संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं ! Sankatnashan Ganesh Stotra

संकटनाशन गणेश स्तोत्र ! Sankatnashan Ganesh Stotra

नारद पुराण में संकटनाशन गणेश स्तोत्र का उल्लेख है. कहा जाता है कि एक बार नारद जी संकट में फंस गए थे, तब भगवान शिव से प्रेरणा लेकर उन्होंने इस स्तोत्र की रचना की थी. इसका पाठ करने से विघ्नहर्ता श्री गणेश जी ने उनके संकटों को दूर कर दिया था. तब से संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ किया जाने लगा !
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने का तरीका:-
  • शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार या अन्य किसी बुधवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें
  • गणेशजी की पूजा करें
  • उन्हें दूर्वा जरूर अर्पित करें
  • भगवान गणेश् के विग्रह के सामने संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें
  • पाठ शुरु करने के पहले और पाठ समाप्ति के बाद गण !
Sankatnashan Ganesh Stotra

संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं ! Sankatnashan Ganesh Stotra

श्री गणेशायनमः ॥

नारद उवाच -

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥

॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ॥

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श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र के नियमित पाठ से कई लाभ मिलते हैं:

  • शांति मिलती है
  • जीवन से सभी प्रकार की बुराइयां दूर होती हैं
  • स्वास्थ्य लाभ होता है
  • धन की वृद्धि होती है
  • भयमुक्ति होती है
  • छह महीने में इच्छित फल की प्राप्ति होती है
  • विद्यार्थियों को विद्या और धन की कामना रखने वालों को धन और पुत्र की प्राप्ति होती है
  • एक साल तक नियमित पाठ करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है
  • जीवन में आने वाली विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं
  • सफलता और समृद्धि मिलती है
  • दिव्य सुरक्षा और मार्गदर्शन मिलता है
  • आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा मिलता है
  • नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा आती है

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