श्री गणेश की सर्वप्रथम पूजा क्यों जानिए एक पौराणिक कथा अनुसार

श्री गणेश की सर्वप्रथम पूजा क्यों जानिए एक पौराणिक कथा अनुसार

  1. भगवान गणेश की पूजा सनातन धर्म में
  2. श्री गणेश सर्वप्रथम पूजा क्यों जानिए एक पौराणिक कथा अनुसार-
  3. भगवान गणेश की पूजा करने से कई लाभ मिलते हैं
  4. श्री गणेश पूजन का क्या कारण है 
  5. मंत्र का अर्थ है-
इस ब्लॉग में ऊपर दिये गए 5 शीर्षक के बारे में है

भगवान गणेश की पूजा सनातन धर्म में

सनातन धर्म में, जब कोई शुभ काम किया जाता है, तो सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. किसी भी पूजा या अनुष्ठान में भी सबसे पहले गणपति को ही याद किया जाता है. 
हिंदू भाषा में 'श्री गणेश' शब्द किसी चीज़ की शुरुआत को दर्शाता है, खासकर किसी सुंदर और सकारात्मक चीज़ की. कई हिंदू अनुष्ठान भगवान गणेश की आराधना से शुरू होते हैं. 
गणेश जी को 'विघ्नहर्ता' भी कहा जाता है. इसका मतलब है कि वह विभिन्न प्रकार की आपदाओं और बाधाओं को दूर करने में सहायक होते हैं. इसलिए, लोग उनकी पूजा करके शुरुआत में आने वाली किसी भी कार्य में बाधाओं का निवारण करने की प्रार्थना करते हैं. 
शिवजी ने वर देकर देवताओं को संतुष्ट कर दिया. समय आने पर गणेश जी प्रकट हुए. देवताओं ने गणेश जी की पूजा की. तब भगवान शिव ने गणेश जी को दैत्यों के कामों में विघ्न पैदा करने का आदेश दिया !
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श्री गणेश सर्वप्रथम पूजा क्यों जानिए एक पौराणिक कथा अनुसार-

इसके पीछे अनेक पौराणिक कथाएँ मिलती हैं-
श्री गणेश जी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय हैं। इसके पीछे अनेक पौराणिक कथाएँ मिलती हैं। कहीं शिवजी ने ऐसा वर दिया है तो कहीं विष्णु भगवान ने ।  देवताओं में अग्रगण्य होने का वर उन्हें पिताश्री शंकर भगवान ही ने तो दिया है । एक बार देवताओं में परस्पर विचार-विमर्श हो रहा था कि सर्वप्रथम पूजा किसकी होनी चाहिए। सभी ने निश्चय किया कि ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करके जो सबसे पहले लौटेगा उसी को सबसे पहले पूजनीय माना जाएगा। यह निश्चय होते ही सभी देवगण अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर चल दिये । कोई भैंसे पर, कोई सिंह पर, कोई अश्व पर, कोई उल्लू पर तो कोई मोर पर । गणेश जी भी अपने चूहे पर सवार होकर चल दिये। उनके माता-पिता शिव-पार्वती कैलाश पर्वत पर विराजमान थे । गणेश जी वहीं पहुंचे और उनकी परिक्रमा करने लगे। जब देवता ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करके लौटे तो गणेश जी को वहीं पर पहले से उपस्थित पाया ।
जब इसका रहस्य पूछा गया तो गणेश जी ने बताया कि मैंने तो महादेव शंकर जी और माँ पार्वती की परिक्रमा को ब्रह्माण्ड की परिक्रमा से बढ़कर माना है। भगवान शंकर ने इस बात का समर्थन किया और देवताओं ने भी इसे स्वीकार 'कर लिया कि जब भी पूजा-पाठ या कोई भी अनुष्ठान हो तो गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम की जायेगी । पुराणों में भी गणेश जी को विघ्न विनाशक, मंगलदायक माना है । अतः सभी कार्यों व पूजा के समय उन्हीं की सर्वप्रथम पूजा की जाती है जिससे किये जाने वाले कार्य में कोई विघ्न न आ सके । बड़े-बड़े विद्वानों ने भी यह स्वीकार किया है । अतः गणेश पूजन सर्वप्रथम करना फलदायक है। 

भगवान गणेश की पूजा करने से कई लाभ मिलते हैं

  1. हिंदू धर्म में, किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि गणेश जी की पूजा के बिना मांगलिक कामों में किसी भी दिशा से किसी भी देवी-देवता का आगमन नहीं होता. गणेश जी को 'विघ्नहर्ता' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है कि वह विभिन्न प्रकार के आपदाओं और बाधाओं को दूर करने में सहायक होते हैं. इसलिए, लोग उनकी पूजा करके शुरुआत में आनेवाली किसी भी कार्य में बाधाओं का निवारण करने की प्रार्थना करते हैं.
  2. गणेश जी की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. भक्त अपने कार्यक्षेत्र में सफल होता है. भगवान गणेश की पूजा करने से भाग्योदय होता है और आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है
  3. गणेश जी की पूजा करने के लिए, भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं. मूर्ति स्थापित करने के बाद गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं. उन्हें वस्त्र, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, शमी पत्ता, पीले पुष्प और फल चढ़ाएं. पूजन आरंभ करें तथा अंत में गणेश जी की आरती करें और मनोकामना पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगे
  4. बिना किसी बाधा के सारे काम पूरे होते हैं
  5. बढ़ी हुई बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है
  6. मनचाहा फल मिलता है
  7. सभी कष्ट दूर होते हैं
  8. अहंकार का नाश होता है
  9. ज्ञान, यश, धन, समृद्धि बढ़ती है
  10. बुद्धि, विवेक, निरोग्य जीवन, प्रसिद्धि, सिद्धि, यश, और संतान की प्राप्ति होती है
  11. नवग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है
  12. आत्मा शुद्ध होती है
  13. नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं
  14. सहनशीलता आती है
  15. अपने अंदर छिपी शक्ति पर ध्यान देने लगता है
  16. व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में सौभाग्य आता है

श्री गणेश पूजन का क्या कारण है 

'आद्यौ पूज्यो विनायकः ' - इस उक्ति के अनुसार समस्त शुभ कार्यों के प्रारम्भ में गणेश जी की अग्र पूजा विशाल हिन्दू जाति में सुप्रसिद्ध और प्रचलित है। इसका बहुत ही सीधा-सादा संक्षिप्त उत्तर यही है कि भगवान श्री गणेश को प्रसन्न किये बिना कल्याण संभव नहीं । भले ही साधक के इष्टदेव भगवान विष्णु या भगवान शंकर या जगतपिता ब्रह्मा ही क्यों न हो। इन सभी देवी-देवताओं की उपासना की निर्विघ्न सम्पन्नता के लिए भी विघ्न विनाशक श्री गणेश का पूजन स्मरण आवश्यक है। भगवान श्री गणेश की अद्भुत विशेषता यह है कि उनका स्मरण करते ही सब विघ्न बाधाएँ दूर हो जाती हैं । इसी कारण साधकजन प्रार्थना करते हैं-
वक्रतुण्ड महाकाय कोटि सूर्य समप्रभाः । 
निर्विघ्न कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदाः ॥
मंत्र का अर्थ है-
घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर वाले, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली हे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें
हे हाथी के समान विशाल गणेश, जैसे तेज सूर्य की एक हज़ार किरायों के समान है, मेरे सभी कार्य सदैव बिना किसी बाधा के पूरे करें 
यह मंत्र गणेश जी का सबसे लोकप्रिय मंत्र है. मान्यता है कि इस मंत्र के बिना सारी पूजा अधूरी रहती है. इस मंत्र का जाप करते समय अपने हृदय में बप्पा को स्थान देकर उनका ध्यान करने से भगवान प्रसन्न होते हैं
लोक-परलोक में सर्वत्र सफलता पाने का एकमात्र यही उपाय है । कार्य प्रारम्भ करने से पहले भगवान श्री गणेश का पूजन करना चाहिए ।

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