गणपति स्तोत्र ! Ganpati Stotra

गणपति स्तोत्र ! Ganpati Stotra (4)

गणेश स्तोत्र का जाप करने से मन शांत होता है और जीवन से बुराइयां दूर होती हैं. यह स्तोत्र भगवान गणेश को बहुत प्रिय है. मान्यता है कि इसका पाठ करने से सभी दुखों का अंत होता है और बिगड़े काम भी बनने लगते हैं. इस स्तोत्र के नियमित पाठ से स्वास्थ्य लाभ के साथ धन की वृद्धि होती है. साथ ही, भय भी दूर होता है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. विद्यार्थियों को विद्या और धन की कामना रखने वालों को धन और पुत्र की प्राप्ति होती है. एक साल तक नियमित पाठ करने से मनुष्य सिद्धि को प्राप्त कर लेता है !
Ganpati Stotra

गणपति स्तोत्र ! Ganpati Stotra ( 4 )

जेतुं यस्त्रिपुरं हरेण हरिणा व्याजाद्वलिं बध्नता 
स्त्रष्टुं वारिभवोद्भवेन भुवनं शेषेण धर्तुं धरम् ।

पार्वत्या महिषासुरप्रमथने सिद्धाधिपैः सिद्धये 
ध्यातः पञ्चशरेण विश्वजितये पायात् स नागाननः ॥१॥

विघ्नव्यालकुलाभिमानगरुडो विघ्नेभपञ्चाननः 
विघ्नोत्तुङ्ग गिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाम्बुधैर्वाडवो 
विघ्नाघौघघनप्रचण्डपवनो विघ्नेश्वरः पातु नः ॥२॥

खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं
प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम् 
दन्ताघातविदारितारिरुधिरैः सिन्दूरशोभाकरं 
वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ॥३॥

गजाननाय महसे प्रत्यूहतिमिरच्छिदे ।
अपारकरुणापूरतरङ्गितदृशे नमः ॥४॥

अगजाननपद्मार्क गजाननमहर्निशम् ।
अनेकदन्तं भक्तानामेकदन्तमुपास्महे ॥५॥

श्वेताङ्ग श्वेतवस्त्रं सितकुसुमगणैः पूजितं श्वेतगन्धैः !
क्षीराब्धौ रत्नदीपैः सुरनरतिलकं रत्नसिंहासनस्थम् । 

दोर्भिः पाशाङ्‌कुशाब्जाभयवरमनसं चन्द्रमौलिं !
त्रिनेत्रं ध्यायेच्छान्त्यर्थमीशं गणपतिममलं श्रीसमेतं प्रसन्नम् ॥६॥

आवाहये तं गणराजदेवं रक्तोत्पलाभासमशेषवन्द्यम् ।
विघ्नान्तकं विघ्नहरं गणेशं भजामि रौद्रं सहितं च सिद्धया ॥७॥

यं ब्रह्म वेदान्तविदो वदन्ति परं प्रधानं पुरुषं तथाऽन्ये । 
विश्वोद्गतेः कारणमीश्वरं वा तस्मै नमो विघ्नविनाशनाय ॥८॥

विघ्नेश वीर्याणि विचित्रकाणि वन्दीजनैर्मागधकैः स्मृतानि । 
श्रुत्वा समुत्तिष्ठ गजानन त्वं ब्राह्मे जगन्मङ्गलकं कुरुष्व ॥९॥

गणेश हेरम्ब गजाननेति महोदर स्वानुभवप्रकाशिन् । 
वरिष्ठ सिद्धिप्रिय बुद्धिनाथ वदन्त एवं त्यजत प्रभीतीः ॥१०॥

अनेकविघ्नान्तक वक्रतुण्ड स्वसंज्ञवासिंश्च चतुर्भुजेति । 
कवीश देवान्तकनाशकारिन् वदन्त एवं त्यजत प्रभीतीः ॥११॥

अनन्तचिद्रूपमयं गणेशं ह्यभेदभेदादिविहीनमाद्यम् । 
हृदि प्रकाशस्य धरं स्वधीस्थं तमेकदन्तं शरणं व्रजामः ॥१२॥

विश्वादिभूतं हृदि योगिनां वै प्रत्यक्षरूपेण विभान्तमेकम् । 
सदा निरालम्बसमाधिगम्यं तमेकदन्तं शरणं व्रजामः ॥१३॥

यदीयवीर्येण समर्थभूता माया तया संरचितं च विश्वम् । 
नागात्मकं ह्यात्मतया प्रतीतं तमेकदन्तं शरणं व्रजामः ॥१४॥ 

सर्वान्तरे संस्थितमेकमूढं यदाज्ञया सर्वमिदं विभाति । 
अनन्तरूपं हृदि बोधकं वै तमेकदन्तं शरणं व्रजामः ॥१५॥ 

यं योगिनो योगबलेन साध्यं कुर्वन्ति तं कः स्तवनेन नौति । 
अतः प्रणामेन सुसिद्धिदोऽस्तु तमेकदन्तं शरणं व्रजामः ॥१६॥ 

देवेन्द्रमौलिमन्दारमकरन्दकणारुणाः !
विघ्नान् हरन्तु हेरम्बचरणाम्बुजरेणवः ॥१७॥

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम् ।
विघ्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम् ॥१८॥

यदक्षरं पदं भ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत् ।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव प्रसीद परमेश्वर ॥१९॥

इति श्रीगणपतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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गणपति स्तोत्र के लाभ ( Ganpati Stotra )

  • मन शांत होता है
  • जीवन से बुराई दूर होती है
  • स्वास्थ्य लाभ होता है
  • धन की वृद्धि होती है
  • भयमुक्ती होती है
  • इच्छित फल की प्राप्ति होती है
  • विद्या प्राप्ति होती है
  • पुत्र की प्राप्ति होती है
  • सिद्धि प्राप्त होती है
  • संतान तेजस्वी होती है
  • संतान का जीवन सुखमय बीतता है
  • संतान रोगमुक्त रहती है
  • संतान की बुद्धि तीव्र होती है
  • संतान पर गणेश की कृपा बनी रहती है
  • संतान बलशाली बनती है
  • संतान समस्याओं के प्रति निडर बनती है
  • संतान को जीवन में सफलता मिलती है 

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