदाय नमो नमः ॥७॥

लम्बोदराय वै तुभ्यं सर्वोदरगताय च। 
अमायिने च मायाया आधाराय नमो नमः ॥८॥

गजः सर्वस्य बीजं यत्तेन चिह्नेन विघ्नप । 
योनिस्त्वां प्रजानन्ति तदाकारा भवन्ति ते ॥९॥

 तेन त्वं गजवक्त्रश्च किं स्तुमस्त्वां गजानन । 
वेदादयो विकुण्ठाश्च शङ्क‌राद्याश्च देवपाः ॥१०॥

शुक्रादयश्च शेषाद्याः स्तोतुं शक्ता भवन्ति न। 
तथापि संस्तुतोऽसि त्वं स्फूर्त्या त्वद्दर्शनात्मना ॥११॥

एवमुक्त्वा प्रणेमुस्तं गजानन शिवादयः । 
स तानुवाच प्रीतात्मा भक्तिभावेन तोषितः ॥१२॥

गजानन उवाच

भवत्कृतमिदं स्तोत्रं मदीयं सर्वदं भवेत् । 
पठते शृण्वते चैव ब्रह्मभूत-प्रदायकम् ॥१३॥

इति मौद्गलोक्त गजाननस्तोत्रं समाप्तम् ॥

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