गणेश चतुर्थी का महत्व, Importance of Ganesh Chaturthi

Ganesh Chaturthi \ Date 2024 :- गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी - दिनांक (2024)

शुक्र, 6 सितंबर, 2024, दोपहर 3:01 बजे – शनि, 7 सितंबर, 2024, शाम 5:37 बजे

गणेश चतुर्थी का महत्व,

गणेश चतुर्थी इस त्योहार का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। भगवान गणेश की पूजा से न केवल विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का भी वास होता है। इस दिन की विशेषता यह है कि लोग भगवान गणेश की मूर्ति को अपने घरों और दफ्तरों में स्थापित कर उन्हें पंडाल में सजाते हैं और भक्ति भाव से पूजा करते हैं। इसके साथ-साथ, सांस्कृतिक गतिविधियां जैसे गायन, नाट्य प्रदर्शन, और सामुदायिक सेवाएं भी इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। विभिन्न क्षेत्रों में इस त्योहार के अलग-अलग नाम होने के बावजूद, सभी का उद्देश्य एक ही है भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करना।


भारतीय धर्म ग्रंथों में भगवान गणेश को सर्वप्रथम पूजनीय स्थान प्राप्त है। उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है, और हर शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से होती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर माह में दो चतुर्थी तिथियाँ होती हैं एक शुक्ल पक्ष में जिसे विनायक चतुर्थी कहते हैं और दूसरी कृष्ण पक्ष में जिसे संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है, जो विशेष रूप से भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए यह दिन उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का यह पर्व भारत में बहुत महत्वपूर्ण है, विशेषकर महाराष्ट्र में, जहाँ लोग गणपति बप्पा को अपना इष्ट देव मानते हैं। यह पर्व दस दिनों तक चलता है, जिसमें भक्तगण गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। अंतिम दिन, मूर्ति को शोभायात्रा के साथ नदी में विसर्जित किया जाता है। यह पर्व केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने लगा है।

गणेश चतुर्थी का व्रत और उपासना पुराणों में विशेष महत्व रखते हैं, खासकर दाम्पत्य जीवन में सुख और संतान प्राप्ति के लिए। यदि कोई व्यक्ति शारीरिक कारणों से व्रत रखने में असमर्थ है, तो वह केवल प्रेमभाव से गणपति जी की पूजा और ध्यान कर भी पूर्ण फल प्राप्त कर सकता है। इस दिन मध्याह्न काल, यानि दोपहर के समय, पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है। गणेश चतुर्थी की पूजा विधि में प्रातः स्नान करके भगवान गणपति के सामने नतमस्तक होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजा के दौरान लाल रंग के आसन पर बैठकर गणेश जी की प्रतिमा और कलश की स्थापना करनी चाहिए। पंचोपचार विधि से पूजा करने के बाद गणेश जी की कथा सुनी जाती है। मोदक का भोग लगाकर आरती की जाती है और अंत में प्रतिमा का विधिपूर्वक विसर्जन किया जाता है।

FQA:-

गणेश चतुर्थी का उद्देश्य क्या है?

गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी भारत में मनाए जाने वाले लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। दैवीय शक्ति और अधिकार की अवधारणा से, यह रंगीन और हर्षोल्लासपूर्ण त्योहार भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो बाधाओं को दूर करने और खुशहाल शुरुआत के देवता के रूप में जाने जाते हैं।

गणेश चतुर्थी का इतिहास क्या है?

गणेशोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र की राजधानी पुणे से हुई थी. गणेश चतुर्थी का इतिहास मराठा साम्राज्य के सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा है. मान्यता है कि भारत में मुगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने हेतु छत्रपति शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानी गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी.

गणेश चतुर्थी मनाने का क्या कारण है?

पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है।

गणेश चतुर्थी वाले दिन क्या नहीं करना चाहिए?

-गणेश चतुर्थी के दौरान प्याज, लहसुन और मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। -घर में गणेश स्थापना के बाद जो भी बनाएं, सबसे पहले गणेशजी को भोग लगाएं। गणेश स्थापना के समय मंदिर में एक से ज्यादा गणेश जी की मूर्तियां ना हों, यह अशुभ माना जाता है

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