शुभ और लाभ का महत्व , हम घर के बाहर इसलिए लिखते हैं शुभ और लाभ,Shubh Aur Laabh Ka Mahatv ,Ham Ghar Ke Baahar Isalie Likhate Hain Shubh Aur Laabh
शुभ और लाभ का महत्व , हम घर के बाहर इसलिए लिखते हैं शुभ और लाभ
हिंदू धर्म में शुभ और लाभ का बहुत महत्व है. शुभ-लाभ को भगवान गणेश की संतान माना जाता है. शास्त्रों के मुताबिक, गणेश जी के दो बेटे हैं, क्षेम यानी शुभ और लाभ. शुभ-लाभ के चिन्हों को घर या दफ़्तर में लगाने से सुख-समृद्धि और धन आता रहता है. साथ ही, इससे भगवान गणेश की कृपा बरसती है. ज्योतिष शास्त्र में भी चौघड़िया या शुभ मुहूर्त देखते समय शुभ और लाभ मुहूर्त देखना ज़रूरी माना जाता है
Shubh Aur Laabh Ka Mahatv |
घर के मुख्य द्वार पर शुभ-लाभ लिखने के फ़ायदे:
- घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है
- घर में समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है
- घर में सौभाग्य और भाग्य का उदय होता है
- घर में सुरक्षा और संरक्षण का भाव बढ़ता है
- घर में आध्यात्मिकता और भक्ति का भाव बढ़ता है
घर के मुख्य द्वार पर शुभ-लाभ लिखते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- स्वास्तिक को मुख्य द्वार के ऊपर मध्य में लिखना चाहिए !
- शुभ और लाभ को बाईं और दाईं तरफ़ लिखना चाहिए !
- स्वास्तिक की दोनों अलग-अलग रेखाएं गणपति जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं !
- जनरेटिव एआई की सुविधा फ़िलहाल एक्सपेरिमेंट के तौर पर उपलब्ध है !
हम घर के बाहर इसलिए लिखते हैं शुभ और लाभ
किसी भी मांगलिक कार्य में, घरों के द्वार पर, पूजाघर में, धार्मिक तस्वीरों, पोस्टरों आदि में अक्सर आपने शुभ और लाभ लिखा देखा होगा। दरअसल इन्हें भगवान गणेश की संतान माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार शुभ और क्षेम भगवान गणेश की संतान है जिन्हें शुभ-लाभ भी कहा जाता है। रिद्धी और सिद्धी भगवान गणेश की पत्नियां मानी जाती हैं।
- शुभ की जन्मदात्री ऋद्धि हैं एवं लाभ की जन्मदात्री सिद्धि हैं। गणेश पुराण के अनुसार शुभ – लाभ को केशं एवं लाभ नामों से भी जाना जाता है।
- गणेशजी के पुत्रों के नाम हम ‘स्वास्तिक’ के दाएं-बाएं लिखते हैं। घर के मुख्य दरवाजे पर हम ‘स्वास्तिक’ मुख्य द्वार के ऊपर मध्य में और शुभ और लाभ बायीं तरफ लिखते हैं।
- ऐसा करने के पीछे एक पौराणिक मत है। हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान गणेश जी को देवों में सर्वप्रथम पूज्य ‘बुद्धि का देवता’ हैं। ‘स्वास्तिक’ बुद्धि को प्रस्तुत करने का पवित्र चिन्ह है।
- स्वास्तिक की दोनों अलग-अलग रेखाएं गणपति जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं। रिद्धि शब्द का अर्थ है ‘बुद्धि’ जिसे का हिंदी में शुभ कहते हैं। ठीक इसी तरह सिद्धी इस शब्द का अर्थ होता है ‘आध्यात्मिक शक्ति’ की पूर्णता यानी ‘लाभ’।
- र के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक, शुभ और लाभ इन्हीं शक्तियों को दर्शाते हैं। इसे हम इस तरह भी समझ सकते हैं :
- गणेश (बुद्धि) + रिद्धि (ज्ञान) = शुभ।
- गणेश (बुद्धि) + सिद्धि (अध्यात्मिक स्वतंत्रता) = लाभ।
click to read 👇👇
[ श्री गणपति स्तव ] [ गणेश कवच ] [ गणेशाष्टकम् ] [ सङ्कष्टनाशनं गणेश स्तोत्र ] [ गणेश अष्टकं ]
[ श्री गणेश अष्टकम ] [ संकट हरण अष्टकम गणेश स्तोत्र ] [ गजानन स्तोत्र शङ्करादिकृत ]
[ देवर्षि कृतं - गजानन स्तोत्र ] [ गजानन स्तोत्र ] [ श्री विनायक विनति ] [ गणपति स्तोत्र ]
[ गणेश मानस पूजा ] [ श्री गणेश बाह्य पूजा ] [ संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं ] [ श्रीगणेशमहिम्नः स्तोत्रम् ]
[ गणेश अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् ] [ गणेश सहस्रनाम स्तोत्र ] [ एकदंत गणेश स्तोत्र ]
[ महा गणपति स्तोत्रम् ] [ गणेश स्तवराज ] [ ढुंढिराजभुजंगप्रयात स्तोत्रम् ]
टिप्पणियाँ