सङ्कष्टनाशनं गणेश स्तोत्र - प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् । Sankashtanashanam Ganesh Stotra - Pranamya Shirsa Devan Gauriputram Vinayakam

सङ्कष्टनाशनं गणेश स्तोत्र - प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।

संकटनाशन गणेश स्तोत्र शुभ फलदायक भगवान गणपति को अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि इसका पाठ करने से व्यक्ति के बिगड़े काम बन जाते हैं और उसके सभी संकटों का नाश होता है. बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है.
यह स्तोत्र नारद पुराण से लिया गया है और भगवान गणेश के सबसे प्रभावी स्तोत्रों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि यह स्तोत्र शुभ फलदायक भगवान गणपति को बहुत प्रिय है. इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए, शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार या किसी भी बुधवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और गणेश जी की पूजा करें. उन्हें दूर्वा जरूर अर्पित करें. इसके बाद, भगवान गणेश के विग्रह के सामने संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें. पाठ शुरू करने से पहले और खत्म करने के बाद, गणेश जी से आस-पास के संकट खत्म करने की प्रार्थना करें. ऐसा लगातार चालीस दिनों तक करें. इस पाठ में करीब पांच मिनट लगते हैं. श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करने पर इसके अच्छे नतीजे मिलते हैं !
Sankashtanashanam Ganesh Stotra - Pranamya Shirsa Devan Gauriputram Vinayakam

सङ्कष्टनाशनं गणेश स्तोत्र - Sankashtanashanam Ganesh Stotra 

नारद उवाच 

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् । 
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुः कामा ऽर्थसिद्धये ॥१॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् । 
तृतीयं कृष्ण-पिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥२॥

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च। 
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाऽष्टमम् ॥३॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् । 
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।४।।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः । 
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ॥५॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् । 
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥६॥

जपेद् गणपतिस्तोत्रं ष‌ड्भिर्मासैः फलं लभेत् । 
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नाऽत्र संशयः ॥७॥

अष्टानां ब्राह्मणानां च लिखित्वा यः समर्पयेत् । 
तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥८॥ 

इति श्रीनारदपुराणे सङ्कष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं:-

  • जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं
  • सफलता और समृद्धि मिलती है
  • आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास होता है
  • नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा आती है
  • बिगड़े काम बन जाते हैं
  • सभी संकटों का नाश होता है
  • स्वास्थ्य लाभ होता है
  • धन की वृद्धि होती है
  • भयमुक्ति मिलती है
  • इच्छित फल की प्राप्ति होती है
  • विद्यार्थियों को विद्या और धन की कामना रखने वालों को धन मिलता है
  • पुत्र की कामना रखने वालों को पुत्र की प्राप्ति होती है
  • एक साल तक नियमित पाठ करने से सिद्धि मिलती है 

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