संकटनाशन गणेश स्तोत्र ! Sankatnashan Ganesh Stotra
- शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार या अन्य किसी बुधवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें
- गणेशजी की पूजा करें
- उन्हें दूर्वा जरूर अर्पित करें
- भगवान गणेश् के विग्रह के सामने संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें
- पाठ शुरु करने के पहले और पाठ समाप्ति के बाद गण !
Sankatnashan Ganesh Stotra |
संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं ! Sankatnashan Ganesh Stotra
श्री गणेशायनमः ॥
नारद उवाच -
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र के नियमित पाठ से कई लाभ मिलते हैं:
- शांति मिलती है
- जीवन से सभी प्रकार की बुराइयां दूर होती हैं
- स्वास्थ्य लाभ होता है
- धन की वृद्धि होती है
- भयमुक्ति होती है
- छह महीने में इच्छित फल की प्राप्ति होती है
- विद्यार्थियों को विद्या और धन की कामना रखने वालों को धन और पुत्र की प्राप्ति होती है
- एक साल तक नियमित पाठ करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है
- जीवन में आने वाली विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं
- सफलता और समृद्धि मिलती है
- दिव्य सुरक्षा और मार्गदर्शन मिलता है
- आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा मिलता है
- नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा आती है
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